नंदीग्राम से लौटकर मिथिलेश झा/अभिषेक मिश्रा : बंगाल में चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, नंदीग्राम के लोगों का डर भी बढ़ रहा है. जी हां. नंदीग्राम इन दिनों डर के साये में जी रहा है. उन्हें हर पल किसी अनहोनी की आशंका सताती रहती है. आये दिन तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थक आपस में भिड़ जाते हैं. खून-खराबा हो जाता है.
जब से शुभेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं और उनकी नंदीग्राम से उम्मीदवारी की घोषणा हुई है, नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी-बीजेपी समर्थकों में तनाव साफ देखा जा रहा है. जिस नंदीग्राम की वजह से बंगाल में वामदलों की 34 साल पुरानी सत्ता हाथ से निकल गयी थी, उस नंदीग्राम में आज फिर कमोबेश वही माहौल है, जो वर्ष 2007 में था.
स्थानीय लोग बताते हैं कि उन्हें चुनाव के दौरान हर वक्त इस बात का डर रहता है कि कहीं किसी हिंसक घटना का शिकार उन्हें न होना पड़े. नंदीग्राम बाजार से सटे हरिपुर के लोग बताते हैं कि पिछले 10 साल से उन्होंने मतदान नहीं किया. चुनाव से पहले लोगों को बता दिया जाता है कि उन्हें मतदान केंद्र तक जाने की जरूरत नहीं है.
एक खास पार्टी के लोगों को ही मतदान करने की अनुमति होती है. दूसरी पार्टी के लोग अगर मतदान केंद्र तक पहुंच भी जाते, तो उन्हें वापस भेज दिया जाता. यह कहकर कि आपका वोट पड़ चुका है. हालांकि, उन्हीं लोगों में इस बार इस बात की उम्मीद जगी है कि वे अपना मतदान कर पायेंगे.
पिछले दिनों सोनाचुड़ा गांव में शुभेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी के समर्थकों के बीच भिड़ंत हो गयी. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर लोहे के रॉड से हमला कर दिया. सोनाचुड़ा वही गांव है, जहां वर्ष 2007 में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस ने गोली चलायी थी.
एक दिन में पुलिस की गोली से 14 लोगों की मौत हो गयी थी. उस दिन 14 अन्य लापता हो गये थे. उन 14 लोगों का आज तक कोई अता-पता नहीं है. हिंसा पर भाजपा का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस सत्ता का भय दिखा रही है, तो टीएमसी कह रही है कि शुभेंदु अधिकारी हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलकर वोटों का ध्रुवीकरण कर रहे हैं.
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बहरहाल, नंदीग्राम का संग्राम अपने चरम पर है. अब तक कई बार तृणमूल और भाजपा समर्थकों के बीच झड़प हो चुकी है. जुबानी जंग भी चल रही है. ममता बनर्जी अब खुद खुलकर मेदिनीपुर के अधिकारी परिवार पर हमला बोलने लगी हैं.
उल्लेखनीय है कि नंदीग्राम में दूसरे चरण में 1 अप्रैल को वोटिंग है. राज्य में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच 8 चरणों में चुनाव कराये जा रहे हैं. 2 मई को मतगणना होगी. ममता बनर्जी के नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की वजह से यह सीट इस बार देश भर में चर्चा के केंद्र में है.
ममता को भाजपा के टिकट पर शुभेंदु अधिकारी चुनौती दे रहे हैं. शुभेंदु अधिकारी कभी ममता बनर्जी के सेनापति हुआ करते थे. तृणमूल कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता कुणाल घोष कहते हैं कि ममता बनर्जी ने हमेशा अधिकारी बंधुओं की आंखों से ही नंदीग्राम को देखा है.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पाला बदलकर शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपा है. ममता बनर्जी की दया पर शुभेंदु और उनका पूरा परिवार राजनीति में कई अहम पदों पर रहे. अब नंदीग्राम और पूर्वी मेदिनीपुर की जनता उन्हें सबक सिखायेगी. चुनाव करीब है. 1 अप्रैल को जनता अपना मत देगी और 2 मई को ही पता चलेगा कि वोटरों ने किसे सबक सिखाया है.
Posted By : Mithilesh Jha