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निरस्त्रीकरण : महाविध्वंसक परमाणु हथियारों के साये में धरती

दुनियाभर में आज नौ देशों- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तरी कोरिया के पास 17 हजार से अधिक परमाणु हथियार हैं जो इस धरती को कई दफा खत्म करने की क्षमता रखते हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि 1945 से 1990 के बीच 70 हजार से अधिक परमाणु मिसाइलें और बम […]

दुनियाभर में आज नौ देशों- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तरी कोरिया के पास 17 हजार से अधिक परमाणु हथियार हैं जो इस धरती को कई दफा खत्म करने की क्षमता रखते हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि 1945 से 1990 के बीच 70 हजार से अधिक परमाणु मिसाइलें और बम बनाये जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश को नष्ट कर दिया गया है.
दशकों पहले हिरोशिमा और नागासाकी पर किये गये शुरुआती परमाणु हमले के बाद से इन हथियारों को पूरी तरह से हटाने या उन्हें सीमित करने या उनका इस्तेमाल न करने जैसे मुद्दों पर लगातार चर्चाएं होती रही हैं तथा इस संबंध में कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और समझौते भी किये गये हैं. इन कोशिशों के बावजूद मानवता परमाणु युद्ध की आशंकाओं से नहीं उबर सकी है.
इसी सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महाविनाश के हथियारों को पूरी तरह से हटाने के लिए सम्मेलन का आयोजन किया है, परंतु अमेरिका, रूस, भारत जैसे परमाणु-शक्ति संपन्न देशों के साथ अनेक प्रभावशाली देश इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं. ऐसे में इस सम्मेलन की सफलता पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है. संयुक्त राष्ट्र की इस बैठक के बारे में जानकारी के साथ विभिन्न देशों के बहिष्कार के कारणों का विश्लेषण आज के इन-डेप्थ में…
संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन
परमाणु हथियारों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में चर्चा हो रही है. यह अपने तरह की पहली बैठक है. पिछले साल अक्तूबर में करीब 123 देशों ने इस सम्मेलन के आयोजन की घोषणा की थी. इसका उद्देश्य एक ऐसे समझौते पर पहुंचने का है, जिसके तहत महाविनाश के हथियारों पर कानूनी पाबंदी होगी और सदस्य देशों को इसे मानना होगा.
घोषित या अघोषित रूप से ऐसे हथियार रखनेवाले अधिकतर देशों ने तब इस प्रस्ताव का विरोध किया था और वे इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. ब्रिटेन, फ्रांस, इजरायल, रूस और अमेरिका ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया था, जबकि चीन, भारत और पाकिस्तान मतदान से बाहर रहे थे. यह भी उल्लेखनीय है कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का एकमात्र भुक्तभोगी देश जापान ने भी सम्मेलन बुलाने का विरोध किया था. उसका तर्क था कि बातचीत में आम सहमति की कमी से प्रभावी निरस्त्रीकरण की ओर बढ़ने में अड़चन आ सकती है.
सम्मेलन के पक्षकारों की अगुवाई करनेवाले मुख्य देश ऑस्ट्रिया, आयरलैंड, मेक्सिको, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और स्वीडन हैं. इस अभियान में सैकड़ों स्वयंसेवी संस्थाओं का भी समर्थन प्राप्त है. पाबंदी के समर्थकों का कहना है कि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रमों से बढ़ते तनाव तथा अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के अनिश्चित रवैये की वजह से परमाणु विनाश का खतरा गंभीर हो रहा है. उनका यह भी तर्क है कि सफल जमीनी आंदोलनों के चलते 1997 में बारूदी सुरंगों तथा 2008 में एकमुश्त भारी बमबारी पर रोक लगायी गयी.
परमाणु हथियारों पर रोक लगाने की मांग करनेवाले संगठनों के अंतरराष्ट्रीय मंच इंटरनेशनल कैंपेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वीपंस की निदेशक बिएत्रिस फिन के अनुसार, 1968 के परमाणु अप्रसार संधि के तहत निरस्त्रीकरण करने के वादे करने के बावजूद महाशक्तियों और अन्य कई देशों द्वारा परमाणु हथियारों की बढ़त रोकने के लिए हाल के वर्षों में खास प्रगति नहीं हुई है.
