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चीन से प्रेरित होने की ओर अग्रसर भारतीय स्टार्टअप

उद्यमिता के लिहाज से भारत आज उस अवस्था में है, जहां चीन आज से 10 वर्ष पहले था. ऐसे में भारतीय स्टार्टअप उद्यमियों के लिए चीन से सीखने के लिए बहुत कुछ है. हाल ही में बड़ी संख्या में भारतीय फाउंडर्स और इनवेस्टर्स ने चीन के एक प्रमुख टेक हब का दौरा किया है. इस […]

उद्यमिता के लिहाज से भारत आज उस अवस्था में है, जहां चीन आज से 10 वर्ष पहले था. ऐसे में भारतीय स्टार्टअप उद्यमियों के लिए चीन से सीखने के लिए बहुत कुछ है. हाल ही में बड़ी संख्या में भारतीय फाउंडर्स और इनवेस्टर्स ने चीन के एक प्रमुख टेक हब का दौरा किया है. इस यात्रा को भारतीय स्टार्टअप्स के प्रति चीन के निवेशकों में बढ़ता रुझान के रूप में देखा जा रहा है. अमेरिका के मुकाबले चीन की ओर भारतीय स्टार्टअप्स के इस रुझान के क्या हैं मायने समेत इससे संबंधित खास पहलुओं को रेखांकित कर रहा है आज का स्टार्टअप आलेख …

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम के दायरे में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए चीन के निवेशकों में दिलचस्पी पैदा हुई है. विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि मौजूदा रुझान यह दर्शा रहा है कि भारतीय स्टार्टअप्स अब अमेरिका की सिलिकॉन वैली के बजाय चीन की ओर ज्यादा भरोसे से देख रहे हैं.

भारतीय फाउंडर्स और इनवेस्टर्स की हालिया चीन यात्रा के क्या मायने हो सकते हैं, कारोबार की गति को बढ़ाने में इसका क्या योगदान हो सकता है, इससे किस तरह का एक नया माहौल बना सकता है और उद्यमियों में जोखिम लेने की क्षमता कैसे बढ़ सकती है, इन सभी मसलों पर फोकस किया गया है.

बैलेंसिंग एक्ट

जिस इकोसिस्टम के दायरे में एक स्टार्टअप पनपता और आगे बढ़ता है, उसके साथ व्यापक हद तक उसका भाग्य जुड़ा होता है. चीनी और भारतीय अर्थव्यवस्थाओं के बीच आकार में पांच गुना फर्क होने से इसे स्पष्ट तरीके से समझा जा सकता है. इसलिए पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति के लिहाज से दोनाें देशों के बीच फर्क पड़ता है. भारत में लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था की तुलना में जहां निर्णय लेने के तर्क में फंसना पड़ता है, जिसमें अंगूर खट्टे हैं, वाली प्रतिक्रिया होती है, के मुकाबले एक पक्षीय शासन की पूर्ण शक्ति के लिए चीन की सफलता का श्रेय देना आसान है. लेकिन, चीन की यात्रा के दौरान यह स्पष्ट हो जाता है कि यह उससे भी कहीं ज्यादा है.

आर्थिक सुधारों और विकास से प्रेरित उद्यमिता चीन में बदलाव लाने में एक बड़ी भूमिका निभा रही है और स्टार्टअप को पनपने और उसके फलने-फूलने के लिए अनुकूल माहौल बनाने में इसका योगदान रहा है. वीचैट जैसे उद्यमों की कामयाबी से यह परिलक्षित हुआ, जो चीन में फैल चुका है. हालांकि, यह एक गेम था, लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल जरूरत की दशा में नकदी के विकल्प के तौर पर भी

किया जाता था.

