स्वच्छ और कम लागत में ईंधन हासिल करने के दौर में, तेजी से बदलता ऊर्जा उद्योग
तेजी से भागती मशीनी दुनिया में ऊर्जा का महत्व बढ़ता जा रहा है और इसे हासिल करने के स्रोत भी तेजी से बदल रहे हैं. मौजूदा दौर में दुनिया में न केवल इस बात को लेकर बहस चल रही है कि सभी तक पर्याप्त ऊर्जा की पहुंच कायम होनी चाहिए, बल्कि यह भी कि वह […]
तेजी से भागती मशीनी दुनिया में ऊर्जा का महत्व बढ़ता जा रहा है और इसे हासिल करने के स्रोत भी तेजी से बदल रहे हैं. मौजूदा दौर में दुनिया में न केवल इस बात को लेकर बहस चल रही है कि सभी तक पर्याप्त ऊर्जा की पहुंच कायम होनी चाहिए, बल्कि यह भी कि वह स्वच्छ और कम लागत वाली होनी चाहिए. इन्हीं तथ्यों के संदर्भ में विविध देशों का इंडेक्स तैयार किया जाता है, जिससे अनेक नयी जानकारियां हासिल होती हैं. क्या है यह इंडेक्स और किस तरह की जानकारियां प्राप्त होती हैं इससे, समेत संबंधित अनेक अन्य पहलुओं के बारे में बता रहा है आज का साइंस टेक पेज …
मौजूदा समय में ऊर्जा के लिहाज से दुनिया एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. ‘वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम’ ने एनुअल एनर्जी आर्किटेक्चर परफॉरमेंस इंडेक्स रिपोर्ट (इएपीआइ) के रूप में इसे खास तौर पर रेखांकित किया है. संबंधित क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल एक अन्य संगठन ‘एक्सेंटर स्ट्रेटजी’ के सहयोग से इसे तैयार किया गया है. दरअसल, जिस तरीके से ऊर्जा का उत्पादन, खपत और वितरण किया जाता है, उसमें बेहद नाटकीय तरीके से बदलाव आ रहा है.
भविष्य में उपभोक्ता ही एनर्जी सिस्टम के केंद्र में होंगे, जो सूचना के समग्र पारदर्शिता के जरिये सशक्त होंगे. उनके पास इसे चुनने की पूरी आजादी होगी कि वे अपने लिए रीयल-टाइम में कैसी ऊर्जा का चयन करना चाहते हैं. इसमें लागत और सस्टेनेबिलिटी जैसे मसले को वे प्राथमिकता के आधार पर समायोजित कर सकते हैं. साथ ही वे यह भी तय कर सकते हैं कि हाइड्रोकार्बन और नॉन-हाइड्रोकार्बन स्रोतों में से किसे अपनाना चाहते हैं.
मौके को समझने, प्रोत्साहित करने व अपनाने की जरूरत
भविष्य में ऊर्जा क्षेत्र के इस तरह से बदलते परिदृश्य का अनुमान लगाते हुए कहा जा सकताहै कि कुछ खास देशाें में अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बदलाव हो सकते हैं. इएपीआइ की रिपोर्ट में खास तौर पर इसका जिक्र किया गया है कि जहां कई देशों ने अपने यहां मौजूद विंड पावर की क्षमता को समझा और उसके अनुरूप तेजी से काम शुरू किया है, वहीं कई देश इस मामले में अब तक बहुत पीछे हैं.
कमोबेश, दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से ज्यादातर को (जो दुनिया में ऊर्जा के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं) एनर्जी सेक्टर में पैदा हुए इस मौके को समझने और उसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है. इसके लिए इन देशों को निम्नलिखित तीन प्रमुख चीजों को अमल में लाना होगा :
– एनर्जी सेक्टर के लिए दीर्घकालीन दिशा-निर्देश तैयार करना और उसके लिए अपनी पूरी प्रतिबद्धता जताना.
