स्टार्टअप्स के लिए फायदेमंद प्रतिस्पर्धा

भारतीय स्टार्टअप इंडस्ट्री के लिए पिछला साल बेहतरीन रहा है. खासकर इ-कॉमर्स सेक्टर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गयी. इस दौरान फ्लिपकार्ट और अमेजन इंडिया के बीच व्यापक प्रतिस्पर्धा के अनेक साक्ष्य भी सामने आये. अनेक भारतीय स्टार्टअप बाजार में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं. इसमें प्रतिस्पर्धी माहौल की व्यापक भूमिका रही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2017 6:53 AM
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भारतीय स्टार्टअप इंडस्ट्री के लिए पिछला साल बेहतरीन रहा है. खासकर इ-कॉमर्स सेक्टर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गयी. इस दौरान फ्लिपकार्ट और अमेजन इंडिया के बीच व्यापक प्रतिस्पर्धा के अनेक साक्ष्य भी सामने आये. अनेक भारतीय स्टार्टअप बाजार में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं. इसमें प्रतिस्पर्धी माहौल की व्यापक भूमिका रही है़ बाजार में एकाधिकार के बावजूद सदैव नयेपन की ओर अग्रसर रहने से संभावित प्रतियोगिता की दशा में स्टार्टअप क्यों रहते हैं फायदे में, जानते हैं आज के स्टार्टअप आलेख में …
स्टार्टअप के लिए डायरेक्ट और इनडायरेक्ट दोनों ही मोरचों पर अनेक तरह की प्रतिस्पर्धा को झेलना होता है. ज्यादातर डायरेक्ट प्रतिस्पर्धी बिजनेस प्रोड्यूसिंग या समान बाजार में ठीक उसी प्रकार के उत्पाद बेचनेवाले हो सकते हैं और इनसे ही आपको असल चुनौती का सामना करना होता है. इनडायरेक्ट प्रतिस्पर्धी समान बाजार में हो सकते हैं, जो आपके जैसे उपभोक्ता को ही टारगेट करते होंगे, लेकिन आपसे इतर प्रोडक्ट और सेवाओं के जरिये, जो दूसरे सेक्टर्स के कारोबार को खत्म कर सकते हैं. फ्लिपकार्ट और अमेजन डायरेक्ट कंपीटीशन के बेहतरीन उदाहरण हो सकते हैं, जबकि इंटरटेनमेंट सेवाएं ऑनलाइन मुहैया करानेवाली नेटफ्लिक्स भारत में टीवी चैनलों के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकता है, क्योंकि यह दर्शकों के लिए एक नया विकल्प मुहैया करा रहा है. घरेलू तौर पर विकसित ओला टैक्सी को उबर जैसे इंटरनेशनल प्लेयर के साथ दो-दो हाथ करना पड़ रहा है. हालांकि, कठिन प्रतिस्पर्धा से स्टार्टअप्स पर अतिरिक्त दबाव पडता है, जिनके बारे में पहले से कोई अनुमान नहीं होता और आगे बढ़ने की राह में यह एक नया रोड़ा सामने आ जाता है, जिससे अनिश्चितता बढ़ जाती है. लेकिन, कई बार सफलता की राह में यह एक बूस्टर का काम भी
कर सकता है. स्टार्टअप इंडस्ट्री में कामयाबी तलाशने वाले ज्यादातर उद्यमी प्रतिस्पर्धी माहौल में ही पनपे हैं और कामयाब हुए हैं. कारोबारी माहौल के उन्नत होने के लिए प्रतिस्पर्धी प्रेशर एक तरह से सकारात्मक प्रेरक का काम करते हैं. इसके अनेक कारण हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :
आपके कारोबार की मान्यता
जब तक कॉपीकेट यानी आपकी ही तरह का कोई दूसरा स्टार्टअप नहीं आ जाता, तो ऐसे में प्रतिस्पर्धी मार्केट में भी आपके स्टार्टअप के कारोबार की भरपूर मांग बनी रहती है. जरूरी नहीं कि अासान समझे जानेवाले सेगमेंट में दाखिल होने पर भरपूर रिटर्न हासिल हो या ग्रोथ के मौके मिल ही जायें. जब भी कोई स्टार्टअप एक ऐसा प्रोडक्ट लॉन्च करे, जिसे बाजार में एक तरीके का संरक्षण हासिल हो, तब भी उसे यह निर्धारित करके चलना चाहिए कि बाजार में उसकी हालत ऐसी हो कि किसी तरह की विपरीत परिस्थिति आने की दशा में उसमें टिके रहने की क्षमता हो.