चीन में मोबाइल भुगतान की सुविधा अब पहले से ज्यादा आसान हो गयी है, लेकिन ‘अलीपे’ और उसके बाद ‘वीचैट पे’ जैसी सुविधाओं के आने के बाद से पारंपरिक बैंकिंग पर खतरा मंडराने लगा है. यहां सरकार एक तरह से मूकदर्शक बनी हुई है और इस तरह से वह इस विघटन को मंजूरी दे रही है.

व्यावहारिक दृष्टिकाेण

इसका मतलब यह नहीं कि सरकार के हाथ बंधे हैं. यह ठीक उस तरह का व्यावहारिक दृष्टिकाेण है, जिस तरह से चीन में बढ़ोतरी हुई है और उद्यमिता उसका एक बड़ा हिस्सा है. यह दर्शाता है कि इसका नियंत्रण है और जब चाहें, तब उसे अपने हित में इस्तेमाल कर सकते हैं.

वैसे, शंघाई-आधारित बिजनेस स्ट्रेटजी कंसल्टेंट एडवर्ड सी का तर्क है कि ये विघटनकारी बदलाव जारी रहेंगे और आनेवाले समय में ये ज्यादा-से-ज्यादा उद्योगों व उद्यमियों को अपनी चपेट में ले सकते हैं. ‘चाइनाज डिसरुप्टर्स’ नामक अपनी किताब में उन्होंने इन तथ्यों का व्यापक रूप से उल्लेख किया है. एमटोन वायरलेस के चेयरमैन विक्टर वांग ने तर्क दिया है कि सरकार द्वारा उद्यमिता को सक्रियता से समर्थन करने से ऐसा माहौल बनाने में सफलता मिली है.

सुमित चक्रवर्ती की एक रिपोर्ट के हवाले से ‘टेक इन एशिया’ में बताया गया है कि भारत के शुरुआती दौर के एक प्रमुख और ज्यादा सक्रिय सीड फंड ब्लूम वेंचर्स के को-फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर कार्तिक रेड्डी भी चीन की यात्रा पर गये दल में शामिल थे.’ उनका कहना है, ‘किसी भी अन्य देश के मुकाबले य हां की नीति ‘विन-विन’ यानी दोतरफा जीत सरीखी प्रतीत होती है.’ चीन के पहले खास इकोनोमिक जोन शेनझेन में कई उद्यमों का दौरा कर चुके रेड्डी कहते हैं, ‘भारत में यह अक्सर स्टेकहोल्डर के बीच विवाद होता है और दूसरों को फायदा.’

कॉरपोरेट्स और स्टार्टअप के बीच का मोलभाव

कार्तिक ने जिन चीजों का उल्लेख किया था, उनमें केवल सरकार और बिजनेस के बीच का ही नहीं, बल्कि कॉरपोरेट्स और स्टार्टअप के बीच का मोलभाव भी शामिल था. भारत के हालात की तुलना करते हुए वे कहते हैं कि स्टार्टअप के लिहाज से चीन में भारत के मुकाबले बेहतर परिस्थितियां हैं. भारत में कॉरपोरेट्स के लिए, चाहे वह ‘एम एंड ए’ हो या इनवेस्टमेंट या वेंडर रिलेशंस, मूल रूप से उनका डीएनए कुछ इस तरह का होता है कि यदि किसी एक की जीत होगी, तो दूसरे की हार तय है.

‘टेक इन एशिया’ के एक अन्य लेखक स्टीवन मिलर्ड ने लिखा है कि चीन भी अपनेआप में एक ऐसे मॉडल के तौर पर उभर रहा है, जैसे सिलिकॉन वैली में स्टार्टअप को पनपने के लिए जरूरी चीजें मुहैया करायी जाती हैं.

विभिन्न स्टेकहोल्डर्स द्वारा दो-दो हाथ किये जाने के बावजूद भारत में एक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर कायम हो रहा है. भले ही इस संबंध में प्राइवेसी और सिक्योरिटी से संबंधित मसलों का समाधान नहीं किया जा सका हो, लेकिन ‘आधार’ नामक एक खास आइडी जेनरेट करने के जरिये बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिस्टम के माध्यम से एक अरब से ज्यादा भारतीयों को रजिस्टर्ड कर दिया गया है.

