डोनाल्ड ट्रंप की नयी योजना से धीमी हो सकती है स्टार्टअप इंडिया की रफ्तार!
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव के बाद अपने 100 दिनों के कार्यकाल के आखिरी दौर में नया टैक्स प्लान पेश किया है. इसमें उन्होंने बड़ी टैक्स कटौती की है. नये कर प्रस्ताव के तहत कॉरपोरेट कर को मौजूदा 35 फीसदी से घटा कर 15 फीसदी कर दिया गया है. इसके अलावा, व्यक्तिगत कर […]
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव के बाद अपने 100 दिनों के कार्यकाल के आखिरी दौर में नया टैक्स प्लान पेश किया है. इसमें उन्होंने बड़ी टैक्स कटौती की है. नये कर प्रस्ताव के तहत कॉरपोरेट कर को मौजूदा 35 फीसदी से घटा कर 15 फीसदी कर दिया गया है. इसके अलावा, व्यक्तिगत कर की दरों में महत्वपूर्ण कटौती का प्रस्ताव भी है. अमेरिका में नौकरियों के लिए नये मौके पैदा करने में भले ही इसका जो भी असर हो, लेकिन इस फैसले से इस बात की आशंका बढ़ गयी है कि भारत सरकार की स्टार्टअप इंडिया मुहिम की रफ्तार धीमी हो सकती है. आज के स्टार्टअप आलेख में जानते हैं क्या हैं इस संदर्भ में चुनौतियां और आशंकाएं …
दुनियाभर की कंपनियों व स्टार्टअप के लिए अमेरिका एक आकर्षक बाजार है. खासकर उनके लिए जो ‘फॉर्चून 500’ कंपनियों की सूची में शामिल होना चाहते हैं. द्रुव, फ्रेशडेस्क, पोस्टमैन, जोहो आदि ऑलरेडी वहां रजिस्टर्ड हो चुकी हैं. मेकमाइट्रिप, माइंडट्री, इनफोसिस, विप्रो और कॉग्निजेंट जैसी कंपनियों ने 1990 के दशक में अमेरिका से अपने संबंध कायम किये थे, ताकि अपने क्लाइंट से ज्यादा-से-ज्यादा नजदीकी से जुड़ सकें और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज या नैसडेक सरीखे कैपिटल मार्केट में अपनी पहचान बना सकें.
भारत के लिए चिंता का विषय
अमेरिका में कॉरपोरेट टैक्स के 15 फीसदी हो जाने की दशा में भारत के लिए चिंता का विषय यह होगा कि इससे प्रधानमंत्री की स्टार्टअप इंडिया मुहिम को पलीता लग सकता है, क्योंकि अमेरिका की उदारता से नये जेनरेशन के भारतीय टेक स्टार्टअप को वहां जाने से रोकना मुश्किल हो जायेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना यह भी है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा लाये लाने वाले मुनाफे पर टैक्स में 35 फीसदी से कटौती करते हुए उसे 10 फीसदी तक लाया जाये. ‘मनी कंट्रोल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पेटीएम व फ्लिपकार्ट को अपना टैक्स दायित्व 25 फीसदी तक कटौती कर पाने में मदद मिल पायेगी. इससे विदेशी निवेशकों से ऐसी कंपनियों को धन मुहैया करना आसान हो जाता है. इसके अलावा, भारत में ऐसी कई कंपनियां हैं, जो लगातार पिछले तीन वर्षों से मुनाफा अर्जित नहीं कर पायी हैं.
किसी भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका में इनकॉरेपोरेट करना बहुत मुश्किल नहीं है. अनेक कंपनियां अमेरिका में पहले से ही सूचीबद्ध हैं.
मॉरीशस की तरह अमेरिका में होगी आसानी
अमेरिका में प्रस्तावित नयी टैक्स दर आगामी एक जनवरी से प्रभावी हो सकती है. इस तरह से अमेरिका भी मॉरीशस की तरह आकर्षक हो जायेगा, जहां व्यक्तिगत और कॉरपोरेट टैक्स एकसमान रूप से 15 फीसदी है. भारत में व्यापक मात्रा में निवेश करनेवाली एक्सेल, बीसेमर, क्लियरस्टोन, मैट्रिक्स, नेक्सस वेंचर पार्टनर्स, सिकोइया कैपिटल और नॉरवेस्ट वेंचर पार्टनर जैसे वीसी फर्म्स मॉरीशस में ही रजिस्टर्ड हैं.
