हार्ट अटैक से पहले पहुंचेगी डॉक्टर के पास इसीजी रिपोर्ट
भाभा एटोमिक एंड रिसर्च सेंटर ने तैयार की है 4000 की पोर्टेबलटेली इसीजी मशीन सौरभ चौबे दिल का काम इमोशन नहीं, धड़कन से जुड़ा है. यह पंप की तरह काम करता है और शरीर के सभी अंगों तक धमनियों की मदद से खून पहुंचाता है. हृदय के तार जीवन से जुड़े हैं. इसमें हल्की-सी भी […]
भाभा एटोमिक एंड रिसर्च सेंटर ने तैयार की है 4000 की पोर्टेबलटेली इसीजी मशीन
सौरभ चौबे
दिल का काम इमोशन नहीं, धड़कन से जुड़ा है. यह पंप की तरह काम करता है और शरीर के सभी अंगों तक धमनियों की मदद से खून पहुंचाता है. हृदय के तार जीवन से जुड़े हैं. इसमें हल्की-सी भी तकलीफ हो, तो उपचार जरूरी है और इसके लिए जरूरी है इसीजी रिपोर्ट. भाभा एटोमिक एंड रिसर्च सेंटर की 4000 रुपये की पोर्टेबल टेली इसीजी मशीन इसमें क्रांतिकारी बदलाव लायेगी.
इसीजी सुविधा को सुदूर इलाकों में और आमजन तक पहुंचाने के लिए भाभा एटोमिक एंड रिसर्च सेंटर ने टेली इसीजी मशीन बनायी है, जो पोर्टेबल होने के साथ-साथ सस्ता भी है. इसकी कीमत मार्केट में आने पर करीब 4000 रुपये होगी. इससे हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए इसीजी जांच अब सुदूर गांवों में भी आसानी से और कम खर्च में संभव हो सकेगी. हृदय में किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर चिकित्सक इसीजी यानी इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम का सहारा लेते हैं. इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम जांच की एक विधि है, जो हार्ट की इलेक्ट्रिकल गतिविधि को मापती है.
इसीजी एक ग्राफ है, जिसमें इलेक्ट्रिकल करेंट्स के माध्यम से हार्ट रेट को दरसाया जाता है. इस जांच से दिल से जुड़ी बीमारियों का पता लगाया जाता है. इसीलिए हृदय रोग की जांच के लिए समय इसीजी कराना जरूरी होता है.
ऐसे काम करती है यह मशीन
भाभा एटोमिक एंड रिसर्च सेंटर की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार हाथ से संचालित होनेवाली इस मशीन में 12 चैनल लगे हैं, जिन्हें सीने पर चिपकाया जाता है. इन चैनलों के तार टेली इसीजी मशीन से जुड़े होते हैं. यह टेली इसीजी मशीन किसी क्रेडिट कार्ड की तरह पॉकेट में रखा जा सकता है.
यह मशीन ब्लूटूथ के सहारे मोबाइल से जुड़ा होता है. जब मशीन को ऑन किया जाता है, तो मशीन उन चैनलों के जरिये हृदय गति का ग्राफ बनाती है, जिसे मशीन ब्लूटूथ की सहायता से ग्राफ इमेज (तसवीर) के रूप में मोबाइल में ट्रांसफर कर देती है. इस ग्राफ को अपने फैमिली डॉक्टर या अन्य एक्सपर्ट को एमएमएस या अन्य मल्टी मीडिया शेयरिंग एप की मदद से भेज कर जरूरी सलाह ली जी सकती है. ऐसे में फायदा यह होगा कि आप डॉक्टर तक न भी पहुंच पायें, तो इसीजी का ग्राफ वहां पहुंच जायेगा.
जिसे देख कर डॉक्टर आपको तुरंत जरूरी सलाह दे सकेंगे. बीएआरसी के अनुसार इसे मार्केट में उतारने से पहले इसकी एकुरेसी को 100 प्रतिशत किया जायेगा और इसे ब्लूटूथ 2.0 से अपग्रेड कर 4.0 सपोर्ट दिया जायेगा. इससे इसकी बैटरी लाइफ और एकुरेसी में सुधार होगा.
यह मशीन मोबाइल के चार्जर से भी चार्ज हो जायेगी और एक बार फुल चार्ज होने पर करीब 300 लोगों की इसीजी रिपोर्ट तैयार कर सकता है. इस सिस्टम के जरिये न सिर्फ मोबाइल को ब्लूटूथ के जरिये, बल्कि लैपटॉप और डेस्कटॉप को भी लैन (लोकल एरिया नेटवर्क) से जोड़ा जा सकता है. इसके ग्राफ ए-4 साइज के पेपर पर आसानी से प्रिंट कर रखे या भेजे जा सकते हैं.