परमाणु-शक्ति संपन्न देशः कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
– इजरायल ने कभी भी अपने परमाणु कार्यक्रमों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है और उसने इस बात को स्वीकार भी नहीं किया है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं. हालांकि अमेरिकी खुफिया विभाग यह मानता है कि इजरायल के पास अनुमानत: अस्सी परमाणु बम हैं.
– ईरान पर गुप्त रूप से परमाणु बम बनाने का आरोप था. संयुक्त राष्ट्र की छत्रछाया में अमेरिका और रूस समेत कुछ महाशक्तियों के साथ ईरान के समझौते के बाद पारदर्शिता आयी है. ईरान पर से आर्थिक प्रतिबंध भी हटा दिया गया है.
– स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के अनुसार, कानूनी रूप से परमाणु शक्ति संपन्न पांच देशों- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका नयी तकनीकों के जरिये इन हथियारों को बनाने और तैनात करने में लगातार लगे हुए हैं.
– रूस और अमेरिका ने आपसी समझौते के तहत अपने हथियारों की संख्या में कटौती की है, लेकिन अभी भी उनके पास कुल सक्रिय हथियारों का 93 फीसदी जखीरा है.
– अमेरिका और रूस के पास क्षमता है कि वे मंजूरी मिलने के कुछ मिनटों के भीतर अपने परमाणु हथियार दाग सकते हैं. रिपोर्टों की मानें, तो चीन और पाकिस्तान ने अपने हथियारों को प्रक्षेपास्त्रों से अलग रखते हैं.
अमेरिका समेत 40 देश भी कर रहे हैं बहिष्कार
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हाले ने अपने देश और करीब 40 अन्य देशों की ओर से परमाणु हथियारों पर पूर्ण पाबंदी के लिए बुलाये गये सम्मेलन का बहिष्कार करने की घोषणा की है. उन्होंने इस प्रस्ताव को ‘बचकाना’ कहा है तथा चेतावनी दी है कि इसका फायदा उत्तर कोरिया जैसे ‘बुरे तत्व’ उठायेंगे.
हाले ने कहा है कि आज के माहौल में परमाणु हथियारों पर रोक हमें और हमारे सहयोगी देशों के लिए खतरों को बढ़ा देगी तथा उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों को ताकतवर बनायेगी जो सम्मेलन के प्रस्ताव को नहीं मानेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने परिवार के लिए परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया चाहती हैं, पर हमें हकीकत को परे रख कर नहीं चलना चाहिए.
अमेरिका और उसके सहयोगी देश मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र को 1968 के परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के अनुरूप आगे बढ़ना चाहिए. इस संधि में यह स्वीकार किया गया है कि पांच देश- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन- अपने हथियार रखेंगे तथा दुनिया में ऐसे हथियारों के प्रसार पर अंकुश लगाने की कोशिश करेंगे. उल्लेखनीय है कि ये पांचों देश सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य भी हैं. दिलचस्प है कि उत्तर कोरिया 2003 तक इस संधि का हिस्सा था और उसके बाद से उसने कथित तौर पर चार से पांच परमाणु परीक्षणों को अंजाम दिया है.
भारत नहीं शामिल सम्मेलन में
न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में चल रहे सम्मेलन में बड़ी परमाणु महाशक्तियों के साथ भारत भी हिस्सा नहीं ले रहा है. बीते अक्तूबर में सम्मेलन के आयोजन के लिए लाये गये प्रस्ताव के दौरान भारत ने मतदान में भी भाग नहीं लिया था.
तब भारत ने कहा था कि उसे भरोसा नहीं है कि ऐसा कोई भी सम्मेलन परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की दिशा में पहल कर सकेगा. भारत के मुताबिक, जेनेवा स्थित कॉन्फ्रेंस ऑन डिसार्मामेंट ही एकमात्र ऐसा बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण मंच है, जहां ऐसी चर्चाएं होनी चाहिए.
महाविनाश के हथियारों पर पाबंदी लगाने और उन्हें नष्ट करने के साथ उनके सत्यापन पर भी भारत का जोर है और उसका मानना है कि मौजूदा प्रक्रिया में यह पहलू नहीं है. इन आधारों पर भारत ने 31 मार्च तक चलनेवाले सम्मेलन में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है. जेनेवा के कॉन्फ्रेंस ऑन डिसार्मामेंट में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अमनदीप सिंह गिल ने कहा है कि न्यूयॉर्क सम्मेलन में शामिल नहीं होने का फैसला आसान नहीं था.
