कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद चर्चा थी कि अभिजीत मुखर्जी भी ममता बनर्जी की पार्टी का दामन थामने वाले हैं. टीवी चैनलों पर लगातार यह खबर चलती रही. पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने इन खबरों पर अपना मुंह खोला और अपने इरादे स्पष्ट कर दिये.
अभिजीत मुखर्जी ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि वह अपने दोस्त जितिन प्रसाद की तरह कांग्रेस नहीं छोड़ रहे हैं. टेलीविजन चैनलों और कुछ समाचार पत्रों की खबरों में कहा गया था कि वह शुक्रवार की शाम तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे.
पूर्व लोकसभा सदस्य और विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष रहे अभिजीत मुखर्जी ने कहा- मैं कांग्रेस में हूं और वे खबरें सही नहीं हैं कि मैं तृणमूल या किसी अन्य पार्टी में शामिल हो रहा हूं. हाल ही में भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद के साथ मुखर्जी के अच्छे संबंध थे, जब वे कांग्रेस संसदीय दल में सहयोगी थे.
दिवंगत प्रणब मुखर्जी के भी जितिन तथा उनके पिता जितेंद्र प्रसाद के साथ अच्छे संबंध थे. जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से दो बार जीतने वाले मुखर्जी ने मजाकिया लहजे में कहा- मैं अभी तृणमूल भवन से लगभग 300 किमी दूर जंगीपुर हाउस में बैठा हूं… इसलिए, जब तक कोई मुझे टेलीपोर्ट नहीं करता, मेरे लिए आज शाम किसी भी पार्टी में शामिल होना असंभव होगा.
अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि शायद अटकलों को उस समय बल मिला, जब उनके पिता के कुछ पूर्व कांग्रेसी सहयोगी, जो अब तृणमूल में हैं, उनके यहां चाय पर आये थे. उन्होंने कहा कि उनमें जंगीपुर से सांसद खलीलुर रहमान, मुर्शिदाबाद से सांसद अबु ताहिर खान और तृणमूल मंत्री अखरुज्जमां और सबीना यास्मीन शामिल थे.
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उन्होंने कहा- मैं उन्हें लंबे समय से जानता हूं, क्योंकि वे मेरे पिता के करीब थे… मित्र मुझसे मिलने आये थे, इस आधार पर ऐसी अटकलें लगाना सही नहीं है कि मैं तृणमूल में शामिल हो जाऊंगा. राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी वर्ष 2004 और 2009 में दो बार जंगीपुर से निर्वाचित हुए थे. उनके द्वारा शुरू की गयी कई परियोजनाएं अब लागू हो चुकी हैं.
अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि एक सांसद के रूप में वह भी इनमें से कुछ परियोजनाओं से जुड़े हुए थे और राज्य के नेताओं के साथ उनकी ज्यादातर बातचीत उन परियोजनाओं के कार्यान्वयन तथा पुराने मित्रों के साथ सामान्य सामाजिक संबंधों पर आधारित थीं.
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Posted By: Mithilesh Jha