मनचलों तक ही सीमित हो एंटी रोमियो स्क्वायड
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के साथ ही एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया गया है. स्कूल-कॉलेजों व कोचिंग संस्थानों के आस-पास दिन भर चक्कर काटनेवाले मनचलों की नकेल कसने के लिए ऐसे स्क्वायड की बात दूसरे राज्यों में भी जोर-शोर से की जा रही है. छात्राओं से छेड़खानी व इव टीजिंग के […]
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के साथ ही एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया गया है. स्कूल-कॉलेजों व कोचिंग संस्थानों के आस-पास दिन भर चक्कर काटनेवाले मनचलों की नकेल कसने के लिए ऐसे स्क्वायड की बात दूसरे राज्यों में भी जोर-शोर से की जा रही है.
छात्राओं से छेड़खानी व इव टीजिंग के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसे महिला सुरक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि कार्रवाई के नाम पर कहीं मनचलों को हिरासत में लिया जा रहा है, तो कहीं उठक-बैठक कराकर या चेतावनी देकर छोड़ दिया जा रहा है. कुछेक मौके पर भाई-बहन, प्रेमी जोड़े व महिला संबंधी के साथ रहने वाले युवकों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सचमुच हमें एंटी रोमियो स्क्वायड जैसी टीम की जरूरत है? और अगर जरूरत है, तो उनके कामकाज का तरीका क्या होना चाहिए? क्या मनचलों तक ही यह स्क्वायड सीमित रह पायेगा? आज के बिग इश्यू में हम लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बने एंटी रोमियो स्क्वायड की उपयोगिता की पड़ताल कर रहे हैं.
मनचलों तक ही सीमित हो एंटी रोमियो स्क्वायड
यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने महिला सुरक्षा के मद्देनजर ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ के लिए आदेश जारी कर दिये. यूपी की देखा-देखी झारखंड में भी एंटी रोमियो स्क्वायड बनाने का विचार चल रहा है. कहा जा रहा है कि यूपी के तमाम शहरों में एंटी रोमियो स्क्वायड सड़कों पर नजर आने लगा है. गर्ल्स स्कूलों और कॉलेजों के पास लड़कों से पूछताछ की जा रही है.
मनचलों को हिरासत में लिया जा रहा है. पुलिस टीम बेहद सक्रिय हो गयी है. लेकिन दूसरी तरफ ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि एंटी रोमियो स्क्वायड ने पार्क में बैठे जोड़ों को पकड़ा, उन्हें चेतावनी दे कर छोड़ दिया. होटलों में छापे मारे. कपल्स को आपत्तिजनक हालत में पकड़ा. कुछ शहरों में ऐसी भी घटनाएं हुई हैं, जहां एंटी रोमियो स्क्वायड ने मनचलों को पकड़ने के बजाय अपने पिता का इंतजार कर रहे बेटे और बहन का इंतजार कर रहे भाई को पकड़ लिया. यहां तक कि इस स्क्वायड ने कई शादी-शुदा कपल्स से भी अपमानित करने वाले लहजे में सवाल-जवाब किये. इन सारी घटनाओं को देखते हुए यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सचमुच हमें एंटी रोमियो स्क्वायड जैसी टीम की जरूरत है? और अगर जरूरत है, तो उनके कामकाज का तरीका क्या होना चाहिए?
सोचने वाली बात यह है कि कोई पुलिसवाला या कानून का मुहाफिज ये कैसे पता लगायेगा कि किसी लड़के ने लड़की को छेड़ा है? क्या पास से गुजर जाने भर को छेड़ना माना जायेगा? या सिर्फ नजरें मिलाने भर को छेड़खानी करार दिया जायेगा? या फिर ये काम लड़कियों की शिकायत पर होगा? और अगर लड़कियों की शिकायत पर होगा, तो इस बात का जवाब भी दिया जाये कि जब लड़कियां पुलिस स्टेशन जा कर शिकायत करती हैं, तब पुलिस उनकी कितनी मदद करती है?
