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शहरी परिवहन की राह आसान बनाते स्टार्टअप

मेकइजी ट्रांसपोर्ट दुनिया की आबादी वर्ष 2030 तक साढ़े आठ अरब तक पहुंच जायेगी और उस समय ज्यादातर लोग महानगरों में रहना पसंद करेंगे. बढ़ी आबादी के लिए महानगरों में सुविधाजनक यातायात मुहैया कराने की निश्चित ही बड़ी चुनौती होगी. समय रहते यदि इसका समाधान कर लिया जाये, तो भावी पीढ़ी को आज की समस्याओं […]

मेकइजी ट्रांसपोर्ट
दुनिया की आबादी वर्ष 2030 तक साढ़े आठ अरब तक पहुंच जायेगी और उस समय ज्यादातर लोग महानगरों में रहना पसंद करेंगे. बढ़ी आबादी के लिए महानगरों में सुविधाजनक यातायात मुहैया कराने की निश्चित ही बड़ी चुनौती होगी. समय रहते यदि इसका समाधान कर लिया जाये, तो भावी पीढ़ी को आज की समस्याओं की तरह जूझना नहीं पड़ेगा़ स्वचालित वाहनों के आने से संचालन के समय और वाहनों के बीच की दूरी को कम करने से सड़कों की क्षमता बढ़ायी जा सकती है.
वैसे भी डिजिटल प्रारूप में आ चुकी सुविधाओं के उभरने से ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स ग्राहकों को मोबाइल टिकटिंग की सुविधा मुहैया कराने की ओर प्रोत्साहित हुए हैं और इसमें कामयाबी भी मिली है. लग्जरी कार बनानेवाली इनफिनिटी ने इनफिनिटी लैब, स्मार्ट मोबिलिटी कार्यक्रम लॉन्च किया है, जो आधुनिक ट्रांसपोर्टेशन को नये सिरे से गढ़ने में जुटा है. इस कार्यक्रम के तहत मोबिलिटी के क्षेत्र में काम करनेवाले स्टार्टअप्स को व्यापक प्रशिक्षण और परामर्श सेवाएं मुहैया करायी जा रही है.
इस कार्यक्रम में शामिल होनेवाले स्टार्टअप्स को इनफिनिटी के इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स द्वारा एक्सक्लूसिव मेंटरशिप प्रदान किया जा रहा है. कार्यक्रम के आखिर में ऑटोमोबाइल कंपनी में शीर्ष स्तर के फैसले लेनेवालों की ओर से संस्थापकों को नये आइडियाज दिये जायेंगे. आज के स्टार्टअप्स आलेख में जानते हैं उन सात स्टार्टअप्स के बारे में, जो ट्रांसपोर्टेशन की तसवीर को नये सिरे से गढ़ने में जुटे हैं…
पैंटोनियम
यह स्टार्टअप निर्धारित रूट्स और फ्लेक्सिबल ऑन-डिमांड सर्विस के रीयल-टाइम मिक्स के जरिये ट्रांसपोर्टेशन को अनुकूल बनाने के लिए प्रोपराइटरी अल्गोरिदम का इस्तेमाल करता है.
इसका प्लेटफॉर्म क्लाउड-आधारित मोबाइल तकनीक मुहैया कराती है, जो डिस्पैच व ऑप्टिमाइजेशन, ड्राइवर और वाहनों की शिड्यूलिंग व बिलिंग तथा शिड्यूलिंग जैसे रोजमर्रा की प्रक्रियाओं को ऑटोमेटिक तरीके से निबटाने में मदद करती है. कनाडा के टाेरंटो की पैंटोनियम के सह-संस्थापक रेमी डेसा हैं. आज इनका कारोबार पूरे उत्तरी अमेरिका के 30 से अधिक राज्यों में फैल चुका है.
