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मार्केटिंग स्ट्रेटजी तय करने में कैसे मदद कर रहा

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है़ कहा जाये कि तकनीक हमें संचालित कर रही है, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. संवाद के लिए आज गूगल के फीचर हमारे लिए एक प्रकार से पर्सनल असिस्टेंट की भूमिका निभा रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित होने वाले एप्लीकेशन न केवल हमारे विविध कार्यों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2017 5:51 AM
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
तकनीक पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है़ कहा जाये कि तकनीक हमें संचालित कर रही है, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. संवाद के लिए आज गूगल के फीचर हमारे लिए एक प्रकार से पर्सनल असिस्टेंट की भूमिका निभा रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित होने वाले एप्लीकेशन न केवल हमारे विविध कार्यों को पूरा कर रहे हैं, बल्कि उनके जरिये बेहतर नतीजे भी हासिल किये जा रहे हैं.
ऐसे में उद्यमियों के लिए ग्राहकों की प्राथमिकता व भौगोलिक स्थिति, उनकी बोली और उनके द्वारा किये जा रहे डिजिटल कार्यकलापों को समझना आसान हो रहा है़ इससे आखिरी-उपभोक्ता तक पहुंचने वाली सूचनाएं ज्यादा प्रासंगिक हो रही हैं. ऐसे में एक उद्यमी को मार्केटिंग स्ट्रेटजी बनाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कितना सहायक साबित हो रहा है, जानते हैं आज के स्टार्टअप आलेख में …
गूगल और एप्पल जैसे बडे ब्रांड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दायरा असीमित कर रही हैं. ये कंपनियां उद्यमियों को ऐसी सुविधाएं मुहैया करा रही हैं, जिनके जरिये मार्केटिंग का काम दिन-ब-दिन आसान और सुविधाजनक हो रहा है. दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सही मायने में समझ चुके उद्यमी अपनी मार्केटिंग रणनीति को इसके सहयोग से ही तय करते हैं.
ऑटोमेटेड प्रोग्राम के जरिये ऐसे उद्यमी अपने सक्षम ग्राहकों तक आसानी से पहुंचने में कामयाब होते हैं. इससे न केवल उनके लिए नये मौके पैदा होते हैं, बल्कि उनका कारोबार तेजी से बढता है. इसका बड़ा कारण यह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ बडी खूबी का होना, जिसके जरिये किसी ग्राहक को सवाल पूछने पर रात के दो बजे भी उसका जवाब दिया जा सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने बिजनेस और मार्केटिंग के गैप को पाटने में अहम भूमिका निभायी है, जो आज से महज कुछ वर्षों पूर्व तक कुछ हद तक मुश्किल समझा जा रहा था.
मशीन लर्निंग की प्रक्रिया में हासिल की गयी व्यापक उपलब्धि, गहन नेटवर्क और ऑटोमेशन व प्रोग्राम्स आदि के जरिये विविध प्रकार के निर्दिष्ट सवालों का जवाब देने के लिए इसे किसी अतिरिक्त प्रोग्रामिंग की जरूरत नहीं होती है.आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन से इस प्रकार से ग्राहकों की अधिकतम जरूरतों को पूरा किया जा सकता है :
रिस्पॉन्स टाइम में सुधार होना
न्यू-एज मार्केटिंग वह चीज है, जिसमें सही समय पर सही समाधान पेश किया जाता हो. ‘इनसाइडसेल्स डॉट कॉम’ द्वारा किये गये एक अध्ययन में यह पाया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करनेवाले ब्रांड, किसी ग्राहक की ओर से सवाल खड़े करने पर शुरुआती पांच मिनट में जवाब देते हैं. ऐसे में जो अपने ग्राहकों को जवाब देने में आधे घंटे या उससे ज्यादा समय लगाते हैं, उनके मुकाबले जल्द जवाब देने वाले ब्रांड की ओर ग्राहकों का झुकाव ज्यादा होता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मार्केटिंग रणनीति से एकीकृत करने पर क्लाइंट के लिए परफेक्ट और समग्र समाधान प्रस्तुत किया जा सकता है. इससे बिक्री बढ़ती है और धीरे-धीरे अच्छा कारोबारी संबंध पैदा होता है.