अमेरिका के इस कदम से भारत व चीन जैसे एशियाई देशों की टेक कंपनियों के लिए निवेश हासिल कर पाना पहले से मुश्किल हो जायेगा.
सिंगापुर का रुख
मौजूदा समय में एक ट्रेंड सामने आया है कि फ्लिपकार्ट, ग्रोफर्स, प्रैक्टो, केपिलियरी टेक्नोलाॅजीज, एडनियर व टोनबो जैसे अनेक भारतीय टेक स्टार्टअप्स सिंगापुर का रुख कर रहे हैं. जानते हैं इसके प्रमुख कारणों के बारे में :
17 फीसदी है कॉरपोरेट टैक्स की
दर सिंगापुर में.
33 फीसदी है कॉरपोरेट टैक्स की दर भारत में, जो तुलनात्मक रूप से कहीं बहुत अधिक 33 फीसदी है.
– शून्य टैक्स का प्रावधान है कैपिटल गेन्स पर सिंगापुर में.
– भौगोलिक रूप से भारत से बेहद करीब है सिंगापुर.
– वायु मार्ग से किसी भी भारतीय महानगर से महज तीन से पांच घंटे में पहुंचा जा सकता है सिंगापुर.
कामयाबी की राह
सामान्य टीम मेंबर्स को कैसे बनाया जाये ज्यादा सक्षम
फ्रांस के प्रसिद्ध जनरल नेपोलियन बोनापार्ट एक बार अपने मिलिट्री ऑफिसर्स के साथ मीटिंग कर रहे थे. कुछ अधिकारियों ने अपनी यूनिट्स में कमजोर और खराब सैनिकों के होने की शिकायत की. उन्होंने ऐसा तर्क इसलिए दिया था, क्योंकि वे सभी अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में नाकामयाब रहे थे. कुछ देर तक इस पर चर्चा जारी रही. नेपोलियन ने अपने अधिकारियों से अपनी भावनाएं व्यक्त करने को कहा था. इसके बाद नेपोलियन मुस्कुराये और धीरे से जवाब दिया,’जेंटलमैन, कोई सिपाही कमजोर नहीं है, कमजोर हैं तो केवल अधिकारी.’
इसके बाद वहां बेहद चुप्पी का माहौल बन गया. अपने सैनिकों की तीखी आलोचना व शिकायत करने वाले अधिकारी बगलें झांकने लगे. अपने छोटे से वक्तव्य में नेपोलियन बोनापार्ट ने अच्छे लीडरशिप की महत्ता को रेखांकित करते हुए समझाया कि सामान्य टीम मेंबर्स को कैसे ज्यादा सक्षम बनाया जा सकता है.
प्रभावशाली नेतृत्व : इसकी सभी जगहों पर जरूरत होती है. सक्रिय और प्रभावशाली नेतृत्व के अभाव में एक संगठन समुद्र में उस दिशाहीन जहाज की तरह हो जाता है, जो बिना किसी दिशानिर्देश और गंतव्य के धारा के साथ चलता रहता है. ऐसे में आपदा की दशा में छिपा हुआ नेतृत्व गुण उभर कर आता है. ऐसी स्थितियों में वोटिंग की जरूरत नहीं होती. लोग ऐसे व्यक्ति की बातों को मानते हैं, जो कुछ पहल करता है और कमांडिंग पोजिशन लेता है.
जिस व्यक्ति में हालात के अनुसार निर्णय लेने की क्षमता और बोल्डनेस हो व सामने आकर मोर्चा संभालने का साहस हो, लोग उसकी बातों को सुनेंगे.
लीडर के बिना कुछ नहीं कर सकती भीड़ : बिना किसी लीडर के सामान्य जनता या भीड़ भी कुछ नहीं कर पाती है. भीड़ का यदि कोई नेतृत्वकर्ता नहीं हो तो उसकी ताकत नहीं होती और उसे तितर-बितर करने के लिए पुलिस की जरूरत नहीं होगी. यहां तक कि किसी सृजनात्मक इरादे से एकत्रित हुई भीड़ भी नेतृत्व के अभाव में असंगठित ही दिखाई देती है. हिंसा के पीछे भी पृष्ठभूमि में एक नेता होता है, जो भीड़ को रिमोट सरीखे किसी व्यक्ति रूपी माध्यम के जरिये नियंत्रित करता है.