वह उनके साथ हुई छेड़खानी की घटना को कितना सीरियसली लेती है? क्या पुलिस का बर्ताव इतना बेहतर है कि लड़कियां बिना किसी झिझक के शिकायत करने जा सकें? ऐसा कई बार देखने में आया है कि पीड़िता थाने में शिकायत करने गयी और वहां बैठे पुलिसवालों ने उसी से ढेर सारे सवाल कर उसे शर्मिंदा किया. उसका मजाक उड़ाया. उसे यह कह कर ताना मारा कि ‘तुम इतनी रात को बाहर क्यों गयी थी?’ ‘तुमने ऐसे कपड़े क्यों पहने हुए हैं.?’ अब जो पुलिस थाने में आयी लड़की से ऐसा बर्ताव करती है, वह ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ जा कर क्या सुधर जायेगी? इसकी उम्मीद तो कम ही नजर आती है.
मनचलों को पकड़ने से भी बड़े मुद्दे हैं अभी
रिटायर्ड बैंक कर्मचारी आलोकनाथ तिवारी कहते हैं, ऐसा लग रहा है कि शहरों में सारे अपराध खत्म हो गये हैं और सिर्फ मनचलों को पकड़ना ही पुलिसवालों का मुख्य काम रह गया है. शहर हो, स्कूल हो या कॉलेज हो. सारा काम छोड़कर पुलिस बस रोमियो को पकड़ने के लिए लगा दी गयी है. जबकि यूपी में कई बड़े और छटे हुए क्रिमिनल और बदमाश अभी फरार हैं. सरकार बनने से पहले ऐसे अपरधियों को एक हफ्ते के अंदर पकड़ कर अंदर करने के दावे किये गये थे. मगर शायद उन भागे हुए माफियाओं, खूनियों से कहीं ज्यादा मनचलों से यूपी को खतरा हो गया है.
क्या किया जाना चाहिए
सबसे पहले पुलिस कर्मचारियों को लड़कियों से बात करने का तरीका सिखाया जाये. कई बार वे ही महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करते देखे जाते हैं.
पुलिसकर्मियों को चाहिए कि शिकायत करने आयी हर लड़की से ठीक से बात करें, उनकी बातों को गंभीरता से लें, उनका मजाक न उड़ाएं. उनसे ऐसे सवाल न पूछें, जिनसे वे शर्मिंदा हों.
पुलिसवाले पीड़िता को ये समझाने की कोशिश न करें कि आपने कपड़े ठीक नहीं पहने हैं या आप इतनी रात को क्यों बाहर गयी? इसलिए यह सब हुआ है. –
पुलिसवाले ही अगर अपना काम ठीक तरह से करें, तो अलग से ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ के गठन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ का गठन अगर किया भी जाये, तो उसके हर सदस्य को यह ठीक तरह से बताया जाये कि उसे किस तरह की चीजों पर एक्शन लेना है और किस तरह की चीजों पर नहीं.
‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ का काम आम कपल्स, युवाओं के ग्रुप, पार्क में बैठे, फिल्म से लौट रहे युवाओं को डराना नहीं है. आपका काम ऐसे लोगों की रक्षा करना है, जिन्हें असामाजिक तत्व परेशान करते हैं.
पुलिस का काम बालिग लड़के-लड़कियों को पार्क में पकड़ कर उनके माता-पिता को कॉल करना नहीं है. अगर दोनों बालिग हैं और सिर्फ बैठ कर बात कर रहे हैं, तो आपको माता-पिता की जिम्मेवारी निभाने और उन्हें डांटने की कोई जरूरत नहीं है. उन्हें पार्क में बैठने की आजादी है.
पार्क में कपल्स का बैठना गुनाह नहीं
कानपुर, झांसी जैसे शहरों में पुलिस के हाथों मनचले तो कम ही आये, लेकिन पार्कों व ऐतिहासिक इमारतों में घूम रहे कपल्स जरूर पकड़ में आ गये. कहीं उन्हें सब के सामने जलील किया गया, तो कहीं उठक-बैठक करायी गयी. कई पुलिसवालों ने उनके पैरेंट्स को भी फोन लगा दिया.