ग्राहकों के व्यवहार की समझ
उपभोक्ताओं में खरीदने का खास पैटर्न होता है और उनकी खरीदने की क्षमता उनके उसके फैसले लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मार्केटिंग रणनीति से सटीक उपभोक्ता को टारगेट किया जा सकता है, क्योंकि इससे यह जानने में सुविधा होती है कि किसी खास ग्राहक की खरीदने की क्षमता कहां तक है. इसके लिए वह ग्राहक के पहले के आंकड़ों को खंगालता है और उसके मुताबिक उसकी क्षमता को तय करता है. इस कार्य में मशीन लर्निंग एलगोरिदम का सहयोग लिया जाता है. इसमें न तो उपभोक्ता से किसी तरह का सवाल किया जाता है और न ही उससे कोई आंकड़ा मांगा जाता है.
व्यापक नेटवर्क का विस्तार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑनलाइन इनगेजमेंट के लिए एडवांस्ड चैटबोट के अलावा फोन इंटरेक्शन के लिए वॉयस कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम की बड़ी खासियत है कि यह बिना बातचीत किये हुए बेहद करीबी आंकड़े निकालने में सक्षम पाया गया है.
समेकित ब्रांड अनुभव
अपने ग्राहकों तक पहुंचने के लिए एक संगठन मल्टीपल मार्केटिंग चैनल का इस्तेमाल करता है, जिसमें पारंपरिक या गैर-पारंपरिक दोनों ही तरीके शामिल होते हैं. इस लिहाज से ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को खंगालने के लिए ग्राहकों की बड़ी संख्या को इसे दायरे में लाना होता है.
इस तरीके में इस बात पर जोर दिया जाता है कि खास ग्राहकों द्वारा बताये गये अच्छे अनुभवों को ज्यादा-से-ज्यादा नये ग्राहकों तक पहुंचाया जा सके. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से ग्राहकों के समेकित ब्रांड अनुभव की बेहतर मार्केटिंग की जा सकती है और विविध मार्केटिंग चैनल के जरिये इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है. साथ ही इसके जरिये उपभोक्ताओं के रेस्पाॅन्स को रीयल-टाइम में जाना जा सकता है, जो मार्केटिंग रणनीति बनाने में मददगार साबित हाे सकती है.
क्लाइंट ट्रैकिंग
देखा गया है कि ग्राहक किसी संगठन के वेबसाइट पर विजिट तो करता है, लेकिन कोई ऐसा सवाल नहीं करता, जिस पर तरह का खास एक्शन लिया जा सके. यहां तक कि कई बार ग्राहक किसी प्रोडक्ट या सर्विस की समग्र जानकारी प्राप्त करने के बाद भी ऐसा नहीं करता है. इसका कारण क्या हो सकता है?
इसका कारण है कि आप यह नहीं जान पाते कि इस हद तक सक्रिय ग्राहक आखिरकार चाहता क्या है? आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन इस समस्या को दूर करने में सक्षम हो सकते हैं.
(इंक42 डॉट कॉम पर प्रकाशित अंबिका मिश्रा
की रिपोर्ट का संपादित व अनुवादित अंश, साभार)
सोशल मीडिया माइनिंग
‘स्टेटिस्टा’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक औसत इंटरनेट यूजर शोसल नेटवर्किंग साइट पर रोजाना 118 मिनट व्यतीत करता है.हालिया अनुमानों के मुताबिक मौजूदा समय में 3.5 अरब से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. इस कारण वर्षभर हाइ-वॉल्यूम के व्यापक डाटा और हाइ-वैलोसिटी क्युमुलेटिव डाटा बनते रहते हैं. सोशल मीडिया माइनिंग और सेंटीमेंट एनालिसिस के जरिये आपके बिजनेस मॉडल के अनुरूप प्रासंगित आंकड़े हासिल किये जा सकते हैं, जिससे आपको नये सिरे से मार्केटिंग स्ट्रेटजी तय करने में मदद मिल सकती है. साथ ही, आप अपने टारगेट कंज्यूमर तक आसानी से पहुंच सकते हैं.
दिनचर्या से इन बुरी आदतों को खत्म करें उद्यमी
अपने स्टार्टअप को तेजी से आगे बढाने के लिए ज्यादातर उद्यमी बेहद कठिन मेहनत करते हैं. हालांकि, अनेक उद्यमियों को कामयाबी हासिल होती है, लेकिन उन्हें अपनी दिनचर्या को संतुलित बनाना चाहिए और उसमें खानपान, आराम, अपनी हॉबी या पसंद की चीजों पर समय बिताने, परिवार व स्वास्थ्य आदि पर भी ध्यान देना चाहिए. जानते हैं इस संदर्भ में क्या हैं बुरी आदतें, जिन्हें प्रत्येक उद्यमी को रोजाना की दिनचर्या से खत्म करना चाहिए :
समय के विपरीत चलना : बिजनेस के ग्रोथ के लिए उद्यमी बेहद परिश्रम करते हैं और घंटों तक मीटिंग में व्यस्त रहते हैं. एक चीज आपको समझना चाहिए कि आपके पास भले ही कितना समय हो, लेकिन आप सभी चीजों को नहीं निपटा सकते. इसलिए विविध कार्यों के लिए विभिन्न विधा के माहिरों को रखें और अपने कामकाम के साथ स्वास्थ्य, पोषण, व्यायाम, नींद व अपनी हॉबीज का भी ध्यान रखें. खुद को छोटी-छोटी चीजों में उलझाये रखने पर आप बडी चीज नहीं हासिल कर पायेंगे.
