कोलकाता (नवीन राय): पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की एक टीम कोलकाता में हैं. कोलकाता में शुक्रवार को संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने विधानसभा चुनाव में भाजपा पर वोट से चोट पहुंचाने की अपील की. इसके लिए वे लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं.
पहले दिन संवाददाता सम्मेलन के बाद मेयो रोड से जुलूस निकाल कर किसान नेता रामलीला पार्क में किसान आंदोलन के लिए लोगों से समर्थन मांगा. इसके बाद देर शाम भवानीपुर स्थित खालसा स्कूल के सभागार में बुद्धजीवियों के साथ बैठक कर कृषि कानून को क्यों वापस लिया जाये, इस पर चर्चा की. लोगों से मुखातिब किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि अपने हक की आवाज बुलंद करने व भावी पीढ़ी के भविष्य का ख्याल रखते हुए किसान पिछले 105 दिनों से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं.
उसके पहले आंदोलनरत किसान ढ़ाई महीने तक रेल की पटरियों पर बैठे रहे. उन्होने केंद्र सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार सोचती है कि थक कर किसान अपना आंदोलन वापस ले लेंगे. लेकिन हकीकत यह है कि किसान जब तक कृषि बिल को कृषि कानून वापस नहीं होंगे किसान आंदोलन पर डटे रहेंगे.
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उन्होने कहा कि बदली हुई रणनीति के तहत किसानों ने तय किया है कि हर गांव से 10 लोग आंदोलन स्थल पर डटे रहेंगे. यह लोग तब तक वापस नहीं हटेंगे जब तक उतनी ही संख्या में उनके गांव के से दूसरे किसान नहीं आ जाते हैं. क्योंकि किसानों को पता है कि मोदी सरकार सब कुछ बेच दो की नीति पर चलते हुए सरकारी संपत्तियों को अपने करीबी उद्योगपतियों को देना चाहती है.
लिहाजा इस सरकार को हटाने के लिए जिन राज्यों में चुनाव चल रहा है. वहां पर वह लोग जा रहे हैं और लोगों से अपील कर रहे हैं कि भाजपा को वोट से चोट पहुंचाये ताकि उसकी अक्ल ठिकाने लगे. इसलिए भाजपा को हराने वाले उम्मीदवारों को आप अपना वोट दें.
किसान नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि पश्चिम बंगाल के किसानों के प्रति आंदोलनरत किसानों का पत्र लेकर आये हैं. पत्र में किसानों ने अपील कि है की यहां के किसान उनके आंदोलन में सक्रिय रूप से जुड़े ताकि भाजपा को हराया जा सके. क्योंकि अभी तक बंगाल देश के लोगों को नई दिशा दिखाते आ रहा है.
भाजपा को अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए किसानों का यह पत्र राज्य के सभी 294 विधान सभा केंद्रों में जाएगा. उन्होने कहा कि इस पत्र को सोशल मीडिया या फिर इसकी फोटोकॉपी कराकर लोगों के बीच बांटी जाएगी.
वामपंथी किसान नेता व पूर्व सांसद हन्नान मोल्ला ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा में कुल पांच सौ संगठन शामिल हैं. ऐसे में केंद्र सरकार सोच रही है कि वह इस आंदोलन को खत्म करवा देगी. लेकिन उसका भ्रम जल्द ही दूर हो जाएगा. गुरूनाम सिंह तेंदुनी ने कहा कि किसानों का आंदोलन देश बचाने का आंदोलन है. लिहाजा हर नागरिक का फर्ज बनता है कि वह किसानों के साथ खड़ा हो.
मेघा पाटेकर ने कहा कि यह आंदोलन डांडी मार्च की तरह है. केंद्र सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी है और कृषि कानून को वापस लेने को तैयार नहीं हो रही है. जबकि यह कानून पूरी तरह से देश की जनता के खिलाफ है. इससे खाद्य सुरक्षा की जो नीति देश में बनी है वह अप्रभावी हो जाएगा. लोगों को मजबूरन उद्योगपतियों से उनकी मर्जी के हिसाब से खाद्यान्न खरीदना होगा. लेकिन किसानों को उसका लाभ नहीं मिलेगा.
उन्होने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि यह सरकार जल,जमीन, पहाड़ और वन के साथ प्राकृतिक संपदा को औने पौने दामों में अपने चहेतों को दिलाना चाहती है. भाकपा के किसान नेता अतुल अंजान ने कहा कि केंद्र सरकार अगर चाहती तो किसानों को इतना कष्ट नहीं करना पड़ता. लेकिन सरकार जिद्द पर अड़ी है. जबकि किसानों के साथ पूरा देश खड़ा है.
उन्होने कहा कि बैंको के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारी जो बैंक हड़ताल करने वाले हैं उसको किसान आंदोलन का पूरा समर्थन दिया जाएगा. राजाराम ने कहा कि किसानों का यह आंदोलन कंपनी राज के खिलाफ है. इस मौके पर सत्यवान, डा. सुनिल,सतनाम सिंह आजनाल, हिमांशु तिवारी, रंजीत सिंह, नवजीत सिंह व हनी सिंह समेत अन्य किसान नेताओं ने अपना विचार रखा.
Posted By: Pawan Singh