ममता को लगी चोट के मामले में चुनाव आयोग ने फैसला सुना दिया है. पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय , विशेष पुलिस पर्यवेक्षक विवेक दूबे, विशेष पर्यवेक्षक अजय नायक की रिपोर्ट पर चर्चा करने के बाद चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाया है. चुनाव आयोग ने माना कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी के साथ हादसा हुआ था. ममता पर किसी भी तरह के हमले को चुनाव आयोग ने नकार दिया है.
चुनाव आयोग के फैसले से ममता बनर्जी के उन आरोपों को भी झटका लगा है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन पर हमला बीजेपी और आरएएसएस के लोगों ने कराया था. क्योंकि जब बरुलिया बाजार में ममता बनर्जी को चोट लगी थी तो सबसे पहले उन्होंने हमले का आरोप विपक्ष पर लगाया था. इसके बाद से टीएमसी कार्यकर्ताओं ने ममता पर हुए कथित हमले के विरोध में पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया था.
घटना के बाद नंदीग्राम के लोगों ने ममता बनर्जी का विरोध किया और कहा कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम की जनता को बदनाम किया है. मीडिया में यह भी खबरें आयी की घटना स्थल पर एक पोल था जिसके कारण उनकी कार का गेट बंद हुआ और उन्हें चोट लगी. पर इसके बाद भी टीएमसी यह मानने को तैयार नहीं थी की ममता बनर्जी को चोट लगी है.
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ममता की चोट पर विपक्षी दलों की ओर से यह भी बयान आया की वोट बटोरने के लिए यह ममता बनर्जी का चुनावी पाखंड है. क्योंकि अगर यह साबित हो जाता की ममता बनर्जी पर हमला हुआ था तो उन्हें सहानुभूति वोट मिलते जो नंदीग्राम में उन्हें शुभेंदु के खिलाफ लड़ाई में फायदा पहुंचा सकता था. क्योंकि यह सीट ममता बनर्जी के लिए प्रतिष्ठा का विषय है.
इसके बीच बात चुनाव आयोग तक पहुंची. चुनाव आयोग ने अलग अलग बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी. रिपोर्ट से यह बात सामने आयी कि कई मौकों पर ममता बनर्जी का बयान पहले दिये गये बयान या सच से परे था. सबसे पहले ममता बनर्जी ने खुद पर सियासी हमला बताया, पर रिपोर्ट में इस तरह के किसी भी हमले का कोई संकेत नहीं है. ममता ने घायल होने के बाद ममता ने आरोप लगाया था कि चार पांच लोगों ने उन्हें धक्का मारा था, पर रिपोर्ट में कहा गया है कि गाड़ी के दरवाजे से चोट लगी है.
इन सब तथ्यों को देखते हुए चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुना दिया. आयोग से फैसले से ममता बनर्जी के चोट का सच सामने आ गया. इसलिए अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या ममता बनर्जी का यह दांव चुनाव में उनके लिए उलटा पड़ गया है.
राजनीतिक विश्लेषक तथा सेंटर फॉर स्टडी इन सोशल साइंसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मोइदुल इसलाम कहते हैं कि ममता बनर्जी अगर चोट की वजह से बिस्तर पर पड़ी रह जाती हैं, तो निश्चित ही तृणमूल के लिए यह नुकसानदेह साबित हो सकता है. घटना की वजह से तृणमूल को सहानुभूति वोट मिल सकते हैं, पर ये कितने होंगे यह कहना कठिन है. अब आयोग कि रिपोर्ट से इसपर असर हो सकता है. राजनीतिक विश्लेषक विमल शंकर नंदा कहते हैं कि घटना को साजिश बताने की रणनीति फायदेमंद भी हो सकती है और नुकसानदेह भी. इसकी संभावना कम ही है कि तृणमूल इसका फायदा उठा सकेगी.
Posted By: Pawan Singh