स्पष्ट बोलनेवालों को तरजीह दें : प्रत्येक समय हम सभी चीजों पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं. निर्णय लेने की प्रक्रिया के दौरान हमें अन्य लोगों के विचारों को भी सुनना व समझना चाहिए. ऐसे लोगों को तरजीह देनी चाहिए, जो अपने विचार पूरी स्पष्टता से रखते हों और हमारे लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने विचार के तौर पर योगदान देते हों.
जरूरत से ज्यादा समर्पण : मौजूदा समय में सूचना हासिल करने के स्रोतों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गयी है और दिन-ब-दिन इसमें तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में क्लाइंट्स की ओर से उद्यमी के पास लगातार इमेल और अन्य माध्यमों से सूचना आती रहती है. यह भी एक बड़ी बाधा है, जो आपकी उत्पादकता को प्रभावित करती है. खासकर जब आप किसी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम करते रहते हैं और कुछ देर के लिए आपका ध्यानभंग होता है.
आत्मसंतुष्टि : यदि आप खुद को स्थिरावस्था में पाते हैं और आप उससे संतुष्ट रहते हैं, तो आपको आत्मसंतुष्टि के दौर से बाहर निकलना होगा. इस दशा में ज्यादा देर तक रहना ठीक नहीं है. काम में ठहराव नहीं आना चाहिए और आपको निरंतर ग्रोथ की ओर बढते रहना चाहिए.
हमेशा बड़ी चीजों पर करें फोकस : कई बार रोजाना की चुनौतियों से निपटते-निपटते उद्यमी अपने खास लक्ष्य से भटकने लगता है. इसलिए इससे आपको बचना चाहिए. हो सकता है कि कोई दिन आपके लिए बेहतर न रहे. लेकिन आपको निराश नहीं होना चाहिए और हमेशा बड़ी चीजों की ओर खुद को फोकसकरना चाहिए.
स्टार्टअप क्लास
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत गांवों में भी शुरू कर सकते हैं उद्यम
– डिजिटल इंडिया के तहत क्या कोई ऐसा कार्यक्रम है, जिसके माध्यम से गांवों और कस्बों में किसी खास तरीके का उद्यम शुरू किया जा सकता है? कृपया विस्तार से बतायें. – बसंत कुणाल, धनबाद
देखिये, डिजिटल इंडिया एक ऐसी स्कीम है, जिसके तहत सरकार काफी सारी सुविधाओं जैसे कि टैक्स, बिजली कनेक्शन या रसोई गैस को ऑनलाइन कर रही है. इसका मुख्य कारण है कि हर इलाके में ऑफिस खोलना महंगा है. लेकिन अगर ये सुविधाएं ऑनलाइन या मोबाइल पर उपलब्ध होंगी, तो लोग ज्यादा-से-ज्यादा तरीके से उनसे जुड़ पायेंगे. हालांकि, इसमें सबसे बड़ी परेशानी तीन तरीके की है :
(क) संचार साधनो की कमी : गांव में मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि तो पहुंच गये हैं, लेकिन अभी भी इंटरनेट कम ही लोग इस्तेमाल कर पाते हैं. क्योंकि गांव में नेटवर्क या तो धीमा होता है या फिर थ्रीजी से भी कम स्पीड का होता है. ऐसे में लोगों को वेबसाइट या एप्प इस्तेमाल करने में दिक्कत होती है.
(ख) मोबाइल डाटा की कमी : गांव में लोग मोबाइल डाटा इस्तेमाल करने से कतराते हैं. पहले तो इसलिए, क्योंकि यह खर्चीला है, दूसरा इसलिए कि उन्हें इसका इस्तेमाल करना नहीं आता है. उनको लगता है कि विडियो देखने में भी उतना मोबाइल डाटा खर्च होता है, जितना कि एक भुगतान करने में जबकि ऐसा है नहीं.
