‘दिल्ली क्राइम’ का दूसरा सीजन रिलीज हो चुका है. इसे लोग पसंद कर रहे हैं. एक्ट्रेस शेफाली शाह की एक्टिंग की जमकर तारीफ हो रही है. उन्होंने सीरीज में डीएसपी का किरदार निभाया है. अब इस सीरीज के निर्देशक तनुज चोपड़ा का कहना है कि पुलिस के कामकाज की असलियत हमेशा अच्छी नहीं होती है. दरअसल वह नृशंस हत्याओं की गुत्थी सुलझाने का काम करने वाले पुलिस बल की दुविधाओं के साथ ही उसकी पारंपरिक छवि तथा पुलिस अत्याचारों से जुड़ी चिंताओं को पेश करना चाहते थे.
एक ओर जहां नेटफ्लिक्स के शो ‘दिल्ली क्राइम’ का पहला सीजन निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले पर आधारित था वहीं, दूसरे सीजन में बुजुर्गों से लूटपाट और हत्याओं के मामलों को उठाया गया. तनुज चोपड़ा ने ”पीटीआई-भाषा” से कहा, ”ये एक सोच-समझकर लिया गया फैसला था… अपराध के पीछे कौन है, इसका पता लगाने के लिए एक निश्चित प्रोटोकॉल है.”
उन्होंने कहा, ”समुदायों पर छापा मारा जाता है, बहुत से लोगों को घेर लिया जाता है और अपराधियों को ढूंढने के मामले में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है. इन तकनीकों के बारे में बहुत बातचीत हुई और यह वास्तव में दुनिया भर में यह एक बड़ा सवाल है.”
‘दिल्ली क्राइम’ का दूसरा सीजन दिल्ली के पूर्व पुलिस प्रमुख नीरज कुमार की किताब ”खाकी फाइल्स” के एक अध्याय से प्रेरित है. यह 1990 के दशक की शुरुआत में शहर को हिलाकर रख देने वाली सिलसिलेवार हत्याओं के बारे में है. शो अपराधी गिरोह ‘कच्छा-बनियान’ के रूप में देखे जाने वाले जरायम पेशा से जुड़े मामलों पर केंद्रित है.
‘दिल्ली क्राइम-2’ में पुलिस विभाग के कामकाज को बेहतरीन तरीके से संभालने को लेकर पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) वर्तिका चतुर्वेदी के किरदार के लिए अभिनेत्री शेफाली शाह को तारीफ मिल रही है. उन्होंने कहा, ”कातिल को पकड़ने की प्रक्रिया आसान नहीं है, लेकिन जिंदगी भी मुश्किल होती है. शो में इस बात को दर्शाने की जरूरत थी. क्राइम फिक्शन भी मांग करता है कि आप लोगों के देखने लायक कुछ बनाएं. यह एक शो है, यह कुछ ऐसा है, जिसका लोग आनंद लें सकें.”
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‘दिल्ली क्राइम’ के पहले सीजन ने सर्वश्रेष्ठ ड्रामा सीरीज के लिए अंतरराष्ट्रीय एमी पुरस्कार मिल चुका है. इस खिताब को जीतने वाला ‘दिल्ली क्राइम’ पहला भारतीय शो है.