– धारण करने योग्य नीतियों को विकसित करते हुए एनर्जी ट्रांजिशन को स्थापित करना.
– उन इलाकों में प्रत्यक्ष निवेश करना जहां इसका व्यापक असर पड़ सकता हो.
तेल और गैस कंपनियों के लिए भी ये कदम उठाना सकारात्मक है. वैश्विक स्तर पर जिस तरह से ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी हो रही है, बदलाव का अभूतपूर्व स्केल उसकी जगह ले रहा है. इस क्षेत्र में वास्तविक बदलाव न केवल लाइसेंस हासिल करने तक ही जरूरी है, बल्कि उसे इस तरह बनाये रखना भी है, ताकि भविष्य में वह आर्थिक रूप से मजबूत बना रहे. इसे हासिल करने के लिए कंपनियों को इस बारे में सोचना चाहिए कि उन्हें कैसे अपनी आगे की योजना बनानी चाहिए और किस तरह वे भविष्य में अपना अस्तित्व बरकरार रख सकते हैं.
प्रतिस्पर्धा को जानने की जरूरत
तेल और गैस कंपनियों को अपने पोर्टफोलिया का समग्रता से पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत होगी, जिसमें एनर्जी वैल्यू चेन को शामिल किया जाना चाहिए. इसका मतलब यह हुआ कि सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी और प्रभावी एसेट्स को पहचानने और उसमें निवेश करना होगा.
इसमें जीवाश्म ईंधन और गैर-जीवाश्म ईंधन को भी शामिल किया गया है, खासकर ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत के विरुद्ध ज्यादा प्रतिस्पर्धी प्रारूप को भी समझने की जरूरत है. इस लिहाज से यह महत्वपूर्ण होगा कि ऊर्जा की लागत को कम किया जा सके और इसे ज्यादा-से-ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके.
कैसे मिल सकती है कामयाबी
चूंकि ऊर्जा के क्षेत्र में केंद्र में अब उपभोक्ता होंगे, लिहाजा तेल व गैस कंपनियों को ‘बिजनेस मॉडल’ में बदलाव लाते हुए उसे प्रोवाइडर-सेंट्रिक यानी प्रदानकर्ता केंद्रीत से कस्टमर-सेंट्रिक यानी ग्राहक केंद्रीत बनाना होगा. ग्राहक के ज्यादा करीब होने का मतलब यह हो सकता है कि एंड-टू-एंड यानी आखिरी चरण तक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के वैल्यू चेन को एकीकृत करते हुए ग्राहकों पर बेहतर तरीके से फोकस किया जा सकता है और इसे प्लानिंग व पोर्टफोलियाे डिसीजन मेकिंग का मुख्य हिस्सा बनाना होगा. इन कंपनियों को भौगोलिक दशाओं को भी समझना होगा और उन ग्राहकों को समझना होगा, जो कम लागत वाली ऊर्जा चाहते हैं, ताकि उनके लिए ऊर्जा तैयार करने के सस्ते स्रोत तलाशे जा सकें. साथ ही उनके लिए ऊर्जा की मांग को बढ़ाया जा सके.
उभर रहे इकोसिस्टम में साझेदारी निभाने की जरूरत
इस बात को जानना कि कहां इन्हें संचालित करने की जरूरतहै, इसके लिए विविध प्रकार के नजरियों को अपनाना होगा, जो प्रत्येक मार्केट को अलग तरीके से सूट करेगा. इसका मतलब यह होगा कि यह भविष्य में नीतियों को आकार देने में मददगार होगा और जैसे-जैसे ये विकसित होंगे, उनके बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. सही स्रोतों में निवेश करना भी गंभीर मसला होगा और इसमें एनर्जी-संबंधी व लोगों और बुनियादी ढांचों जैसे अनेक स्थानीय टारगेट भी होने चाहिए.