ऐसे एक्शन को देख यह सवाल उठता है कि क्या पार्क में कपल्स का बैठना अपराध है? हां, अगर कोई आपत्तिजनक हालत में दिखे, तो पार्क के गार्ड ही उन्हें समझाइश दे सकते हैं कि ‘ये सार्वजनिक स्थल है. ऐसी हरकतें न करें.’ लेकिन इस तरह पुलिस का उन्हें धमकाना क्या कानून में आता है? ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसके तहत आप दोस्तों के साथ फिल्म देख कर लौट रहे युवाओं को पकड़ों, उन्हें डांटों या थाने ले जाओ.
सबसे बड़ा डर : कहीं न हो जाएं ये पांच चीजें
एंटी रोमियो स्क्वायड की घोषणा पर यूपी की पुलिस जितनी उत्साहित है, जनता उतनी ही कंफ्यूज है. हर कानून की तरह अगर एंटी रोमियो स्क्वायड का दुरुपयोग हुआ, तो बहुत कुछ होगा. बहुतों को फायदा होगा और बहुतों को नुकसान. जो भी हो, एक आम नागरिक का डर यही है कि कहीं एंटी रोमियो की आड़ में ये पांच चीजें न हो जाएं.
1. पुरानी दुश्मनी न निकालने लगें लोग : एंटी रोमियो की आड़ में काफी हद तक संभव है कि लोग अपनी पुरानी दुश्मनी भी निकालने लगे. फलां का बेटा, फलाने की लड़की को छेड़ रहा है, बस फोन घुमा दीजिए, एंटी रोमियो दल लड़के को सरेआम खींच कर बेइज्जत करेगा, डंडे लगायेगा, जेल में डाल देगा. अब भले ही सबूत न मिले, पर इज्जत का फालूदा तो हो ही गया न फलाने का. ये डर अब हर किसी के मन में घर कर जायेगा और लोग दुश्मनी निकालने के लिए इस तरह की हरकतें करेंगे.
2 : कुंठित पुलिसवालों की कुंठा न निकले : एंटी रोमियो की कमान किसी सीनियर अधिकारी के हाथ में नहीं, बल्कि कॉन्सटेबलों के हाथ में होगी. ये कॉन्सटेबल सरकारी स्कूलों से पढ़ कर आये हैं. ये पुलिसवाले को-एजुकेशन स्कूलों और कॉलेजों में नहीं पढ़े, न ही लड़के-लड़कियों का साथ इन्होंने देखा है.
ये अपनी मानसिकता और कुंठा कहीं इस कानून की आड़ में न निकालने लगे. ये होटलों और पार्टियों में नहीं जाते, लड़कियां इनकी दोस्त कभी नहीं रही और इसी लिहाज से ये लड़के-लड़कियों की सहज दोस्तों को शोहदापंती न समझ लें. अगर ऐसा होता है तो यूपी का क्या होगा, कोई नहीं जानता.कुल मिलाकर कहा जाये कि एंटी रोमियो दल चलानेवाले पुलिसवाले भी उतने ही अपटेड और खुले विचारों के होने चाहिए जितना कि यूपी का जवान होता तबका.
3 : बजरंग दल और हिंदूवाहिनी की मनमानी न शुरू हो जाये :
पिछले कुछ सालों में वैलेंटाइन डे पर बजरंग दल और हिंदुवाहिनी कहीं अब एक्टिव न हो जाये. वैलेंटाइन पर बजरंग दल के कार्यकर्ता सड़कों और पार्कों में जिस तरह लड़के-लड़कियों पर लाठी चलाते हैं, उन्हें अब हर रोज की आजादी न मिल जाये. ‘सैंया भये कोतवाल’ टाइप का मुहावरा कहीं इस स्क्वायड की आड़ में चरितार्थ न हो जाये, बस यही डर है.