नियमित रूप से नये ग्राहक और नये सेगमेंट तलाशने की मजबूरीस्टार्टअप्स के लिए फंड्स और कामयाबी जैसी चीजें दिखने में आसान लगती हैं. लेकिन, इन सब चीजों को प्रतियोगिता के साथ हासिल करने से एक तरह से स्टार्टअप को अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकालने की तरह होता है, जिससे वह कामयाबी की राह पर आगे बढ सकता है. इससे उसकी अपने सेवाओं और उत्पाद पर गहरी नजर टिकी रहेगी और ग्राहकों की समस्याओं का बेहतर समाधान तलाशा जा सकता है. इससे स्टार्टअप को नियमित रूप से अपने लिए नये ग्राहक बनाने और नये सेगमेंट तलाशने के लिए मजबूर होना पडता है.
इनोवेशन को प्रोत्साहन
आपके दिलो-दिमाग में किसी प्रतियोगी के संदर्भ में कई बार संभावित चुनौतियां मंडरा रही होती हैं, जिस कारण आपको इनोवेशन की ओर फोकस करना चाहिए. इसका एक बड़ा फायदा यह होगा कि आप मार्केट में लीडर बन सकते हैं. ऐसे में इनोवेशन से जो प्रोडक्ट या सर्विस पैदा होगी, उसका मुकाबला करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा. ऐसे माहौल को बरकरार रखने से एक स्टार्टअप नियमित रूप से अपने प्रोडक्ट या सर्विस को बेहतर बनाये रखने में कामयाब हो सकता है.
दूसरों की गलती से सीखना
प्रतिस्पर्धा को बेहद नजदीकी से देखने पर आपको ऐसी बहुत सी जानकारियां मिलेंगी, जिनकी मदद से आपको अपने कारोबार को संचालित करने के लिए बेहतर तरीकों के बारे में पता चलेगा. यह दूरी मापनेवाले उस टेप या फीते की तरह काम करता है, जिससे आप स्वयं अपनी उपलब्धियों और प्रदर्शन को माप सकते हैं. उभरते हुए स्टार्टअप्स के लिए यह मूल्यवान सीख है. साथ ही यह आपको आपके कारोबार में मौजूदा लूपहोल्स को समझने और प्रतियाेगियों के मुकाबले उनसे निपटने की समझ भी विकसित करेगा.
नया और म्यूचुअल गंठजोड
कई बार प्रतियोगी आपस में टेक्नोलॉजी शेयरिंग, रिसर्च व डेवलपमेंट, एक-दूसरे उत्पादों को क्रॉस-प्रोमोट करने जैसी नीतियां अपनाते हुए गंठजोड़ कर सकते हैं, जिससे नयी संभावनाएं पैदा होने की उम्मीद बंधती है. भविष्य में एकीकरण किये जाने या अधिग्रहण के संदर्भ में ये चीजें आरंभिक फैक्टर के रूप में काम करती हैं.
ग्राहक संतुष्टि पर ज्यादा ध्यान
अपने उत्पाद या इंडस्ट्री में एकाधिकार कायम कर चुके बडे कारोबारियों को भी नियमित रूप से कुछ-न-कुछ नया करते रहना चाहिए यानी नयापन लाते रहना चाहिए, ताकि बाजार में उसकी हिस्सेदारी में कोई सेंधमारी नहीं कर सके यानी उसके ग्राहकों को कोई नया कारोबारी अपनी ओर नहीं खींच सके. ऐसी दशा में स्टार्टअप्स को हमेशा नये समाधान और सेवाओं की तलाश करते रहनी होती है, जो कारोबार को आगे बढ़ाते रहने में मददगार साबित होता है. इससे मूल्य के ढांचे को तोड़ा जा सकता है और संगठन व ग्राहक के बीच के संवाद में आनेवाले गैप को कम किया जा सकता है.