भारतीय कंपनियों में चीन का निवेश

रिसर्च फर्म ‘ट्रैक्सन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में चीन की कंपनियों ने भारतीय कंपनियों में 2.37 अरब डॉलर की रकम का निवेश किया है. चीन की प्रमुख निवेशक कंपनियां इस प्रकार रही हैं :

– टेनसेंट – अलीबाबा – सीट्रिप

पिछले वर्ष के दौरान बड़ा बदलाव यह देखा गया कि विशुद्ध रूप से वित्तीय कंपनियां को ज्यादा तवज्जो दी गयी है. चीनी निवेशक और भारतीय उद्यमियाें ने सीमा-पार नेटवर्किंग सिस्टम विकसित किया है और इस तरह से वे ज्ञान का आदान-प्रदान कर रहे हैं.

चीन और भारत में कारोबारी दशा के लिए समान तथ्य

अमेरिका के मुकाबले कुछ ऐसी चीजें हैं, जो चीन और भारत को ज्यादा नजदीक लाती हैं. इनमें से कुछ चीजें इस प्रकार हैं :

– सांस्कृतिक समानता

– उपभोक्ताओं की खर्च करने की प्रवृत्ति

– आमदनी का स्तर

– तकनीक के जरिये धोखाधड़ी से बचाव का समाधान.

इसके अलावा, यदि आपको यह समझना है कि भारत की सवा अरब से ज्यादा आबादी को कैसे हैंडल करना है, तो इसके लिए भी अमेरिका के बजाय चीन से सीखना ज्यादा बेहतर होगा.

कामयाबी की राह

जिसके साथ डील करें, उसे महत्वपूर्ण होने का कराएं अहसास

कारोबार में किये जानेवाले डील्स के दौरान उद्यमी को अनेक दशाओं में अनेक लोगों से मिलना होता है. इस मुलाकात के दौरान शिष्टाचार पर ध्यान देना सबसे जरूरी है. व्यापारिक शिष्टाचार और कुछ नहीं, बल्कि व्यापारिक दायरे में सामान्य तौर पर स्वीकृत व्यवहार हैं. शिष्टाचार के जरिये हम अपनेआप को समाज द्वारा अनुमोदित व्यावहारिक तरीकों से समायोजित करते हैं. ये चीजें कारोबार को अधिक औचित्यपूर्ण तरीके, आत्मविश्वास और दक्षता से संचालित करने में मददगार साबित होती हैं. इस संबंध में कुछ टिप्स इस प्रकार हैं :

मूलभूत दिशानिर्देश : कहा जाता है कि आप क्या करते हैं यह महत्वपूर्ण है, हालांकि, आप किस तरीके से करते हैं वह भी महत्वपूर्ण है. व्यापारिक शिष्टाचार का मूलभूत दिशानिर्देश है कि हम जिस व्यक्ति के साथ डीलिंग यानी बर्ताव कर रहे हैं, उसे यह एहसास होना चाहिए कि हमारे लिए वह दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है. प्रतिष्ठित, शालीन, मर्यादित और सभ्य व्यक्ति से बर्ताव करके सभी लोग खुश होते हैं.

व्यापारिक बर्ताव : विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पाद की गुणवत्ता या कीमत के कारण लोग डील्स नहीं खोते हैं, बल्कि अस्वीकार्य व्यवहार इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार होते हैं, जिसे वे व्यापारिक बर्ताव के दौरान प्रदर्शित करते हैं. लोगों की यह प्रवृत्ति है कि रुखड़े व्यवहार के कारण वे अपने सहयोगियों और यहां तक कि दोस्तों से भी मिलना नहीं चाहते. यह भी सही है कि जो यह जानते हैं कि बेहतर प्रभाव कैसे कायम किया जा सकता है और सामाजिक ताने-बाने में किसी व्यक्ति को कैसे सहज महसूस कराना है, वे लोग प्रतियोगी माहौल में स्वयं को आगे बनाये रखने में सफल होते हैं.