4 : सरकार कहीं खाप में न बदल जाये: खापों के बारे में सुना करते थे कि लड़कियों मोबाइल लेने और जींस पहनने पर रोक लगी है, तो क्या सरकार भी खाप में तब्दील होती जा रही है? नयी सरकार है, बड़े मुद्दों पर गौर करे. कहीं चाल चलन का भी सर्टिफिटेक जारी करने लगी, तो उसे खाप में तब्दील होते देर न लगेगी. इससे लड़के-लड़कियों के बीच सहज भाव की दोस्ती पर कितना असर पड़ेगा, पुलिस और सरकार नहीं जानती, लेकिन एंटी रोमियो की आड़ में ये कार्रवाई सरकार को खाप न घोषित कर दे.
05 : भाई-बहन का साथ निकलना तक दूभर हो जाये : अब पुलिसवालों को क्या पता कि हाथ पकड़ कर जा रहे दो लोग प्रेमी प्रेमिका हैं या भाई बहन. भाई बहन और दोस्त पार्क में जाने से कतरायेंगे. मॉल में घूमने से कतरायेंगे. फेसबुक पर कई लोगों ने इस पोस्ट को शेयर किया है.
परिचर्चा : गंदा सोच केवल मन का होता है, घर में क्यों नहीं बदलती नीयत
मगध महिला कॉलेज की छात्राओं से बातचीत
पटना : यूपी में एंटी रोमियो स्क्वायड के काम करने के तौर-तरीके से कुछ लोग खुश तो कुछ नाराज भी हैं. इसी मामले पर शुक्रवार को मगध महिला कॉलेज की छात्राओं ने प्रभात खबर द्वारा आयोजित परिचर्चा में अपनी बातें रखीं.
जरूरी है पहले विशेष टीम का गठन : परिचर्चा में छात्राओं ने कहा कि एंटी रोमियो स्क्वायड टीम का गठन सही है, लेकिन काम सही दिशा में होना चाहिए. लड़कियों और लड़के को परेशान करने का काम नहीं करना चाहिए. अगर लड़के-लड़कियां साथ में कही हैं, तो उसे परेशान नहीं किया जाना चाहिए. टीम मनचलों को पकड़ने का काम करें. अगर यही काम होता है तो लड़कियां सुरक्षित हैं. स्कूल-कॉलेज व मार्केट के अनेक स्थान पर कुछ ऐसे लोग रहते हैं तो लड़कियों को देख कर फब्तियां कसते हैं. लड़कियों में पहले आत्मविश्वास व हिम्मत का होना जरूरी है . कुछ खराब मानसिकता वाले लोगों से लड़ा जा सकता है.
पुलिस प्रशासन से लेकर समाज तक नहीं करता सपोर्ट : चंदा भारती और रागनी कहती हैं कि पुलिस प्रशासन में काफी सुधार की जरूरत है. अगर कोई लड़की छेड़खानी की शिकायत लेकर थाने जाती है, तो उसे शिकायत नहीं करने के लिए समझाया जाता है. गवाह खोजा जाता है.
इसके साथ अनेक मानसिक परेशानियां शुरू हो जाती हैं. कुछ ज्यादा होने पर ही लड़कियां थाने जाती हैं और किसी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाती है. इसके साथ अगर केस दर्ज हो गया तो समाज से लेकर घर के लोग केस वापस लेने का दबाव बनाते हैं. इज्जत और प्रतिष्ठा की बात कहने लगते हैं. अगर कोई लड़की अावाज उठाती है तो घर से लेकर समाज को आगे आना चाहिए न की उसके अावाज को दबाने का प्रयास करें. कई परिवार कुछ घटना पर चुप हो जाते हैं और देखते हैं कि अगर बात बढ़ेगी तो शादियां भी होनी मुश्किल हो जायेंगी. इस तरह की सोच को बदलने की जरूरत है.
तुरंत होना चाहिए एक्शन : सोनाली कुमारी कहती है कि छेड़खानी के मामले में तुरंत एक्शन होना चाहिए. पुलिस इस और उस थाने का मैटर कह कर मामला नहीं लटकाये. एक तो लड़कियां खुद परेशान रहती हैं. इसके बाद पुलिस वाले भी परेशान करते हैं. पहले तो पुलिस प्रशासन पर भरोसा नहीं है.