सृजनशील माहौल का निर्माण : एक महान लीडर एक ऐसा माहौल तैयार करता है, जिससे जोश, सृजनशीलता, उत्पादकता और भविष्य का नेतृत्व पैदा होते हैं. अपनी टीम के सदस्यों को वह आत्मविश्वास के साथ प्रेरित करता है और उनके दिमाग में नेतृत्व की सक्षमता को उभारता है. वह एक प्रभावी संप्रेषक होता है, जो एकता और विजन के मकसद के साथ अपने टीम के सदस्यों को मिशन के रूप में उन्हें संप्रेषित करता है. समय-समय पर वह अपने लोगों को जरूरत के अनुसार प्रशिक्षित करता है या उनके प्रशिक्षण को सुनिश्चित करता है, ताकि उन्हें आगे बढ़ाया जा सके.
स्टार्टअप क्लास
कंप्यूटर और लैपटॉप आदि किराये पर हासिल कर सकते हैं छोटे उद्यमी
दिल्ली में कई कंपनियां हैं, जो छोटे संगठनों को कंप्यूटर, लैपटॉप जैसी चीजें किराये पर मुहैया कराती हैं. किसी कारोबार के लिए इन कंपनियों से ये चीजें कैसे हासिल की जा सकती हैं?
– सुमन कुमार, भागलपुर
यह सही है कि दिल्ली में कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो इस तरह की सुविधाएं मुहैया कराती हैं. वैसे तो नेहरू प्लेस कंप्यूटर और लैपटॉप मार्केट के लिए सबसे अधिक पहचाना हुआ नाम है, लेकिन आजकल दिल्ली एनसीआर में कई जगहों पर ऐसे व्यवसाय चल रहे हैं, जो ऑफिस उपकरण किराये पर मुहैया कराते हैं. इनसे संपर्क के लिए दिल्ली की स्थानीय बिजनेस डायरेक्टरी का इस्तेमाल किया जा सकता है. वैकल्पिक तौर पर, इंटरनेट सर्च और वेबसाइट्स के द्वारा भी इन संस्थाओं तक पहुंचा जा सकता है. ऑफिस उपकरण किराये पर लेने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखें :
(क) सिस्टम कॉन्फिगरेशन : आपके व्यवसाय की जरूरत के अनुसार आपको किस तरह की कॉन्फिगरेशन की जरूरत है यह स्थापित कर लें. इसके लिए किसी जानकार की सलाह ले सकते हैं.
(ख) अवस्था : कम्प्यूटर्स कितने पुराने हैं, उनकी अवस्था और कार्यक्षमता कैसी है, इसको परख लें. ऐसा करने से व्यवसाय में तकनीकी रुकावटें कम होंगी.
(ग) रख-रखाव : सप्लायर के साथ यह सुनिश्चित कर लें कि उनके रख-रखाव की जिम्मेवारी किसकी होगी और समयसीमा क्या होगी.
(घ) नियम व शर्तें : इस तरह के एग्रीमेंट बनाने से पहले शुल्क के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं एवं सेवाओं का विश्लेषण कर लें. यह देख लें कि शुल्क के बढ़ने की अवधि क्या है. किराये के अलावा और क्या प्रावधान है.
अवसर के साथ बहुत सी चुनौतियां भी हैं बाइक टैक्सी के कारोबार में
दिल्ली एनसीआर में कई कंपनियों ने बाइक टैक्सी की शुरुआत की है. इसका भविष्य आप कैसा देख रहे हैं? क्या अन्य छोटे शहरों में भी इसका भविष्य सुनहरा है? अपने सुझाव दें.
