कोलकाता : दक्षिण कोलकाता की भवानीपुर विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने को लेकर वाम मोर्चा व कांग्रेस में विवाद गहरा गया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के फैसले का एक तरफ पार्टी के कई नेताओं ने स्वागत किया है, तो संयुक्त मोर्चा में शामिल वाम मोर्चा इसके पक्ष में नहीं है. इस मुद्दे पर गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है.
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे अब्दुल मन्नान ने कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बंगाल में तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के समय उन्होंने खड़गपुर सीट पर भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा नहीं करने की बात कही थी. उस समय पार्टी के कई नेताओं ने इसका विरोध किया था. अब एक बार फिर से वैसा ही किया जा रहा है.
पार्टी के अन्य नेताओं का भी कहना है कि राजनीतिक शिष्टाचार के तहत बहुमत हासिल करने वाली पार्टी के मुख्यमंत्री के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा नहीं करना चाहिए. दूसरी तरफ, वाम मोर्चा के दल इससे सहमत नहीं हैं. विशेषकर माकपा का कहना है कि भवानीपुर सीट पर अगर कांग्रेस या गठबंधन में शामिल दलों में से कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारेगा, तो भाजपा वहां पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी बन जायेगी. इसका गठबंधन के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा. कोई भी निर्णय लेने से पहले इसका ठीक तरीके से आकलन कर लेना बहुत जरूरी है.
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गौरतलब है कि बंगाल विधानसभा चुनाव के समय भी वाम मोर्चा गठबंधन में दरार देखने को मिली थी. कई सीटों पर वामदलों व कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा कर दी थी. उन्होंने इसे ‘मैत्रीपूर्ण लड़ाई’ करार दिया था. अब इस नये विवाद से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि माकपा गठबंधन जारी रखने के पक्ष में नहीं है. वहीं, कांग्रेस इसे बरकरार रखना चाहती है.
Posted By: Mithilesh Jha