ऑपरेटिंग मॉडल को इस तरह से बनाना होगा, जो इस क्षेत्र में हो रहे लगातार बदलावों को समयोजित कर सके यानी इसे फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करनी होगी. कंपनियों को साझेदारों के उभर रहे इकोसिस्टम्स में भागीदारी निभाने की जरूरत है, ताकी नये एनर्जी वर्ल्ड के दौर को नया आयाम मुहैया कराया जा सके. साथ ही नये माहौल में कार्यकलापों को कामयाब बनाने के लिए नयी डिजिटल तकनीकों में निवेश करने की जरूरत होगी.
(एक्सेंटर डॉट कॉम पर प्रकाशित एक्सेंटर स्ट्रेटजी, एनर्जी के मैनेजिंग डायरेक्टर मकसित अशरफ की रिपोर्ट
एनर्जी आर्किटेक्चर परफॉरमेंस इंडेक्स
रैंक देश स्कोर
1. स्विट्जरलैंड 0.80
2. नॉर्वे 0.79
3. स्वीडन 0.78
4. डेनमार्क 0.77
5. फ्रांस 0.77
6. ऑस्ट्रिया 0.76
7. स्पेन 0.75
8. कोलंबिया 0.75
9. न्यूजीलैंड 0.75
10. उरुग्वे 0.74
दुनिया के बड़े ऊर्जा उपभोक्ता वालेदेशों का प्रदर्शन सबसे लचर
इस इंडेक्स में एक मुख्य चीज सामने यह निकल कर आयी है कि ऊर्जा उपभोक्ता के लिहाज से ज्यादा संख्या वाले देश इसमें अग्रणी स्थान बनाने में असफल रहे हैं. इसमें आबादी के लिहाज से चार बड़े देशों की रैंकिंग इस प्रकार है :
चीन 95
भारत 87
रूस 48
अमेरिका 52
इस प्रकार इंडेक्स में उच्च-परफॉरमेंस वाले 20 देशों के मुकाबले देखा जाये, तो अधिकतम आबादी वाले उपरोक्त चारों देश ऊर्जा की खपत के हिसाब से काफी बौने साबित हुए हैं.
ग्लोबल एनर्जी आर्किटेक्चर पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए यह जरूरी है कि इसके बड़े उपभोक्ता वाले देशों पर ज्यादा फोकस किया जाये और वहां पैदा होनेवाली अधिकतम चुनौतियों से निपटने का भरपूर इंतजाम किया जाये.(स्रोत : वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम)
ग्लोबल एनर्जी आर्किटेक्चर परफॉरमेंस
इंडेक्स रिपोर्ट 2017
द ग्लोबल एनर्जी आर्किटेक्चर परफॉरमेंस इंडेक्स को एक्सेंटर के सहयोग से तैयार किया गया है. यह ऊर्जा के भविष्य को आकार देने के लिए वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के सिस्टम इनिशिएटिव का एक हिस्सा है. इस इंडेक्स के तहत 127 देशों की ऊर्जा सिस्टम के परफोरमेंस को लेते हुए इसमें 18 इंडिकेटर्स को शामिल किया गया है. इसमें भी तीन प्रमुख इंडीकेटर्स पर मुख्य रूप से फोकस किया गया है, जो इस प्रकार हैं :
एनर्जी एक्सेस एंड सिक्योरिटी यानी ऊर्जा तक पहुंच व सुरक्षासस्टेनेबिलिटी सतत रूप से वहनीयता औरआर्थिक सुधारों में योगदान.
इस ग्लोबल बेंचमार्क और संबंधित एनालिसिस का प्रस्तुतिकरण इसकी मजबूतियाें, कमजोरियों और ट्रेंड्स व नेशनल एनर्जी सिस्टम्स को सुधारने के लिए अवसरों को समझने के जरिये निवेश का फैसला करने व ऊर्जा नीतियों के निर्धारण के संदर्भ में सूचना मुहैया कराने के संदर्भ में किया गया है.