आकर्षण के साथ व्यापार : आकर्षण के साथ व्यापार का संचालन का मतलब है कि अपने बारे में ज्यादा बताने की बजाय दूसरों के बारे में ज्यादा जानने की कोशिश. आप बातें कम करें ओर सीखें ज्यादा.

इसका अर्थ यह भी है कि वर्तमान में आज जिस व्यक्ति के साथ बातचीत कर रहे हैं, वह भी यह महसूस कर रहा हो कि आपसे बर्ताव करते हुए वह स्वयं को महान समझता हो.

स्टार्टअप क्लास

छोटे स्तर पर अच्छी क्वालिटी के इन्वर्टर और बैटरी के उत्पादन का बेहतर स्कोप

ऋचा आनंद

बिजनेस रिसर्च व एजुकेशन की जानकार

– देखा जाता है कि इनवर्टर और उसकी बैट्री ज्यादातर लोग लोकल प्रोडक्ट खरीदते हैं. इसका बाजार कैसा है और इसे बनाने की आरंभिक लागत कितनी आ सकती है? क्या लोकल लेवल से शुरू करते हुए अपना ब्रांड नहीं बनाया जा सकता है?

दे श में इन्वर्टर बाजार का विकास दर पिछले कई सालों से उन्नति पर है. इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे बिजली की आपूर्ति न हो पाना, लोगों के लाइफस्टाइल में बदलाव और टेक्नोलॉजी का बिजनेस में ज्यादा उपयोग होना, जिससे बिजली की खपत कई गुना बढ़ गयी है.

देखा जाता है कि बड़े शहरों में अपार्टमेंट्स और बड़े उद्योगों में जेनरेटर पर निर्भरता ज्यादा है. इसलिए इन्वर्टर व बैटरी का मार्केट सीमित है, पर छोटे शहरों में घरेलू और छोटे उद्यमों में उपयोगिता के कारण इसका अच्छा मार्केट है. वर्तमान बाजार में करीब आधा हिस्सा कुछ ब्रांडेड उत्पादकों के पास है और बाकी असंगठित और सस्ती प्रोडक्ट बनानेवाली लोकल कंपनियों के पास. इसलिए अभी इस इंडस्ट्री में छोटे स्तर पर अच्छी क्वालिटी के इन्वर्टर और बैटरी के उत्पादन का स्कोप है. इसे बनाने की लागत कई चीजों पर निर्भर करती हैं :

(क) प्लांट लगाने के लिए जमीन पर होनेवाला खर्च

(ख) बिजली और पानी का खर्च और उसकी आपूर्ति की सहजता

(ग) कुशल कारीगरों की उपलब्धता (घ) कंपोनेंट्स की खरीद का खर्च.

इस उद्योग को छोटे स्तर पर शुरू करना ही वाजिब होगा और असंगठित कंपनियों के हिस्से को जीतने की कोशिश करनी होगी. अगर उत्पाद की गुणवत्ता बनाये रखा जाये, तो भविष्य में अपना ब्रांड बनाया और स्थापित किया जा सकता है. साथ ही अपना ब्रांड बनाने के लिए आपको बिक्री के बाद की सर्विस पर भी ध्यान देना पड़ेगा.

थर्मोकोल प्लेट और कप निर्माण में मौजूद हैं व्यापक मौके

– सामूहिक भोज, बारात, पार्टी आदि में खाने के लिए थर्माेकोल से बने प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है. इसे बनाने की लागत और संबंधित कारोबार में कितना अवसर है, इस बारे में बतायें.