ब्लू सिगनल
यदि आप किसी भीड़-भाड़ वाले शहर में रहते हैं और आपको रोज भयावह ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ता है, तो ब्लू सिगनल आपको इस ट्रैफिक की भयावहता से बचने में मदद कर सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एलगोरिदम के आधार पर सूचनाओं का विश्लेषण करते हुए इसका एप्प दो घंटे से लेकर दो दिन तक एडवांस में ट्रैफिक स्टेटस और भविष्य में ड्राइवर के लिए जोखिम की दर का अनुमान लगाता है. ट्रैफिक कंजेशन को कम करने में यह तकनीक मदद करती है और ड्राइविंग को ज्यादा-से-ज्यादा सुरक्षित बनाती है. जेसोन बाइक द्वारा गठित यह स्टार्टअप फिलहाल कोरिया में संचालित है.
कारफोर्स
1960 के दशक में अमेरिकी ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी फोर्ड मस्टंग में उत्साही कलेक्टर रहे इनसान की बेटी जेसिका को बचपन से ही कारों को बेहद नजदीक से देखने और समझने का मौका मिला.
इसका उनके जीवन पर बहुत प्रभाव हुआ. आगे चलकर बिग डाटा ट्रेंड्स के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के बीच उन्होंने डिसिजन थ्योरी एंड प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की. आखिरकार कारफोर्स के नाम से उन्होंने भी अपना स्टार्टअप शुरू किया, जो ग्राहकों काे वाहनों की शर्तों के अनुसार रीयल-टाइम अपडेट्स मुहैया कराता है. कारफोर्स क्लाउड-आधारित साॅफ्टवेयर है, जो कस्टमर सर्विस और कार डीलरों के लिए कस्टमर रिटेंशन रेवेन्यू में वृद्धि करता है.
राइड
सिंगापुर-आधारित स्टार्टअप राइड सड़कों पर जाम और प्रदूषण जैसी समस्याओं को निबटाने के लिए जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल करता है. साथ ही इसका कारपूलिंग एप्प लोगों को पैसे बचाने में मदद करता है. टेरेंस झोऊ द्वारा गठित यह स्टार्टअप एक ही दिशा और गंतव्य तक जानेवाले विभिन्न लोगों को अपने प्लेटफॉर्म के जरिये जोड़ता है और उन्हें यातायात संबंधी सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराता है.
कैटसाना
इस स्टार्टअप के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर सैयद अहमद हैं. मलेशिया में संचालित यह स्टार्टअप एडवांस जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम के इस्तेमाल से वाहनों की लोकेशन की तलाश करता है और उनकी निगरानी करता है. 230 मिलियन किलोमीटर से ज्यादा सालभर के ड्राइविंग आंकड़ों को यह ट्रैक करता है और उनका विश्लेषण करता है. दरअसल, मलेशिया में रोजाना करीब 60 कारों की चोरी होती है. कैटसाना ने इस दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है आैर अपनी तकनीक के जरिये चोरी हुई कारों में से 98.2 फीसदी तक कारों को खोजने में सफलता पायी है.
सावरी
यह एक कार है, जो एक्स-रे विजन से सज्जित है. यह वी2एक्स या वेहिकल-टू-एवरीथिंग कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी सुविधा मुहैया कराता है. इसका 360 डिग्री सेंसर कार के आसपास चल रहे अन्य कारों से संचार कायम करता है. सेंसर साेलुशन कार को बुनियादी ढांचे, पैदल चलनेवालों और साइकिल चालकों से भी संपर्क कायम कराता है. रवि पुवाला द्वारा गठित इस स्टार्टअप का मुख्यालय अमेरिका में है, लेकिन इसका रिसर्च एंड डेवपलमेंट एंड कोर इंजीनियरिंग बेंगलुरु में स्थित है. रवि पुवाला का मकसद है कि वी2एक्स की तकनीक के जरिये वर्ष 2020 तक दुनिया को दुर्घटना-मुक्त बनाया जा सके.
चीन और अमेरिका की बड़ी कार निर्माता कंपनियों ने सावरी की तकनीक की क्षमता को देखते हुए वर्ष 2015 में व्यापक तादाद में निवेश किया था. वी2एक्स तकनीक के जरिये सावरी ने इस क्षेत्र में अपनी बादशाहत कायम कर रखी है.