देखा गया है कि ऐसे स्टार्टअप्स, जो ठसमठस बाजार में कूद पड़ते हैं, इस बात की व्यापक आशंका रहती है कि वे सालभर के भीतर दम तोड़ देंगे. लेकिन, यदि उसने खुद को बाजार में बनाये रखा, तो इस बात की संभावना व्यापक रूप से बढ़ जाती है कि वह ठसमठस बाजार में भी खुद को लंबे समय तक टिकाये रख सकता है.
(इंक42 डॉट कॉम पर प्रकाशित विक्रम उपाध्याय की रिपोर्ट का अनुवादित और संपादित अंश, साभार)
ज्यादातर स्टार्टअप्स इसलिए नहीं असफल होते कि वे प्रतियोगी नहीं बनते, इसलिए होते हैं कि वे संघर्ष नहीं करते. प्रतियोगिता आपको अपने क्षेत्र में आगे बढाये रखती है और चीजों को बेहतर बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध करती है.
धर्मेश शाह, हबस्पॉट के सह-संस्थापक और सीटीओ
नये आइडियाज के िलए करें िवविध लोगों से बातचीत
सबसे पहले आप यह जान लें कि स्टार्टअप कमजोर दिलवालों के लिए नहीं है. हालांकि, बडी संख्या में लोगों ने स्टार्टअप से जुड़ने के बाद कामयाबी हासिल की है, लेकिन बडी सफलता उन्हीं लोगों को मिलती है, जो रोज कुछ-न-कुछ सीखते हैं. स्टार्टअप को कैसे बरकरार रखा जाये, इस बारे में कोई दूसरा आपको बेहतर सीख बड़ी मुश्किल से दे सकता है. इसका कोई तय ब्लूप्रिंट नहीं है, लेकिन इसके लिए इन तथ्यों को अमल में लाया जा सकता है :
– लोगों से बातचीत : स्टार्टअप शुरू करनेवाले ज्यादातर लोग अपनेआइडिया के बारे में बात करने से हिचकिचाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि शायद दूसरा व्यक्ति कहीं उनका आइडिया चुरा न ले या फिर कोई उद्यमी यह न समझे कि कैसी मूर्खतापूर्ण बात करता है. विविध प्रकार के लोगों- ग्राहकों, सलाहकारों, विशेषज्ञों, सक्षम निवेशकों और मीडिया- से बात करने में हिचकिचाएं नहीं. ऐसे में आप अपने आइडिया के संबंध में किसी का सकारात्मक फीडबैक पाने से वंचित रह सकते हैं. जितना ज्यादा आप लोगों से बात करेंगे, उतना ज्यादा आपका आइडिया रिफाइन होगा और उससे कुछ नया निकल कर आयेगा, जो आपके ग्राहकों के लिए वास्तविक रूप से युक्तिसंगत होगा. कोई प्रोटोटाइप डिजाइन करने से पहले आप अपने ज्यादा-से-ज्यादा ग्राहकों से जरूर बात करें.
– जरूरी नहीं कि रुचि रखनेवाले रकम का भुगतान करेंगे ही : ज्यादातर स्टार्टअप अत्यधिक प्रतिभाशाली तकनीकी दिमागवाले लोगों द्वारा शुरू किये जाते हैं, जो कुछ ऐसी अनोखी चीज बनाते हैं, जिसे समझना कई बार आम लोगों के लिए मुश्किल होता है. लोग यह तय नहीं कर पाते हैं कि उस प्रोडक्ट के जरिये उनकी वास्तविक समस्या का समाधान कैसे हो सकता है. सुनने में भले ही आसान लगता हो, लेकिन किसी खास आइडिया के लिए लोग बड़ी मुश्किल से रकम भुगतान करेंगे. इसके लिए सर्वे कराना चाहिए, ताकि यह जाना जा सके कि लोग आपके आइडिया को पसंद कितना करते हैं और उसके लिए रकम कितनी चुका सकते हैं. कई बार लोग आपके आइडिया या प्रोडक्ट की तारीफ तो करेंगे, लेकिन जरूरी नहीं कि बाजार में आने पर उसे खरीद ही लें.
