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Bengal Chunav 2021: क्या है बंगाल विधानसभा चुनाव का चीन कनेक्शन ? चीनी भाषा में प्रचार कर रही है TMC

पश्चिम बंगाल निधानसभा चुनाव में चीनी भाषा में भी प्रचार हो रहा है. चीनी भाषा में दीवारों पर दीवार लेखन किया जा रहा है. जी हां कोलाकाता महानगर की दीवारों पर चीनी भाषा में दीवार पर लेख लिखकर प्रचार किया जा रहा है. बता दें कि महानगर क्षेत्र में सातवें और आठवें चरण में मतदान होना है.

पश्चिम बंगाल निधानसभा चुनाव में चीनी भाषा में भी प्रचार हो रहा है. चीनी भाषा में दीवारों पर दीवार लेखन किया जा रहा है. जी हां कोलाकाता महानगर की दीवारों पर चीनी भाषा में दीवार पर लेख लिखकर प्रचार किया जा रहा है. बता दें कि महानगर क्षेत्र में सातवें और आठवें चरण में मतदान होना है.

कसबा विधानसभा क्षेत्र में चौथे चरण में वोटिंग होगी. इसे लेकर चुनाव प्रचार किया जा रहा है. इस बीच तृणमूल कांग्रेस भी प्रचार में जुट गयी है. तृणमूल कांग्रेस की ओर से टेंगरा इलाके में चीनी भाषा में भी दीवार लेखन कर चुनाव प्रचार किया जा रहा है. क्षेत्र के टीएमसी उम्मीदवार जावेद खान चीनी भाषा में दीवार लेखन कर यहां रहने वाले लोगों से वोट मांग रहे हैं. चीनी भाषा में टीएमसी के नारों और वोट मांगने के स्लोगन से यहां की दीवारें रंगी हुई हैं.

पर इस बीच सवाल यह उठता है कि आखिर टीएमसी उम्मीदवार को चीनी भाषा में प्रचार करने की जरूरत क्यों हो रही है. जबकि यहां बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी बोलने और समझने वाले लोग रहते हैं. इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि दक्षिण कोलाकात के टेंगरा इलाके को चाइना टाउन कहा जाता है.

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कभी इस इलाके में चीनी मूल के भारतीयों का घर था. जिनकी आबादी लगभग 20000 के करीब थी. पर अब इनकी आबादी यहां घट कर 2,000 रह गयी है. यहां के लोग चमड़े का व्यापार करते हैं साथ ही रेस्त्रां भी चलाते हैं. यह इलाका अभी भी चीनी रेस्तरां के लिए मशहूर है, जहां लोग पारंपरिक चीनी और भारतीय चीनी व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए आते हैं

चाइना टाउन में रहने वाले लोगों को अभी भी कामचलाऊ हिंदी और बांग्ला आती है. ऐसे में टीएमसी की कोशिश है कि यहां रहने वाले चीनी मूल के भारतीय लोगों के लिए उनकी भाषा में प्रचार किया जाये. ताकि वो आसानी से सभी बातों को समझ सकें. हालांकि आबादी के लिहाज से ये बेहद कम हैं, पर टीएमसी यह जानती है कि हर एक वोट कीमती है इसलिए यहां के वोट को भी खोना नहीं चाहती है.

बताया जाता है कि चीनी नागरिको का कोलकाता कनेक्शन काफी पुराना है. 18वीं शताब्दी के अंत में चीनी मजदूरों ने भारत आना शुरू कर दिया था. शुरूआत में ये चमड़े का काम करते थे पर बाद में धीरे धीरे कपड़े और रेस्टोरेंट के व्यापार में आ गये. इसके अलावा बंगाल में लंबे समय तक लेफ्ट की सरकार रही है और लेफ्ट का चीन से लगाव अभी भी है.

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Posted By: Pawan Singh

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