अर्जेंटली
यह स्टार्टअप दुनियाभर में लाखों ग्राहकों को रोडसाइड सहायक सेवाएं, प्रोडक्ट्स और टेक्नोलॉजी मुहैया कराता है. इसकी तकनीक रीयल-टाइम डिस्पैच और फास्ट डिजिटल पेमेंट्स जैसी सुविधा देती है. इसके सह-संस्थापक रिक रोबिनसन पूर्व में एओएल के एक्गीक्यूटिव रह चुके हैं. इससे पहले उन्होंने हाइपरलोकल मीडिया कंपनी का गठन किया और बाद में उसे बेच दिया.
प्रस्तुति
कन्हैया झा
स्टार्टअप क्लास
स्वास्थ्य और पर्यावरण कारणों से
बढ़ेगी ग्रीन होम की लोकप्रियता
ऋचा आनंद
बिजनेस रिसर्च व एजुकेशन की जानकार
– गर्मी से बचाव के लिए ग्रीन होम का कॉन्सेप्ट लोकप्रिय हो रहा है. क्या छोटे शहरों में इसकी सस्ती व टिकाऊ उत्पादों की बिक्री हो सकती है? इस कारोबार में छिपे अवसर व चुनौतियों के बारे में बताएं.
यहां यह समझने की जरूरत है कि ग्रीन होम केवल गर्मी से बचने के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल बिल्डिंग बनाने की प्रक्रिया भी है. इस कॉन्सेप्ट का इस्तेमाल रिहाइशी, व्यावसायिक व अन्य प्रतिष्ठानों को बनाने में हो रहा है. इसमें दो मुख्य आयाम हैं :
(क) डिजाइन : इमारत की डिजाइन कुछ ऐसी बनायी जाती है कि सूर्य की रौशनी का इस्तेमाल ज्यादा-से-ज्यादा हो सके और बिजली की खपत घटायी जा सके. पानी के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग का प्रयोजन भी किया जाता है. इमारत की डिजाइन बाहर की गर्मी को रोकने में सक्षम होती है. इसके अलावा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए गार्बेज डिस्पोजल सिस्टम बनाये जाते हैं.
(ख) मैटेरियल : इमारत बनाने में इस्तेमाल होनेवाले मैटेरीयल मुख्यतः रीसाइकल्ड होते हैं. पारंपरिक ईंटों की जगह फ्लाईएश के ईंटो का इस्तेमाल होता है. खिड़कियों के कांच बाहर की गर्मी को रोकने में समर्थ होते हैं और इमारत में प्राकृतिक रूप से ठंडक बनी रहती हैं.
आप इस कारोबार में एक ट्रेडर के तौर पर शुरुआत कर सकते हैं और मैटेरियल की सोर्सिंग और सप्लाई पर अपना कारोबार केंद्रित कर सकते हैं. आप फ्लाईएश की ईंट, हीट-रेसिस्टेंट कांच, सोलर पैनल, बैम्बू फ्लोरिंग, कम वीओसी वाले पेंट और रीसाइकल्ड बिल्डिंग मैटेरियल जैसी चीजों के सोर्सिंग पर ध्यान दे सकते हैं.
फिलहाल, यह व्यवसाय थोड़ी धीमी गति में रहेगा, क्योंकि लोगों में ग्रीन होम्स के बारे में जागरुकता अभी ज्यादा नहीं है. लेकिन इसमें बहुत संभावनाएं हैं. इसके अलावा आप सीआइआइ के अंतर्गत इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल में स्वयं को पंजीकृत करा सकते हैं, जिससे आपको इस कारोबार से जुड़ी और जानकारी मिलेगी.
जैविक खाद निर्माण में व्यापक संभावनाएं
– आजकल शुद्ध खान-पान के नजरिये से जैविक खेती पर बहुत जोर दिया जा रहा है. ऐसे में जैविक खाद के उत्पादन का व्यवसाय छोटे स्तर पर कैसे शुरू कर सकते हैं और इसमें कैसी संभावनाएं हैं?
