विश्व विरासत में शामिल होंगे मलूटी के मंदिर

पुरातत्व निदेशालय ने शुरू की प्रक्रिया रांची : दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के मलूटी गांव के मंदिर विश्व विरासत (वर्ल्ड हेरिटेज) में शामिल हो सकते हैं. सरकार इसी सोच के साथ मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रही है. पर्यटन, खेलकूद, कला-संस्कृति व युवा मामलों के विभाग से संबद्ध पुरातत्व निदेशालय ने इसके लिए प्रयास शुरू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2017 6:48 AM
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पुरातत्व निदेशालय ने शुरू की प्रक्रिया
रांची : दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के मलूटी गांव के मंदिर विश्व विरासत (वर्ल्ड हेरिटेज) में शामिल हो सकते हैं. सरकार इसी सोच के साथ मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रही है. पर्यटन, खेलकूद, कला-संस्कृति व युवा मामलों के विभाग से संबद्ध पुरातत्व निदेशालय ने इसके लिए प्रयास शुरू किया है.
यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल अॉर्गनाइजेशन (यूनेस्को) अंतरराष्ट्रीय महत्व के किसी पुरातात्विक व ऐतिहासिक स्थल, इमारत या अवशेष को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा देता है. निदेशालय इसके लिए जरूरी मापदंड व शर्तों को पूरा करने के लिए न सिर्फ मंदिरों का जीर्णोद्धार व विकास कर रहा है, बल्कि मलूटी में बेहतर सड़क, बिजली व पानी सहित अन्य बुनियादी सुविधाअों को भी विकसित करने की पहल हो रही है.
विभागीय सूत्रों के अनुसार मलूटी में अच्छी सड़क बनी है. झारखंड को पहचान देनेवाले इन मंदिरों को पूरे देश ने तब देखा, जब गणतंत्र दिवस (26 जनवरी-2015) की परेड में झारखंड की ओर से मलूटी के मंदिरों की झांकी राजपथ पर निकली थी. इन मंदिरों के महत्व को देखते हुए ही भारत सरकार ने इनके संरक्षण व जीर्णोद्धार के लिए 13वें वित्त आयोग के जरिये धन मुहैया कराया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्तूबर-2015 को संरक्षण व जीर्णोद्धार कार्य का अॉनलाइन उद्घाटन किया था.
जानिये मलूटी के मंदिरों को
दरअसल मलूटी के पास करीब 350 मीटर की परिधि मेंअवस्थित मिट्टी (टेरा कोटा) के बने इन मंदिरों का अपना अलग आकर्षण है. मलूटी के मंदिरों का इतिहास 18वीं शताब्दी से शुरू होता है.
तब तत्कालीन राजा बाज बसंत के मन में मलूटी को मंदिरों का शहर बनाने का विचार आया. उसी दौरान वहां मिट्टी के मंदिर बनने शुरू हुए. इसके बाद 19वीं सदी की शुरुआत तक यहां कुल 108 मंदिर बना दिये गये. समय के साथ देखरेख के अभाव में कुछ मंदिर नष्ट हो गये. अब यहां बचे 62 मंदिरों का जीर्णोद्धार व संरक्षण किया जाना है.
पहले चरण में राजोरबारी क्षेत्र के 20 मंदिरों का संरक्षण किया जाना है. प्राचीन धरोहरों तथा स्थलों को संरक्षित करनेवाली संस्था इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट यह काम कर रही है. पहले चरण का जीर्णोद्धार वर्ष 2018 के अंत तक कर लेने का लक्ष्य है. इसके बाद दूसरे चरण का काम शुरू होगा. अभी करीब 15 मंदिरों का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हो गया है.
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