क्योंकि सबसे पहले सबूत चाहिए. अगर कोई राह चलते बाइक से छेड़ कर चला गया तो उस मामले में पुलिस भी सबूत मांगती है और रिपोर्ट लिखने से बचती है. शिकायत करने वाली लड़की को परेशानी का डर दिखा दिया जाता है. वहीं एक छात्राएं कहती है कि सड़क चलते कोई बोल कर चला जाता है. उसका कोई प्रूफ नहीं होता है, जबकि लड़कियां मेंटली परेशान हो जाती है. एक मजबूत सेल का गठन होना चाहिए. कहीं भी किसी स्थान पर लड़कियों की मदद के लिए पांच मिनट में कोई टीम पहुंचे. अगर कोई छेड़खानी कर रहा है तो लड़कियां तुरंत फोन करे और छेड़खानी करने वाले को पकड़ कर ले जाये .
लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग आज की जरूरत
सुहानी श्रद्धा, पिंकी व दिव्या लक्ष्मी कहती हैं कि लड़कियों को शुरू से ही सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना चाहिए. सिलेबस में भी महिला सशक्तिकरण का पाठ होना चाहिए. पैरेंट्स से लेकर समाज को भी भेदभाव नहीं करना चाहिए. भेदभाव होने के कारण ही यह स्थिति पैदा होती है. गंदी सोच और नियत केवल जहन की होती है. क्योंकि किसी को भी अपने घर के बारे में सोच कर ही किसी से छेड़खानी करनी चाहिए. घर में मां और बहन होती है, लेकिन लड़के घर में नहीं कुछ करते और बाहर निकलने के साथ ही कुछ लड़के अपनी नीयत बदल देते हैं.
नेहा सिंघानिया कहती हैं कि अपने आप में आत्मविश्वास पैदा करने की जरूरत है, लेकिन यह आत्मविश्वास परिवार से ही मिलती है. पुलिस प्रशासन विश्वास की चीज नहीं है. पुलिस प्रशासन पर से भरोसा उठा चुका है. कभी भी पुलिस की तरफ से सपोर्ट नहीं मिलती है. कुछ धारावाहिक व फिल्में देख कर चोर आइडिया ले लेता है, लेकिन पुलिस सावधान इंडिया और क्राइम पेट्रोल जैसे धारावाहिक देख कर सीख भी नहीं ले सकती है.
केवल मनचलों को पकड़ने पर देना चाहिए ध्यान
पिंकी और प्रियंका कुमारी कहती हैं कि बिहार में भी एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन होना चाहिए. लेकिन यह टीम केवल मनचलों को पकड़ने का काम करे. किसी को परेशान नहीं करे. अगर कोई लड़की कहीं शांति से बैठी है तो उसे परेशान न करे. सुरक्षा पर ध्यान दे. इसके साथ शहर के कुछ खास इलाकों में भी टीम अगर सक्रिय रहे तो छेड़खानी की शिकार लड़कियां कम होंगी. सुरक्षित समाज के लिए सभी को साथ मिल कर आगे आना होगा. पुलिस प्रशासन को अपना नजरिया बदलना होगा.
लड़कों के संस्कार पर ध्यान देने की जरूरत
ज्योति आर्या कहती है कि घर से लड़कों को सिखाने की जरूरत है. लड़कियों की तरह लड़के भी घर की इज्जत होती है. माता और पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को समझाएं. लड़के की गलतियों के कारण ही लड़कों पर लड़कियां ज्यादा परेशान होती है. परिवार के लोग अपनी इज्जत बचाने में लगे रहते हैं. कई परिवार अपनी बेटी को सिर्फ शादी के लिए पढ़ाते हैं. लड़कियों को हमेशा कमजोर समझा जाता है. अगर छेड़खानी को जड़ से समाप्त करना है तो इसकी शुरुआत घरों से होनी चाहिए.
किसी ने किया समर्थन तो किसी ने विरोध
मनचलों को पकड़ना एकदम सही कदम
मैं इस तरह के स्क्वायड से सहमत हूं. मनचलों को पकड़ना सही बात है. समाज की स्वच्छता पुलिस की जिम्मेदारी है . उन एरिया में पुलिस को सादी वर्दी में रहना चाहिए जहां छेड़छा की घटना ज्यादा होती है.