– नीरज कुमार, डाल्टेनगंज
जैविक खेती की ओर उपभोक्ता और किसानों की जागरुकता बढ़ रही है. ऐसे में जैविक खाद की जरूरत भी बढ़ रही है. फिलहाल इसकी आपूर्ति एग्रीकल्चर रिसर्च प्रतिष्ठान, कृषि विश्वविद्यालयों और कुछ फर्टिलाइजर कंपनियां ही करती हैं, जो पर्याप्त नहीं हैं. छोटे उद्यम के रूप में इसकी शुरुआत करना एक अच्छा आइडिया है. आपको जैविक खाद के उत्पादन में प्लांट की क्षमता, स्थान और यातायात की सुविधा का ध्यान रखना होगा. प्लांट की क्षमता आप निवेश और रॉ-मैटेरीयल की उपलब्धता के हिसाब से तय कीजिए. सामान्यतः आपके प्लांट में एक या दो कंपोस्ट टैंक, रॉ- मैटेरीयल और उत्पाद का स्टोरेज होना चाहिए. इस सेट-अप से आप करीब 50,000 टन तक का जैविक खाद बना सकते हैं. रॉ-मैटेरीयल के लिए आप इनका इस्तेमाल कर सकते हैं :
< बायो-गैस और खेती के बाद बचे अन्य वेस्ट
< इंडस्ट्रियल वेस्ट
< पशुओं के मल
< घरेलू तथा सब्जी मंडियों के वेस्ट.
आप किसी कृषि विज्ञान केंद्र से जैविक खाद बनाने का प्रशक्षिण भी ले सकते हैं. इसको व्यवसाय का स्वरूप देने के लिए आपको इसके मार्केटिंग और सप्लाई चेन को भी पुख्ता करना पड़ेगा, जिससे आप कृषि प्रधान क्षेत्रों में उत्पाद को पहुंचा सकें.
ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव ला रहा सोलर पैनल
– घरों में इंस्टॉल की जानेवाली सोलर किट की लागत कितनी आयेगी? क्या इसकी कीमत मौजूदा स्रोतों से हासिल होनेवाली बिजली से कम होगी? इस कारोबार के बारे में सोचा जा सकता है क्या? कृपया उचित परामर्श दें.
– शेखर कुमार, बेतिया
घरेलू सोलर पैनल किट मुख्य तौर पर दो प्रकार के होते हैं :
(क) बिजली ग्रिड से जुड़े : ये सोलर पैनल आपके बिजली वितरण कंपनी के ग्रिड से जुड़े होते हैं. इसलिए आपके पैनल से पैदा होनेवाली बिजली को आपकी बिजली वितरण कंपनी खरीदती है और उसके पैसे आपको बिल के साथ क्रेडिट कर दिये जाते हैं. ऐसे सोलर पैनल की कीमत 60 से 90 हजार तक की होती है.
(ख) बिजली ग्रिड से अलग : ऐसे पैनल में बैटरी लगी होती है, जो बिजली को स्टोर करती है. इसलिए इन पैनलों की कीमत ज्यादा होती है. इनकी कीमत सवा लाख रुपये तक होती है. सरकार की परियोजना के तहत पंजीकृत सूची वाली कंपनी से सोलर पैनल लेने पर सब्सिडी मिलती है. इसलिए इंपोर्टेड और देसी पैनल की कीमत में बहुत फर्क नहीं है.
सोलर बिजली अन्य विकल्पों की बजाय सस्ती पड़ती है, क्योंकि इसमें ईंधन और देखभाल का खर्च नहीं लगता. इसके अलावा यह पर्यावरण अनुकूल भी है, क्योंकि इससे वायु तथा ध्वनि प्रदूषण भी नहीं होता. हालांकि, इससे आप ज्यादा पावर वाले उपकरण जैसे एसी, ओवेन आदि नहीं चला सकते. सोलर पैनल के बाजार में सप्लायर के तौर पर आप अपना कारोबार खड़ा कर सकते हैं.
आप स्कूल, कॉलेज, होटल और सामाजिक प्रतिष्ठानों को भी अपने टारगेट मार्केट के तौर पर देख सकते हैं. उपभोक्ता की जरूरतों के अनुसार इंपोर्टेड या देसी उत्पाद को आप सोर्स कर सकते हैं. कई प्रतिष्ठान इसे प्रोजेक्ट के तौर पर भी कार्यान्वित कर रहे हैं और स्केल बड़ा होने की वजह से आपको शुरुआती सपोर्ट भी दे सकते हैं.

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