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पांच बच्चों ने बनाया यूरिनल्स का अनोखा मॉडल

पांच बच्चों ने बनाया यूरिनल्स का अनोखा मॉडल स्वच्छ भारत : तमिलनाडु के एक स्कूल के छात्रों की पहल ‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है.’ इस कथन को आपने जरूर ही सुना होगा. अब तक दुनिया में जितने भी खोज व आविष्कार हुए हैं, उन सभी के पीछे कहीं-न-कहीं हमारी जरूरतें जिम्मेवार रही हैं. कई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 8, 2017 6:05 AM
पांच बच्चों ने बनाया यूरिनल्स का अनोखा मॉडल
स्वच्छ भारत : तमिलनाडु के एक स्कूल के छात्रों की पहल
‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है.’ इस कथन को आपने जरूर ही सुना होगा. अब तक दुनिया में जितने भी खोज व आविष्कार हुए हैं, उन सभी के पीछे कहीं-न-कहीं हमारी जरूरतें जिम्मेवार रही हैं. कई बार जरूरत हमारे सामने समस्या के रूप में भी आती है. जैसे गणित के सवालों में उसके जवाब छिपे होते हैं, वैसे ही समस्या में ही उसका समाधान भी छिपा होता है. बस आपको उस समाधान को ढूंढ़ने का प्रयास भर करना होता है. तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिला स्थित यूनियन मिडिल स्कूल में पढ़नेवाले पांच बच्चे – सुपिकपंडियन, संतोष, धियानिथि, रगुल और प्रवहरण ने स्कूल के यूरिनल्स से आनेवाली बदबू की समस्या को एक चुनौती की तरह लिया.
इन्होंने मिल कर इस बदबू से छुटकारा पाने के लिए 20 लीटरवाले पानी के डिब्बे की मदद से यूरिनल्स का एक अनोखा मॉडल तैयार किया है. इस मॉडल को डिजाइन फॉर चेंज द्वारा आयोजित ‘आइ कैन’ अवार्ड्स-2016 का बोल्डेस्ट आइडिया अवार्ड भी मिला. इन 13 वर्षीय बच्चों द्वारा बनाया गया यह मॉडल, अपने देश को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक बड़ा समाधान साबित हो सकता है.
लगातार बीमार पड़ रहे थे बच्चे :
उन बच्चों ने महसूस किया कि उनके स्कूल के बच्चे लगातार बीमार पड़ रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ जाती थी. उनमें से कोई बुखार से पीड़ित था, तो किसी को उलटी की समस्या थी. इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती थी. सभी को लगा कि अच्छे से साबुन लगा कर स्नान करने और कपड़े व सिर के बालों को साफ रखने से वे इस समस्या से उबर जायेंगे, लेकिन ऐसा करने के बाद भी उनकी यह समस्या बनी रही.
फिर इन पांचों बच्चों ने समस्या की वजह को जानने का प्रयास किया, तो पाया कि बच्चों के बीमार पड़ने की असल वजह स्कूल का टॉयलेट है. दरअसल, टॉयलेट में यूरिन बेसिन (यूरिनल्स) न होने की वजह से बच्चे दिवार या जमीन पर ही यूरिनेट करते थे. ऐसे में यूरिन के छींटे उनके पैरों और सैंडल पर पड़ते थे. फिर वे इसी तरह क्लासरूम आ जाते थे, जिसकी वजह से छात्र कई तरह के इन्फेक्शन के शिकार हो जाते थे. स्कूल में बदबू का ऐसा आलम था कि बच्चों को लंच करने में भी दिक्कत होती थी.
वाटर बोतल से मिला आइडिया :
यूरिनरी इन्फेक्शन से बचने के लिए उन बच्चों ने टॉयलेट में यूरिनल्स लगवाने के लिए प्रयास शुरू किया, लेकिन यूरिनल्स लगाने में खर्च काफी आता और उसे वहन करने की स्थिति में वे लोग बिल्कुल भी नहीं थे. यह उनके लिए एक बड़ी समस्या थी. उनलोगों ने अलग-अलग ऑप्शन पर विचार करना शुरू किया.
उन पांचों में से एक बच्चे को 20 लीटरवाले पानी के डिब्बे को देख कर लगा कि इससे भी यूरिनल्स बनाया जा सकता है. उस बच्चे ने इस आइडिया को दोस्तों और अपने शिक्षकों से शेयर किया. फिर आपस में चर्चा करने के बाद उन सभी ने तय किया कि वे अनयूज्ड या कम डैमेज्ड पानी के डिब्बों को लंबवत काट कर यूरिनल्स तैयार करेंगे. इसके लिए बकायदा प्रोजेक्ट बनाया गया, जिसमें पाइप की मदद से उसे चैनलाइज करने का प्लान भी था.
शिक्षक और छात्र, सभी ने की फंडिंग
इस यूरिनल्स पर आनेवाला खर्च भी काफी कम था. सभी ने आपस में फंडिंग करके कुछ रुपये जमा किये. इसमें शिक्षक से लेकर छात्र तक सभी ने कुछ-न-कुछ मदद किया. तिरुचिरापल्ली के पास स्थित पानी की सप्लाइ करनेवाली एक एजेंसी ने अनयूज्ड और कम डैमेज बोतल उन बच्चों को फ्री में गिफ्ट कर दिया. छात्रों ने सबसे पहले उन पानी के डिब्बों को यूरिनल्स का रूप देकर उसे ह्वाइट कलर से पेंट कर दिया. इसके बाद कुछ फुट लंबे पाइप की सहायता से प्लास्टिक के इन डिब्बों को एक सीरीज में टॉयलेट की दीवार में यूरिनल्स की तरह सेट कर दिया गया.
हाइट और फ्लश का रखा ध्यान
इस अनोखे यूरिनल्स को सेट करते हुए यूरिन के ड्रेनेज और बच्चों की हाइट का विशेष ध्यान रखा गया, ताकि किसी को यूरिनेट करने में कोई दिक्कत नहीं आये. इन यूरिनल्स से बदबू न आये, इसके लिए आधे इंच व्यासवाले वाटर सप्लाइ पाइप से फ्लश बनाया गया.
इसके फ्लश को वाटर टैप की मदद से यूज किया जा सकता है. इस लो-कॉस्ट यूरिनल्स के लगने से टॉयलेट और यूनियन मिडिल स्कूल की दशा-दिशा ही बदल गयी है. अब स्कूल में न तो यूरिन की बदबू आती है और न ही कोई छात्र इस वजह से बीमार पड़ता है.

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