Bengal Election: विधानसभा चुनाव 2020 के समय ‘बिहार में का बा…’ से सियासत गर्माने वाली लोक गायिका नेहा सिंह राठौर (Neha Singh Rathore) ने अब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal Chunav) के लिए भी एक लोकगीत गाया है. इसमें नेहा सिंह ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के खिलाफ ताल ठोका है. इसके साथ ही बंगाल चुनाव में राम के मुद्दे को भी उठा रहीं हैं.
‘दीदी बंगाल के होई गैलू तू काल, बोलो सा रा रा रा…’ होली के रंग में नेहा का ये गाना सोशल मीडिया पर चर्चा के केंद्र में आ गया है. गाने में उन्होंने ममता बनर्जी को जय श्री राम नारे को लेकर सलाह भी दी है. ‘खाली दाल-भात देला से दाल ना गली, हमरे राम के विरोध तोहरा ना फली…’ अपने गाने में नेहा ने ममता बनर्जी को ‘बंगाल का काल’ बताया है. बांग्लादेसियन के स्वर्ग बंगाल, अपने लोगन के कैलू कंगाल, बोलो सा रा रा रा…नेहा के गीत में आगे ममता बनर्जी के गुस्सा पर कटाक्ष हैं. ‘दीदी नाके पे गुस्सा, काटेलू बवाल, बोलो सा रा रा रा…गाने में ममता बनर्जी को तानाशाह भी बताया गया है.
नेहा ने अपने गाने के जरिए ये भी बताया है कि बंगाल की जनता उनकी रंगाबजी से परेशान है. सत्ताविरोधी गीतों के लिए चर्चित नेहा सिंह राठोर के इस गाने पर फैंस से ट्रोल भी हो रहीं हैं, वहीं कुछ यूजर्स ने लोकगायिका की जबरदस्त प्रशंसा की है. बता दें कि अपने लोकगीतों से नेताओं पर निशाना साधने वाली युवा लोकगायिका बिहार के कैमूर (भभूआ) जिले के जलदहां गांव निवासी हैं. भोजपुरी गीतों के जरिए वो सोशल मीडिया सेंसेशन बनीं.
बंगलादेसीयन के स्वर्ग बंगाल…#धरोहर #बंगाल_चुनाव #चुनाव_गीत #नेहा_सिंह_राठौर #अकेला_चना pic.twitter.com/zsLVwVqJh7
— Neha Singh Rathore (@nehafolksinger) March 18, 2021
प्रशंसक आज की तारीख में 3 मिलियन से अधिक हो गए हैं. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नेहा सिंह राठोर ने मनोज वाजपेयी के एक गाने (मुंबई में का बा) के तर्ज पर कटाक्ष करते हुए गाया था कि बिहार में का बा. उनका यह गाना राजनीतिक दलों के लिए वार-पलटवार का जरिया बना था. कई राजनीतिक दलों ने इस गाने के आधार पर ही सोशल मीडिया कैंपेन भी चलाया था.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाने पर रखते हुए नेहा सिंह राठोर ने ये गाना क्यों बनाया और लिखा, ये जानकारी उन्होंने अपने एक फेसबुक पोस्ट में दी है. उन्होंने लिखा है- सवाल उसी से पूछे जाएंगे, जो सत्ता में होगा. बंगाल में 35 साल तक वामपंथियों की सरकार रही, फिर टीएमसी की सरकार आयी, जो बीते 10 सालों से सत्ता में है. किससे सवाल पूछे जाएं? आलोचना किसकी की जाए?
जिस तरह देश की तमाम मौजूदा समस्याओं के लिए नेहरू को दोष देना हास्यास्पद है, उसी तरह पश्चिम बंगाल की मौजूदा अव्यवस्थाओं के लिए ममता बनर्जी सरकार के अलावा किसी की भी आलोचना करना नासमझी है. किसी भी राज्य की अच्छाई-बुराई के लिए वहां की सरकार जिम्मेदार है. ऐसे में आलोचना भी सरकार की ही होगी. मुझे खेमेबाजी का खेल नहीं खेलना. अगर बिहार की दुर्दशा के लिए नीतीश कुमार जिम्मेदार थे तो बंगाल में चल रही गड़बड़ी के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री को ही जिम्मेदार माना जायेगा.
मैं फिर से कहूँगी, जो सत्ता में होगा, सवाल उसी से पूछे जाएंगे. बस. एक बात और… आलोचना और विरोध दो अलग चीजें हैं. ठीक वैसे ही, जैसे लोकतंत्र की आलोचना लोकतंत्र का विरोध नहीं है. सरकार की आलोचना का उद्देश्य सरकार को गिराना ही नहीं होता. इसका उद्देश्य उसपर दबाव बनाना भी होता है.
Posted By: utpal Kant