Bengal Chunav 2021: बंगाल की सियासी जमीन पर नई पारी आगाज करने को बेचैन बीजेपी के दिग्गज नेताओं की ताबड़तोड़ रैलियों की शुरुआत हो चुकी है. पीएम मोदी खुद चुनाव प्रचार की बागडोर संभाल रहे हैं. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि आखिर बीजेपी के सीएम फेस कौन हैं? क्या बीजेपी बंगाल चुनाव का रिजल्ट निकलने का इंतजार कर रही है? अगर ऐसा कुछ है तो मिथुन चक्रवर्ती मतलब मिथुन दा को पार्टी में क्यों शामिल कराया गया है? तो, चलिए आपको सारे सवालों का जवाब देते हैं.
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1976 में ‘मृग्या’ फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले मिथुन चक्रवर्ती को पहली फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड दिया गया था. बॉलीवुड, बांग्ला और लो-बजट फिल्मों में मिथुन ने लंबी पारी खेली. आने वाले दिनों में मिथुन दा ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म में नजर आने वाले हैं. फिल्मों के अलावा मिथुन शुरुआत से राजनीति में जुड़े रहे हैं. शुरुआत में मिथुन दा के नक्सली विचारधारा से जुड़े होने की बातें सामने आई थी. बाद में मिथुन लेफ्ट के मुखिया ज्योति बसु के करीब आए. कई बार उनको राजनीतिक मंचों पर भी देखा गया. वक्त गुजरने पर उनकी नजदीकी तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी से भी बढ़ी.
350 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके मिथुन चक्रवर्ती साल 2014 में तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर राज्यसभा पहुंचे थे. उस समय बंगाल से लेकर दिल्ली तक शारदा चिटफंड स्कैम सुर्खियों में था. इसमें मिथुन चक्रवर्ती का नाम भी उछला और मिथुन ने 2016 में राज्यसभा से इस्तीफा दिया. मिथुन चक्रवर्ती ने इस्तीफा देने का कारण हेल्थ को बताया था. 2016 में बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सरकार दोबारा बनी. वहीं, बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती राजनीति से दूर दिखने लगे थे.
इस साल विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में जिक्र किया गया मिथुन बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. आखिर में 7 मार्च को पीएम मोदी की कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में रैली में मिथुन चक्रवर्ती बीजेपी में शामिल हो गए. बड़ा सवाल यह है कि आखिर मिथुन दा को पार्टी में लाने के लिए बीजेपी को क्यों मजबूर होना पड़ा? दरअसल, तृणमूल कांग्रेस का नारा है- ‘बंगाल को चाहिए बंगाल की बेटी’ मतलब सीएम ममता बनर्जी. इससे लड़ने के लिए बीजेपी ने मिथुन दा को पार्टी में लाया है.
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बीजेपी में शामिल होने के बाद मिथुन चक्रवर्ती ने कई इंटरव्यू दिए. मिथुन ने साफ किया है कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी उसे निभाएंगे. मिथुन बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी लीड भी करेंगे. दिलचस्प तथ्य यह है कि मिथुन चक्रवर्ती ने जवानी लेफ्ट के करीब गुजारी, उम्र बढ़ने के बाद उनके दिल में तृणमूल कांग्रेस के लिए ‘ममता’ उमड़ी और अब करियर की ढलान पर मिथुन दा बीजेपी में आए हैं. वो बीजेपी में क्या करते हैं? इस सवाल का जवाब आने वाले वक्त में छिपा है. क्योंकि, राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं है और मिथुन दा का पार्टियों से प्रेम भी अनिश्चित है.