(ग) फोन की क्वालिटी की परेशानी : ज्यादातर लोग स्मार्टफोन की जगह फीचर फोन खरीद लेते हैं, जिसके जरिये इंटरनेट संबंधी काम नहीं किया जा सकता है. अब सवाल यह है कि गांवों में डिजिटल इंडिया स्कीम को बढ़ावा देने के लिए क्या किया जाये.
आइये देखते हैं कि इन मुश्किलों से कैसे आगे बढें :
(क) डिजिटल कियोस्क : सरकार डिजिटल कियोस्क की तरफ काफी काम कर रही है. यह एक ऐसी छोटी सी दुकान या दुकानों की सीरीज होगी, जो हर गांव तक सरकारी सुविधाएं पहुंचायेगी. एक डिजिटल कियोस्क के पास एक लैपटॉप और एक स्मार्टफोन होगा, जिसके द्वारा ये गांव के लोगों को सरकारी सुविधाएं मुहैया करवा पायेगा. आप ऐसे डिजिटल कियोस्क खोल कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सरकार आपको इसके लिए मदद भी प्रदान कर सकती है.
(ख) वाइ-फाइ : सरकार हर पंचायत को इंटरनेट से जोड़ने का काम कर रही है. गांवों में वाइ-फाइ की सुविधा पहुंचाने के लिए काफी सारे टेंडर निकले हैं. आप ये काम भी कर सकते हैं.
(ग) डिजिटल ट्रेनिंग : सरकार प्रत्येक व्यक्ति को डिजिटल माध्यम की शिक्षा देना चाहती है. इसके लिए सरकार ने काफी सारे स्वयंसेवी संस्थानों को काम दिया है. आप भी ऐसा ही एक संस्थान खोल कर इस काम को आगे बढ़ा सकते हैं.
बदल रहा है कर्ज मुहैया कराने का कारोबार
– पर्सन-टू-पर्सन फाइनेंस क्या होता है? ऐसा व्यवसाय खोलने के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा? – समीर कुमार, मोतिहारी
भारत में उधार या ब्याज पर कर्ज देने का कारोबार बहुत पुराना है. पुराने जमाने में यह काम महाजन करते थे. आजादी के बाद जब नया बैंकिंग सिस्टम आया, तो धीरे-धीरे बैंक और फाइनेंशियल कंपनियों यह काम करना शुरू कर दिया. पिछले कुछ सालों में कर्ज देने के लिए अनेक नये तरीके सामने आये हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :
(क) स्माॅल फाइनेंस बैंक : ये ऐसे बैंक हैं, जो छोटे शहर या गांव में एक लाख या उससे कम रुपये का लोन देते हैं. इनकी ब्याज दर साधारण बैंक दर से थोड़ी ज्यादा होती है.
(ख) नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विसेज : यह ऐसी कंपनी होती है, जो किसी खास मकसद के लिए ही आपको लोन देती है. जैसे घर बनाने के लिए या फिर वाहन खरीदने के लिए. लोन के एवज में यह संपत्ति गिरवी रखवाती हैं और बाजार भाव पर आपको लोन देती हैं.
(ग) गोल्ड लोन : ऐसी अनेक कंपनियां हैं, जो आपके घर में रखे आभूषण और दूसरी सोने की चीजों के एवज में लोन देती हैं. इनकी ब्याज दर काफी ज्यादा होती है.
(घ) पी-टू-पी कर्ज : आपने इसी के बारे में पूछा है. ये ऐसी कंपनियां होती हैं, जो आपके मांगे हुए कर्ज को किसी दूसरे इनसान से फाइनेंस करवाती हैं. इसके लिए पहले आपको एक ऐसे समूह का जुगाड़ करना होगा, जो लोगों को कर्ज देना चाहें. एक बार आप 40-50 लोगों का समूह बना लेंगे, तो फिर आपको ग्राहक ढूंढने पड़ेंगे. आपका काम ग्राहक को कर्ज देने वाले से जोड़ने और उस कर्ज के कागज बनवाने का होगा. साथ ही आपको ग्राहक के कर्ज चुकाने की नीयत और उसके सामर्थ्य के बारे में भी पता करना पड़ेगा. इसके लिए आप ‘सिबिल स्कोर’ का इस्तेमाल कर सकते हैं.
हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक पी-टू-पी कर्ज के बारे में नियम तय नहीं किये हैं, लेकिन बेहतर होगा कि आप एक बार रिजर्व बैंक से इस व्यापार के बारे में पता कर लें.

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