कोलकाता/नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बाद अब प्रदेश के बुद्धिजीवी भी मुखर हो रहे हैं. 600 से अधिक प्रोफेसरों एवं कुलपतियों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा का स्वत: संज्ञान लेने तथा ऐसी घटनाओं की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की अपील की.
शिक्षाविदों ने मंगलवार को जारी एक बयान में दावा किया कि बंगाल समाज का एक बड़ा हिस्सा भय के साये में रह रहा है. इस बयान में यह आरोप भी लगाया गया है कि जिन लोगों ने हाल के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के विरुद्ध वोट डाला, उन्हें परेशान किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि हजारों लोग बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी से समर्थित गुंडों द्वारा हत्या या हमला किये जाने के डर से असम, ओड़िशा और झारखंड चले गये हैं.
समूह ने कहा, ‘हम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे स्वतंत्र प्राधिकारों द्वारा जांच की अपील करते हैं. हमने उच्चतम न्यायालय से इस मामले का स्वत: संज्ञान लेने एवं इन घटनाओं की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की भी अपील की है.’ उन्होंने कहा कि हिंसा की ऐसी हरकतें एवं आतंक की राजनीति संविधान को कमजोर करती हैं एवं लोकतंत्र के मूल तत्वों को नष्ट करती हैं.
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भाजपा ने राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर इस हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. वहीं, ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर हिंसक घटनाओं का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि इन घटनाओं में उसके भी कार्यकर्ता मारे गये हैं.
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनाव से पहले से ही तृणमूल कांग्रेस पर राजनीतिक और चुनावी हिंसा फैलाने का आरोप लगाती रही है. बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग में दावा किया था कि 5 साल में भाजपा के 166 कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गयी. बंगाल चुनाव 2021 के परिणाम आने के बाद 37 कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गयी.
Posted By: Mithilesh Jha