– नीरज कुमार, पटना
हर नये व्यवसाय की तरह बाइक टैक्सी भी अपने शुरुआती दौर में है और इसलिए मिश्रित परिणाम देखने को मिल रहे हैं. यह एक अच्छे व्यावसायिक विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है. कई जगहों पर, जैसे कि दिल्ली और गोवा में इसका सफल प्रयोग भी हुआ है. हालांकि, कुछ जगहों पर बाइक टैक्सी कारोबार के तौर पर असफल भी रहा है. इस कारोबार के आकर्षक होने के कई कारण हैं :
(क) एकाकी यात्री मार्केट : कई बार यात्री अकेले सफर करते हैं और ऐसी स्थिति में टैक्सी एक महंगा विकल्प होता है. बाइक टैक्सी इन यात्रियों के लिए सुविधाजनक और किफायती विकल्प के रूप में इस्तेमाल हो सकता है.
(ख) यातायात की सुविधा : बाइक टैक्सी पर्यावरण की दृष्टि से भी उचित है. यातायात में जाम की दशा में यह विकल्प और कारगर हो जाता है.
(ग) कम दूरी के गंतव्य : जब दूरी कम तय करनी हो, तो टैक्सी या ऑटोरिक्शा मिलने में यात्रियों को कठिनाई आती है. ऐसी दशा में भी बाइक टैक्सी का इस्तेमाल हो सकता है.
सफलताओं के साथ- साथ बाइक टैक्सी व्यवसाय में कुछ चुनौतियां भी हैं, जो देखने को मिल रही हैं.
(क) यात्रा की असुविधा : जब गंतव्य की दूरी अधिक हो तो मौसम, बैठने की सुविधा और साथ ले जा रहे सामान के कारण पारंपरिक टैक्सी को पूरी तरह से नकार नहीं पायेगा.
(ख) असुरक्षा : सड़कों की साधारण तौर पर खस्ता हालत और रौशनी का अभाव बाइक टैक्सी को असुरक्षित माध्यम बना देते हैं. खास तौर पर महिला वर्ग देर शाम के बाद इस माध्यम का चयन करना पसंद न करे.
(ग) कानूनी प्रावधान : कानूनी तौर पर बाइक टैक्सी के लिए पारदर्शी प्रावधान अभी नहीं है और यह अलग-अलग राज्यों में अलग तरह से कार्यान्वित हैं, जो कि नये व्यवसायियों के लिए एक कड़ी चुनौती बन सकता है.
यह व्यवसाय बड़े शहरों में तो उभरता दिख ही रहा है, छोटे शहरों में भी इसकी व्यापार संभावनाएं काफी हैं. छोटे शहरों की वर्तमान यातायात सुविधाएं यात्रियों के लिए फिलहाल पर्याप्त नहीं हैं. दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल भी छोटे शहरों में ज्यादा होता है. ऐसे में बाइक टैक्सी एक सशक्त विकल्प के तौर पर उभर सकता है, बशर्ते कि स्थानीय नियमों और प्रावधानों को ध्यान में रखा जाये.
दूध उत्पादन के लिए सरकार देती है सब्सिडी
दूध उत्पादन के लिए मवेशी पालन का उद्योग शुरू करने में क्या किसी खास तरह की सरकारी मदद का प्रावधान है. इसके लिए किन विभागों से संपर्क करना होगा?
दूध उत्पादन के व्यवसाय को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं.
इनके अंतर्गत पूंजी सब्सिडी और अन्य कई तरह की सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं. भारत सरकार का पशुपालन, डेरी और मत्स्य पालन विभाग इन योजनाओं का लाभ लोगों तक नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) के माध्यम से पहुंचाता है. एक सितंबर 2010 से लागू डेरी उद्यमिता विकास योजना नाबार्ड की ओर से एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों का आधुनिक डेरी फार्म लगाने में मदद करना और मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र के लिए स्व-रोजगार के अवसर पैदा करना है.
इस योजना का लाभ किसान, व्यक्तिगत उद्यमी और संगठन दिये गये प्रावधानों के अनुसार उठा सकते हैं. इनके अलावा, अलग-अलग राज्य सरकारें अपनी स्तर पर कई परियोजनाएं लागू करती हैं, जिसका लाभ उन राज्यों के निवासी ले सकते हैं. इनके बारे में जिला डेयरी विकास अधिकारी व स्थानीय पशु चिकित्सालय से भी संपर्क कर जानकारी प्राप्त की जा सकती है. अधिक जानकारी के लिए नाबार्ड से अथवा सरकार की इस वेबसाइट से संपर्क कर सकते हैं :
https://india.gov.in/topics/agriculture/dairy