भारत में इसकी अहमियत : विश्व स्वास्थ्य संगठन (ब्डलूएचओ) की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब तीन करोड़ लोग दिल के मरीज हैं. इनमें से 1.4 करोड़ लोग शहरी इलाके में, जबकि 1.6 करोड़ लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. टेली इसीजी की सुविधा से ग्रामीण इलाकों के मरीज जिनके सीने में दर्द हो या हार्ट अटैक आये, वह इसीजी करा कर आराम से डॉक्टर को रिपोर्ट भेज सकता है और फोन पर ही डॉक्टर उसे जरूरी सलाह दे सकते हैं, जिससे उसकी जान बच जाये. अमूमन हार्ट अटैक के मामलों में मरीज की कुछ मिनटों से कुछ घंटों में ही मौत हो जाती है.
विदेशों की मशीनों से 43 गुना सस्ता : ऐसी मशीनें विदेशों में भी बनायी जा रही हैं. मई, 2015 में एक अमेरिकी कंपनी ने इनविजन हार्ट नाम से एक ऐसी ही एक मशीन बनायी थी.
यह एफडीए (फूड एंड ड्रग्स ढडमिनिस्ट्रेशन ऑफ अमेरिका) से सर्टीफायड है. भारतीय टेली इसीजी मशीन भी इसी तकनीक पर काम करती है, पर यह उससे 43 गुना सस्ती है. इनविजन हार्ट की कीमत 2700 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 174500 रुपये है, जबकि टेली इसीजी मशीन केवल चार हजार रुपये में उपलब्ध होगी. वहीं, एक फ्रांसिसी कंपनी ने भी 420 ग्राम की ऐसी ही इसीजी मशीन बनायी है. इसमें क्रमश: 12 और 18 लीड्स लगाने की सुविधा है. इसकी खासियत यह है कि इसमें इलेक्ट्रोड या मैनुअल चेंजेज की जरूरत नहीं है. कंपनी की ऑफिशिल वेबसाइट पर इसकी कीमत नहीं दी गयी है.
छोटे शहरों के लिए बड़ी राहत : भारत की ओर से इसरो ने पांच मई, 2017 को जीएसएलवी-एफ-09 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया, जिसका लक्ष्य टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देना है.
इससे भूकंप और बाढ़ जैसी अन्य त्रासदियों में दक्षिण एशिया के देशों (पाकिस्तान को छोड़ कर) को टेलीमेडिसिन यानी सैटेलाइट की सहायता से अपने देश में बैठे-बैठे दूसरे देशाें के जख्मी लोगों का इलाज करने की सुविधा दी जा सकेगी, मगर यह बड़े स्तर पर काम करने के लिए ही बेहतर है. छोटे स्तर पर सुदूर के गांव में यदि किसी को हृदय रोग हो, मोबाइल का जीपीआरएस सिस्टम ही ज्यादा कारगर है.
भाभा एटोमिक सेंटर की यह बहुत अच्छी पहल है. कई पेसेंट को सिर्फ इसीजी कराने के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, जिसके एक दिन का खर्च चार हजार रुपये से अधिक होता है. इस मशीन के मार्केट में आने के बाद पेसेंट जरा भी तकलीफ होने पर अपना इसीजी ग्राफ अपने डॉक्टर को भेज सकेगा और डॉक्टर उसे देख कर फोन पर ही जरूरी सलाह दे दे सकेंगे. हार्ट अटैक के केस में और भी अहम हो जाता है, जिसमें हर एक पल बहुत अहम हो जाता है.
– डॉ संजय कुमार कॉर्डियो सर्जन, मेदांता हॉस्पिटल, रांची
वैसे तो यह ग्रामीण इलाकों के हृदय रोगियों के लिए काफी लाभदायक है, पर पेसमेकर, सीआरटी और कॉम्बो डिवाइस लगे मरीजों में यह कितना कारगर हो सकेगा यह देखना होगा. यह क्रेडिट कार्ड के साइज का है, तो इसमें लगे यंत्र का कोई रेडियेशन तो नहीं है, इसके बारे में भी बीएआरसी को काम करना होगा. उम्मीद है यह जल्द ही कुछ सुधारों के साथ मार्केट में आ जायेगा.
– डॉ एके झा, कॉर्डियोलॉजिस्ट, उपनिदेशक सह इमरजेंसी प्रभारी, आइजीआइसी, पटना