हिबतुल्लाह अखुंदजादा (Hibatullah Akhundzada) तालिबान (Taliban) का सुप्रीम लीडर है. कट्टरपंथी और इस्लामिक स्कॉलर है. कंधार (Kandahar) में उसका जन्म हुआ. पूरा जीवन अफगानिस्तान (Afghanistan) में गोली-बंदूक और शरीया कानून के बीच बीता. इसलिए किसी भी आतंकी से ज्यादा कट्टर है. मदरसे चलाता है. 1990 के दशक में तालिबान का जज हुआ करता था.
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अब्दुल गनी बारादर (Mulla Abdul Ghani Baradar) तालिबान के राजनीतिक ऑफिस का प्रमुख है. तालिबान का गठन करने वाले 4 लोगों में एक बारादर को मुल्ला उमर (Mulla Omar) का सबसे करीबी माना जाता था. तालिबान का डिप्टी रक्षा मंत्री था. अफगानिस्तान (Afghanistan) का अगला राष्ट्रपति हो सकता है. वर्ष 2010 में पाकिस्तान (Pakistan) और अमेरिका (USA) के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था.
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मुल्ला मोहम्मद याकूब तालिबानी सेना का प्रमुख है. तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा वर्ष 2016 में तालिबान का चीफ नहीं बन पाया था, क्योंकि उसके पास उस वक्त अनुभव की कमी थी. मुल्ला याकूब आज विदेश अभियान देखता है. सैन्य अभियान का चीफ है. उसे तालिबान का उत्तराधिकारी माना जाता है.
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सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान का एक और अहम चेहरा है. वह जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है. तालिबान का यह नेता हक्कानी नेटवर्क का भी प्रमुख है. हक्कानी नेटवर्क तालिबान का सहयोगी संगठन है. 40 से 50 वर्ष की उम्र के सिराजुद्दीन हक्कानी पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर यानी करीब 75 करोड़ रुपये का इनाम रखा है.
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सुहैल शाहीन मॉडर्न शख्सीयत है. तालिबान का प्रवक्ता है. फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है. वर्ल्ड मीडिया को तालिबान की ओर से तमाम बयान वही जारी करता है. तालिबान के सबसे लोकप्रिय चेहरों में शुमार सुहैन शाहीन काबुल टाइम्स का संपादक रह चुका है.
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खूंखार कार्रवाईयों के लिए जाना जाने वाला तालिबान इस बार अपनी छवि बदलने की कोशिश में है. कहा जा रहा है कि बिना किसी खून-खराबा के उसने अफगानिस्तान की सत्ता हथिया ली. अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश देखता रह गया.
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