वैसे तो थर्मोकोल से बने प्लेट, कप इत्यादि काफी समय से प्रचलित हैं और इनका बाजार भी काफी बड़ा है. इसका इस्तेमाल सहज है, सरल डिस्पोजल की सुविधा है और सस्ता भी है.

इसके उत्पादन में लागत और मेहनत भी कम है, इसलिए आप इसमें निवेश कर सकते हैं. हालांकि इसे पेपर प्लेट, पारंपरिक बोन-चाइना प्लेट और मेलामायीन प्लेट से अधिक प्रतिस्पर्धा मिल रही है.

इसके कई कारण हैं. लोगों का प्राकृतिक चीजों की तरफ बढ़ता रुझान, बड़ी और ज्यादा खर्च वाली पार्टियों में बेहतर क्रॉकरी का इस्तेमाल, थर्मोकोल के कम भार लेने की क्षमता जैसी वजहों से लोग अन्य विकल्पों की तरफ आकर्षित होते दिख रहे हैं. इन कारणों से आपको नये बाजार तलाशने पर विचार करना चाहिए. इनके उपयोग का स्कोप घरेलू पार्टी, छोटे रेस्टोरेंट, स्ट्रीट फूड स्टाॅल, जूस सेंटर, चाय दुकानों और ऑफिस कैंटीन में ज्यादा मिल सकता है.

थर्मोकोल के कप प्लेट बनाने की मशीन का दाम उसकी उत्पादन क्षमता, पावर और टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है. इन मशीनों का मूल्य एक लाख से 15 लाख रुपये तक है. इसके अलावा, कुल लागत आपके स्थान, उत्पादन के स्केल और लॉजिस्टिक्स पर निर्भर करेगा.

इंटरनेट के सस्ते हो रहे दौर में कारोबार के अनेक मौके

– आजकल अनेक मोबाइल नेटवर्क कंपनियां ग्राहकों को बहुत कम दर पर इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराती हैं. ऐसे में किस तरह के कारोबार को अंजाम दिया जा सकता है, जिसमें इंटरनेट की जरूरत ज्यादा होती हो और इसकी लागत कम आने से वह फायदे का सौदा साबित हो सके?

आपका सवाल मोबाइल डाटा और इंटरनेट के इस्तेमाल से संबंधित कारोबार के मौकों से जुड़ा है. इसमें कई संभावनाएं हो सकती हैं :

अपने वर्तमान कारोबार से : अगर आपका पहले से कोई कारोबार है, तो उसके उत्पाद या सेवा को आप एक ऑनलाइन कैटलॉग का रूप देकर वेबसाइट या एप्प के जरिये लोगों तक पहुंचा सकते हैं.

दूसरों के कारोबार से : आप अपने स्थानीय ऑफलाइन कारीगरों का एक पोर्टल बना सकते हैं, जिसके जरिये घरेलू तत्कालीन सेवा मुहैया कराई जाए. इसमें स्थानीय प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन जैसे कारीगरों का समूह बन सकता है.

सप्लाई चेन से : इसमें आप लोकल रेस्टोरेंट, ग्रॉसरी और फार्मेसी के प्रोडक्ट्स की होम-डिलिवरी ऑनलाइन वेबसाइट या एप्प के जरिये कर सकते हैं.

इस कारोबार में बस आपको अच्छा नेटवर्क बनाने की जरूरत है. साथ ही स्थानीय होने की वजह से यह ज्यादा कारगर साबित हो सकता है.

(घ) डिजिटल प्रोडक्ट से : इस कॉलम के जरिये यूट्यूब वीडियो के द्वारा व्यवसाय के बारे में पहले बताया गया है. इसके अलावा अन्य कई कारोबारी आयाम हैं, जैसे ऑनलाइन विज्ञापन, सोशल मीडिया मार्केटिंग आदि. इस दिशा में आप कोई बेसिक ट्रेनिंग लेकर शुरुआत कर सकते हैं.

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