सूर्योदय कुमार, अनिसाबाद
गुप्त रखी जाये लड़कियों की पहचान
रोमियो स्क्वायड अच्छा है. मनचलों की हरकतों और उनकी फब्तियों से निजात दिलायेगा. लेकिन पुलिस को इस बात का ख्याल रखना होगा कि लड़कियों की पहचान गुप्त रखे . यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी है.
इंदिराकांत, पाटलीपुत्र कॉलोनी
मनचलों पर लगानी होगी लगाम
मैं इस तरह के प्रावधान से बिल्कुल सहमत हूं. हमारा कॉलेज गर्ल्स कॉलेज है और हमारे यहां छेड़खानी जैसी घटनाएं घटती रहती हैं. बस प्रशासन को सख्त होना होगा और इन मनचलों पर लगाम लगानी होगी.
डॉ शशि सिंह, प्राचार्या, जेडी वीमेंस कॉलेज
पुलिस-प्रशासन को कसनी होगी कमर
मैं इससे सहमत हूं. यहां भी इस तरह का प्रावधान होना चाहिए. बस प्रशासन को अपनी कमान कसनी पड़ेगी इन रोमियो के खिलाफ. कड़े कानून के साथ सजा मिलेगी तभी कुछ हो सकता है.
इंदूमति देवी, अप्सरा अपार्टमेंट
सिखानी होगी सेल्फ डिफेंस तकनीक
मेरे ख्याल से रोमियो स्क्वायड का गठन ही क्यों होना चाहिए जब हम अपनी लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की तकनीक सिखा सकते है. इस तकनीक की शिक्षा हमें स्कूल और कॉलेज लेबल पर ही देनी होगी.
प्रो सुहेली मेहता, मगध महिला कॉलेज
प्रशासन की भागीदारी भी बेहद जरूरी
इस तरह का प्रावधान लागू होना चाहिए लेकिन प्रशासन की भागीदारी भी जरूरी है. घर का परिवेश और परवरिश सही तरीके से होना जरूरी है. बेटियों को समानता का अधिकार मिलना चाहिए तभी आवाज बुलंद होगी.
सरोज देवी, बेऊर,अनिसाबाद
आवाज तो खुद ही बुलंद करनी होगी
स्क्वायड तबतक कारगर नहीं होगा जब तक इसका काम सही नहीं होता है. मेरे सामने ही कुछ लड़के मेरे कुछ फ्रेंड्स पर गंदे कमेंट्स कर रहे थे वहां पुलिस थी लेकिन उसने कुछ भी नहीं किया. आवाज खुद ही बुलंद करनी होगी .
सरवज्ञा, बीबीए सेकेंड इयर, एमएमसी
प्रशासन को निभानी होगी सक्रिय भूमिका
इस तरह का स्क्वायड तभी कारगर साबित होगा जब पुलिस और प्रशासन दोनों अपना सपोर्ट देगी. स्कूल से लेकर कॉलेज लेबल तक की लड़कियों को सेल्फ प्रोटेक्शन तकनीक सीखनी होगी.
प्रीति, बेली रोड
खुद में लाना होगा आत्मविश्वास
अगर इस तरह की हरकतें रोकनी हैं तो सबसे पहले खुद में इतना आत्मविश्वास लाना होगा कि गलत के खिलाफ आवाज उठायी जा सके. खुद को इतना ट्रेन कर लें कि कुछ हद तक अपना बचाव कर सके.
प्रतिभा, दानापुर केंट
बदलनी होगी लड़कों की मानसिकता
छेड़खानी कभी भी हो सकती है. आजकल तो लड़कियां फेस कवर करके चलती हैं, लेकिन फिर छेड़खानी की शिकार होती है. सबसे पहले लड़कों की मानसिकता को बदलना होगा. शुरुआत परिवार से ही करनी होगी.
अनुष्का, बाजार समिति