पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव सिर्फ एक सत्ता परिवर्तन का चुनाव नहीं है बल्कि यह बंगाल के हरएक नागरिक के जीवन में खुशहाली लाकर सोनार बांग्ला बनाने का भी एक अवसर है. इसलिए बंगाल के सभी लोगों की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण है.
टीएमसी ने 10 वर्षों बंगाल में इतनी अराजक स्थिति में ला दिया है कि बंगाल के युवाओं के लिए पहचान का संकट खड़ा हो गया है. दीदी की सहानुभूति यहां के युवाओं किसानों और महिलाओं के साथ नहीं है. उनकी सहानुभूति उनके साथ है कि जो दंगा कराते हैं. जो दुर्गा पूजा करने से मना करते हैं.
बंगाल में कोरोना के दौरान पीएम मोदी ने राशन दिया. पर बंगाल में टीएमसी के गुंडे राशन खा गये. गरीबों को रोजगार के लिए पैसे दिए उन पैसों को भी टीएमसी के गुंडे खा गये. पर जो भी पैसा उन्होंने खाया है उन पैसों को दो मई के बाद उनके पास से लिया जाएगा और बंगाल के विकास में लगाया जायेगा. पीएम किसान निधि के तहत किसानों को पैसे मिल रहे हैं पर बंगाल के किसानों को यह लाभ नहीं मिल रहा है. क्योंकी दीदी की सहानुभूति किसानों के साथ नहीं है.
टीएमसी पर निशाना साधते हुए उत्तर प्रदेश के सीएम ने कहा कि दो मई को बंगाल को तृणमूल सरकार से मुक्ति मिलेगी. इसके बाद टीएमसी के गुंडों को कानून के शिकंजे में कसा जाएगा. कांग्रेस, वामपंथी टीएमसी या जो भी दल उन गुंडो का सरंक्षण करते हैं उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि कानून के हाथ लंबे होते हैं उन्हें पाताल से भी ढूंढ़ कर निकाला जाएगा और जेल भेजा जाएगा.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दीदी इस समय इतनी नाराज हैं कि वो जय श्री राम बोलने वाले को जेल में डालने की बात कह रही है. दीदी की चिढ़ हमसे हो सकती है. बीजेपी से हो सकती है. पर राम से क्यो. भगवान राम तो सबके अराध्य हैं. इतिहास गवाह है कि राम से टकराने का जिसने भी दुस्साहस किया है उसकी दुर्गति हुई है इसलिए बंगाल में TMC की दुर्गति तय है.
Posted By: Pawan Singh