पानागढ़ (मुकेश तिवारी): पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस बार ऐसे महिला उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतारें हैं जिनका सामाजिक जीवन ही उनके लिए सबसे बड़ी पूंजी हैं. भले ही वो आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए हैं. बांकुड़ा के सालतोरा विधानसभा क्षेत्र की उम्मीदवार चंदना बाउरी के बाद एक बीजेपी ने पूर्वी बर्दवान के आउसग्राम विधानसभा क्षेत्र से एक ऐसे ही उम्मीदवार को मैदान में उतारा है.
आउसग्राम से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार कलिता मांझी अत्यधिक गरीबी के कारण बहुत आगे तक पढ़ाई नहीं कर पायी. प्राथमिक विद्यालय की सीमाओं को पार करने से पहले उसे स्कूल छोड़ना पड़ा.शादी के बाद भी गरीबी एक निरंतर साथी बना रहा. पति एक प्लम्बर है. कमायी से पूरी तरह परिवार नहीं चलता.इसलिए 32 वर्षीय गृहवधू कलिता मांझी को अधिक पैसा कमाने के लिए दूसरों के घर मे परिचारिका (नौकरानी) के रूप में काम करना शुरू करना पड़ा.
इन दैनिक संघर्षों के बावजूद कलिता ने कभी हार नही मानी. यही कारण है कि इस बार पूर्वी बर्दवान के आउस ग्राम की एक साधारण गरीब घर की गृहवधू परिचारिका कलिता मांझी को भाजपा ने टिकट देकर विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है.परिवार के भरण पोषण की लड़ायी लड़ते लड़ते कलिता अब क्षेत्र की जनता के दुख दर्द की लड़ाई लड़ने जा रही है.
वह 21 वीं विधानसभा वोट में आउस ग्राम से भाजपा की उम्मीदवार बनी हैं. गुरुवार को नाम की घोषणा के साथ ही लड़ाई की तैयारी भी शुरू हो गई है. गुसकड़ा इलाके के वार्ड नंबर 3 की रहने वाली कालिका नौकरानी का काम करती है. हालांकि, अपने नाम की घोषणा होने के बाद, वह जहां काम करती है उनके घर में आयी और कहा, “मुझे डेढ़ महीने की छुट्टी चाहिए. क्योकि मुझे चुनाव में व्यस्त रहना है. ”
कलिता के नाम की घोषणा होने के बाद, भाजपा उम्मीदवार स्थानीय पार्टी कार्यालय में चली गयी.पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा उनका स्वागत किया गया. गुसकड़ा नगर पालिका के वार्ड नंबर 3 में मझ पाड़ा की रहने वाली कलिता मांझी के पति सुब्रत मांझी पानी की पाइप लाइन मैकेनिक का काम करते हैं.एक पुत्र, पार्थ मांझी, आठवीं कक्षा में है.
कलिता ने गुसकड़ा शहर में तीन घरों में एक अनुबंध के आधार पर नौकरानी के रूप में काम करती है.भोर का उजाला होते ही वह काम पर चली जाती है.पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, पिता का घर जिले के मंगलकोट के काशमनगर में है. पिता मधुसूदनबाबू की मौत हो चुकी है. सात बहन, व एक भाई हैं.
कलिता बताती है कि मेरे पिता एक मजदूर के रूप में काम करते थे. कलिता ने कहा, “मैं पैसे की कमी के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई.यह अफसोस जीवन भर रहेगा. हालांकि, अगर मैं चुनाव जीतती हूं, तो मैं पूरी कोशिश करूंगी कि मैं गरीब छात्रों को पढ़ाई का मौका दूं. गरीबी का दर्द समझती हूँ .
आउस ग्राम विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के सह-संयोजक चंद्रनाथ बंद्योपाध्याय ने कहा, “हमारी पार्टी गरीबों के हितों के लिए लड़ती है. पार्टी ने कलिता मांझी जैसी गरीब परिवार की महिला को प्रार्थी बनाकर यह साबित किया है कि दल में कोई उच नीच नही है .
एक छोटी घर की महिला कलिता मांझी को दल ने नामांकित किया है. हमारा उम्मीदवार जीत निश्चित रूप से जीतेगा. हमें यकीन है . लेकिन अब कलिता के सामने एक बड़ी लड़ाई है. वह रोज़मर्रा के काम से छुट्टी मिलते ही अपनी पूरी ताकत के साथ उस लड़ाई में कूदने में सक्षम होना पड़ेगा.
Posted By: Pawan Singh