उन्होंने ऐसे हथियारों पर अंकुश लगाने के लिए किये जा रहे गंभीर प्रयासों की सराहना की और इस बात को रेखांकित किया कि पाबंदी के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता और व्यापक सहमति की दरकार है. गिल ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत उन देशों के साथ इस दिशा में सहयोग करता रहेगा जिनके प्रयासों से परमाणु हथियारों पर पाबंदी के लिए मौजूदा सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है.
किस देश के पास कितने परमाणु हथियार
रूस
कुल परमाणु हथियारों की संख्या : 7,300 (फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार)
सक्रिय हथियारों की सख्या :1,790
हटाये गये या नष्ट किये जानेवाले हथियारों की संख्या : 4,490
कुल परमाणु परीक्षण- लगभग 715 (आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार)
पहला परीक्षण : अगस्त, 1949
आखिरी परीक्षण : 1990
भारत
कुल परमाणु हथियार : 110 से 120
सक्रिय हथियारों की संख्या : 0, सभी संचित हैं. (फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार)
हटाये गये या नष्ट किये जानेवाले हथियारों की संख्या : 110 से 120
कुल परमाणु परीक्षणः
लगभग 3
पहला परीक्षण : मई, 1974
आखिरी परीक्षणः मई, 1998
अमेरिका
कुल परिमाणु हथियार : 6,970 सक्रिय हथियारों की सख्या : 1,750 हटाये गये या नष्ट किये जानेवाले हथियारों की संख्या : 4,670 कुल परमाणु परीक्षणः लगभग 1,030 पहला परीक्षण : जुलाई, 1945 आखिरी परीक्षण : सितंबर, 1992.
चीन
कुल परमाणु हथियारों की संख्या : 260
सक्रिय हथियारों की सख्या : 0, सभी संचित हैं. (फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार)
हटाये गये या नष्ट किये जानेवाले हथियारों की संख्या : 260
कुल परमाणु परीक्षणः लगभग 45
पहला परीक्षण : अक्तूबर 1964
आखिरी परीक्षण : जुलाई, 1996
इजरायल
कुल परमाणु हथियारों की संख्या : 80
सक्रिय हथियारों की सख्या : 0, सभी संचित रखे हुए हैं. (फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार)
हटाये गये या नष्ट किये जानेवाले हथियारों की संख्या : 80
कुल परमाणु परीक्षणः 0 इजरायल ने एक भी प्रामाणिक परीक्षण नहीं किया है.
फ्रांस
कुल परमाणु हथियार : लगभग 300 सक्रिय हथियारों की सख्या : 280 हटाये गये या नष्ट किये जानेवाले हथियारों की संख्या : 10 कुल परमाणु परीक्षणः लगभग 210 पहला परीक्षण : फरवरी,
1960 आखिरी परीक्षण : जनवरी, 1996
पाकिस्तान
कुल परमाणु हथियारों की संख्या : 110 से 130
सक्रिय हथियारों की सख्या : 0
हटाये गये या नष्ट किये जानेवाले हथियारों की संख्या : 110 से 130
कुल परमाणु परीक्षणः लगभग 02
पहला परीक्षण : 28 मई, 1998
आखिरी परीक्षण : 30 मई, 1998
ब्रिटेन
कुल परमाणु हथियारों की संख्या : 215 सक्रिय हथियारों की सख्या : 120 हटाये गये या नष्ट किये जानेवाले हथियारों की संख्या : 95
कुल परमाणु परीक्षणः लगभग 45
पहला परीक्षण : अक्तूबर, 1952
आखिरी परीक्षण : नवंबर, 1991
उत्तर कोरिया
कुल परमाणु हथियार : अज्ञात. अमेरिका का कहना है कि खुफिया जानकारी के अनुसार इस देश के पास परमाणु हथियारों के लिए काफी प्लूटोनियम है और यह दूर तक मार कर सकनेवाले मिसाइल सिस्टम के लिए कदम उठा चुका है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान में उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियारों को तैयार करने की तकनीक नहीं है.
कुल परमाणु परीक्षणः लगभग 4 पहला परीक्षण : अक्तूबर, 2006 आखिरी परीक्षण : जनवरी, 2016

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