– संतुलन जरूरी : आपको बेहद तेजी और निष्क्रियता के बीच संतुलन कायम करना होगा. यानी संतुलन बनाते हुए जिस तरह आप तेज दौड़ लगाते हैं, उसी सिद्धांत को स्टार्टअप में अप्लाइ करना है. तेज दौड़ने से कभी मत नहीं डरें, लेकिन गिरने से पहले खुद को संभाल लें. यदि आप ऐसा महसूस करें कि अब आप गिरने ही वाले हैं, तो वह सही स्पीड हो सकती है. सफलता की राह भले ही अक्सर आसान नहीं होती, लेकिन यदि आप इन चीजों को ध्यान में रखेंगे, तो निश्चित तौर पर आपको कामयाबी मिलेगी.
स्टार्टअप क्लास
ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हो सकता है एफएम रेडियो स्टेशन का कारोबार
दिव्येंदु शेखर
स्टार्टअप, इ-कॉमर्स एवं फाइनेंशियल प्लानिंग के िवशेषज्ञ
– ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में अनेक जगहों पर लोकल एफएम रेडियो लोकप्रिय हो रहे हैं. फिलहाल इस संबंध में क्या हैं नियम-कानून और कितनी लागत आती है इसे शुरू करने में, विस्तार से बतायें.
रेडियो, खासकर एफएम रेडियो एक लोकप्रिय माध्यम बनता जा रहा है. इसका कारण है कि यह एक ऐसा माध्यम है, जो आप अपने साथ कहीं भी ले जा सकते हैं और साथ ही आवाज की क्वालिटी भी हर समय अच्छी रहती है. शहरों में बड़े एफएम चैंनलों ने पहले से पैठ बनायी हुई है, इसलिए उनसे कंटेंट और विज्ञापन की लड़ाई करने का कोई फायदा नहीं है. हां, अगर आप गांव में छोटे एफएम चैनल खोल सकते हैं, तो यह एक अच्छा उद्यम है. एफएम रेडियो दो प्रकार से चल सकते हैं :
(क) साधारण एफएम चैनल : आपको एक स्टेशन स्थापित करना होगा, जो 40 वर्ग किमी या उससे ज्यादा की दूरी तक रेडियो प्रसारण कर सके. इसके लिए आपको इन्फार्मेशन और ब्रॉडकास्टिंग मंत्रालय से संपर्क कर एक कॉमर्शियल लाइसेंस लेना होगा. यह थोड़ा खर्चीला काम है. साथ ही 2-3 महीने का समय भी लगेगा.
(ख) कम्युनिटी रेडियो : कम्युनिटी एफएम रेडियो लाइसेंस 12 महीने के लिए मिलता है, जिसे आप हर साल ले सकते हैं. साथ ही यह सस्ता भी है. लेकिन इसमें कुछ कड़ी शर्ते हैं, जैसे कि कार्यक्रम में स्थानीय लोगों की भागेदारी होनी चाहिए और साथ ही विज्ञापनों पर भी कड़ी शर्तें होती हैं. आप मंत्रालय से इस बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
लोकल ट्रांसपोर्ट में कार शेयरिंग, बाइक और साइकिल का इस्तेमाल
– मैं पटना जैसे शहर में साइकिल चलित लोकल ट्रांसपोर्ट का काम करना चाहता हूं. सलाह दें.
