पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार स्वपन दासगुप्ता ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है. स्वपन दासगुप्ता को तारकेश्वर विधानसभा सीट से बीजेपी का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद टीएमसी ने विरोध किया था और राज्यसभा से उनकी सदस्यता को अयोग्य करार देने की मांग की थी.
पार्टी उम्मीदवार घोषित होने के बाद स्वपन दासगुप्ता ने ट्वीट कर कहा था कि “पश्चिम बंगाल भाजपा द्वारा तारकेश्वर-बंगाल की सांस्कृतिक विरासत का केंद्र बनने के लिए नामित होने के लिए सम्मानित. मैं एक नए, जीवंत सोनार बांग्ला अभियान के लिए तत्पर हूं. “
इसके बाद से ही स्वपन दासगुप्ता टीएमसी और कांग्रेस के निशाने पर आ गये हैं. क्योंकि स्वपन दासगुप्ता को के नाम की घोषणा के साथ ही राज्यसभा सांसद को संसद के ऊपरी सदन से अयोग्य ठहराये जाने की मांग की जा रही थी.
दासगुप्ता के पश्चिम बंगाल चुनावों के नामांकन के बाद, तृणमूल कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद को आयोग्य करने की मांग की थी. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि था स्वपन दासगुप्ता को भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत सांसद के पद से अयोग्य ठहराया जाए. टीएमसी का आरोप है कि स्वपन दासगुप्ता राज्यसभा के मनोनीत सदस्य हैं और अधिकारिक तौर पर किसी पार्टी से जु़ड़े नहीं है.
जानकारी के मुताबिक टीएमसी मंगलवार को राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडु से मुलाकात कर स्वप्न दासगुप्ता को सांसद के तौर पर आयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली थी. टीएमसी लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को इस मामले पर ट्वीट कर संविधान की दसवीं अनुसूची का हवाला देते हुए बिंदु संख्या 3 का जिक्र करते हुए लिखा था कि “सदन के एक नामित सदस्य को सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य घोषित किया जाता है यदि वह उस तारीख से छह महीने की समाप्ति के बाद किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होता है.
संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत राज्यसभा के नामांकित सदस्य की उम्मीदवारी जा सकती है अगर वह राज्यसभा सांसद के लिए शपथ लेने के छह महीने बाद किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होते हैं. “स्वपन दासगुप्ता बंगाल चुनावों के लिए भाजपा के उम्मीदवार हैं. उन्हें अप्रैल 2016 में शपथ दिलाई गई थी. इसलिए अब जब स्वपन दासगपुप्ता ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया है.
Posted By: Pawan Singh