आपका विचार अच्छा है. बड़े शहरों में गाड़ियों के धुएं से होने वाले प्रदूषण के कारण साफ ट्रांसपोर्ट पर काफी ध्यान दिया जा रहा है. इस कारण से साइकिल या कार व बाइक शेयरिंग पर काफी ध्यान दिया जा रहा है. आप इन तीनों व्यवसायों पर ध्यान दे सकते हैं. जानते हैं इन सारे व्यापार में क्या होता है :
(क) कार शेयरिंग : आजकल हर शहर में कार शेयरिंग पर काफी काम हो रहा है. ज्यादातर लोग कार का इस्तेमाल ऑफिस जाने के लिए करते हैं. इसीलिए काफी स्टार्टअप अपनी वेबसाइट पर वैसे लोगों को जोड़ते हैं, जो एक ही इलाके में रहते हैं और जिनके काम करने का इलाका भी एक ही है. इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि आप जिन लोगों को जोड़ रहे हैं, उनको जांच-परख कर ही जोडें, ताकि सुरक्षा में कोई खामी नहीं आये. साथ ही यह वेबसाइट लोगों को पेट्रोल का पैसा वेबसाइट पर जमा करने को कहते हैं, जो बाद में कार के मालिक को दिया जाता है. अपनी कमाई के लिए ये वेबसाइट इस पेट्रोल के पैसे से थोड़ा कमीशन काट के रखती हैं. ‘ब्लाह ब्लाह कार’ एक ऐसी ही वेबसाइट है, जिसे आप देख कर कुछ सीख सकते हैं.
(ख) बाइक : दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में बाइक टैक्सी काफी पसंद की जा रही है. सड़कों पर कार के कारण काफी जाम और प्रदूषण होता है. इस कारण से बाइक टैक्सी काफी प्रचलित हो रही है, क्योंकि यह एक सवार के साथ कम जगह घेरती है और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी जा सकती है. साथ ही यह सस्ती भी होती है. इस व्यापार को शुरू करने के लिए आपको पूंजी की भी कम जरूरत होती है. 10-12 बाइक के साथ शुरू करने के लिए आपको दो से तीन लाख रुपये ही डालने होंगे. ज्यादा जानकारी के लिए आप बैक्सी जैसी कंपनियों के बारे में पढ़ें.
(ग) साइकिल : शहरों में आखिरी पड़ाव तक पहुंचने के लिए अभी तक ऑटो की सवारी की जाती थी, लेकिन आजकल साइकिल काफी प्रचलित होती जा रही है. दिल्ली जैसे शहर में ज्यादातर मेट्रो स्टेशन के बाहर एक साइकिल स्टैंड होता है, जहां से आप साइकिल किराये पर ले कर कहीं भी जा सकते हैं. इससे कोई प्रदूषण भी नहीं होता है. इसीलिए इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है.
केरल आयुर्वेदिक पद्धति का बढ रहा प्रचलन
– मैं केरल से आयुर्वेदिक मालिश का कोर्स करना चाहता हूं. इसके बाद किस प्रकार के व्यवसाय किये जा सकते हैं?
देखिये, केरल आयुर्वेदिक पद्धति काफी पुरानी है और काफी प्रचलित भी. शिरोधारा जैसी पद्धति काफी बड़े पैमाने पर ब्लड प्रेशर और तनाव से होने वाली बीमारियों को भागने के काम में लायी जाती है.
आयुष मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों में भारतीय आयुर्विज्ञान को प्रचलित करने के लिए काफी पैसे खर्च किये हैं. साथ ही लोग भी इस विधा की तरफ आकर्षित हुए हैं. इसका मुख्य कारण इसका सीधा और सरल होना है. आप इसकी ट्रेनिंग लेकर काफी काम कर सकते हैं. सबसे पहले तो आप एक-दो साल किसी आयुर्चिकित्सा क्लिनिक में काम करें. एक बार जब आपका हाथ जम जाये, तो आप अपना क्लिनिक भी खोल सकते हैं.
साथ ही आजकल कई सरकारी आयुर्वेदिक अस्पताल भी खुल गये हैं, जहां आप नौकरी भी कर सकते हैं. मेरी सलाह रहेगी की सिर्फ ट्रेनिंग ही न लें, बल्कि साथ में एक डिग्री कोर्स भी कर लें, ताकि आपके लिए सरकारी नौकरी में जाने का विकल्प भी रहे.
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