उत्तर बंगाल यानी पहाड़ की तीन हाॅटसीट दार्जीलिंग, कलिम्पोंग और कर्सियांग इस बार काफी चर्चित सीट रही है. दार्जीलिंग लोकसभा के अतंर्गत दार्जीलिंग, कर्सियांग और कलिम्पोंग ये तीन विधानसभा सीट हैं जो इस बार पहाड़ की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जा रही हैं. इस बार तीनों सीटों पर एक तरफ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की दो विंग्स में मुकाबला हैं. वहीं, बीजेपी भी इन दोनों से मुकाबले में उतरी है. टीएमसी ने इन सीटों पर अपने कैंडिडेटिस नहीं उतारे थे. ममता बनर्जी ने उम्मीदवारों की सूची जारी करने के दौरान एलान किया था, पहाड़ की इन तीन सीटों को गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के लिए छोड़ रही हैं. हालांकि, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के किस विंग्स के साथ टीएमसी थी, इसका पता नहीं चल सका.
दरअसल, पहाड़ पर इन तीनों सीटों का समीकरण इस बार बदला है. इन तीन सीटों को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा दो विंग्स में बंट गई है. एक विंग्स बिमल गुरूंग को तो दूसरी विनय तमांग के समर्थन में है. साल 2017 में पृथक गोरखालैंड की मांग के दौरान गोरखा जनमुक्ति मोर्चा दो विंग्स में बंट गई थी. एक विंग बिमल गुरूंग का और दूसरा विंग विनय तमांग का है. सीएम ममता बनर्जी ने जीजेएम के लिए सीट छोड़ने का एलान तो कर दिया लेकिन उन्होंने साफ नहीं किया कि वो जीजेएम के किस विंग के लिए सीट छोड़ रही हैं.
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बिमल गुरूंग ने अपने कैंडिडेट्स उतारे तो विनय तमांग ने निर्दलीय उतारकर उसे अपना समर्थन दिया है. वहीं, बीजेपी ने अपने कैंडिडेट्स उतारे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो विनय तमांग को अपने कैंडिडेट्स हटाने को लेकर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने काफी कोशिश की थी लेकिन बात नहीं बनी. हालांकि पार्टी सूत्राें की मानें तो विनय तमांग की पार्टी टीएमसी के ही समर्थन में हैं. मगर उनका कैंडिडेट्स चुनावी मैदान में उतारना कुछ और ही कहानी बयां कर रही है.
बंगाल में पहाड़ की इन तीनों सीटों पर सभी पार्टियों की नजर है. जीजेएम का सपोर्ट मिलना टीएमसी और बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है. पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच मुकाबला है. लेकिन, इस मुकाबले में जीजेएम भी तुरूप के इक्के का काम कर सकती है. पिछले साल की बिहार चुनाव से बंगाल चुनाव अलग नहीं है. यहां हर एक सीट पर प्रतियोगिता है. इस चुनाव में भी जीजेएम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. बिहार में बीजेपी की नेतृत्व वाली एनडीए ने बहुमत हासिल करने के लिए छोटे- छोटे दलों के साथ गठबंधन किया था. जीजेएम के बिमल गुरूंग और विनय तमांग अपनी-अपनी ताकत दिखाने में जुटे हुए हैं. टीएमसी भी जीजेएम के साथ गठबंधन कर बंगाल चुनाव जीतने का सपना देख रही है.
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2019 की लोकसभा चुनाव में बिमल गुरूंग ने बीजेपी को समर्थन दिया था. बिमल गुरूंग के समर्थन से बीजेपी ने पहाड़ पर कमल खिलाया था. दार्जीलिंग लोकसभा सीट पर बीजेपी ने बिमल गुरूंग की मदद से कब्जा जमाया था. यहां तक की दार्जीलिंग की सभी 6 सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिली थी. दार्जीलिंग और जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी. बिमल गुरूंग पहाड़ पर एक फैक्टर है. 2009 में भी जब बिमल गुरूंग ने बीजेपी को समर्थन दिया था, उस दौरान भी बीजेपी ने दार्जीलिंग सीट जीती थी. 2011 में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को समर्थन दिया था और ममता बनर्जी की सरकार बनी थी. उस दौरान गोरखालैंड टेरिटोरिएल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) का गठन किया गया था और बिमल गुरूंग को चीफ बनाया गया था. 2013 में बिमल गुरूंग जीटीए में खुद के पावर को लेकर संतुष्ट नहीं रहे और उन्होंने दोबारा गोरखालैंड की मांग पर प्रदर्शन शुरू किया.
2016 में बिमल गुरूंग ने खुद के कैंडिडेट टीएमसी के खिलाफ उतारे और तीनों सीट पहाड़ की जीत ली. 2017 में मामला और ज्यादा गर्म हो गया. बिमल गुरूंग ने ममता बनर्जी पर गोरखा के साथ पक्षपात का आरोप लगाया. इसके बाद बिमल गुरूंग के करीबी विनय तमांग ममता बनर्जी के साथ आ गये और 2019 में बिमल गुरूंग ने बीजेपी को सपोर्ट दिया जिससे बीजेपी लोकसभा सीट जीत गयी. अब 2020 में फिर बिमल गुरूंग ममता बनर्जी के समर्थन में है. वहीं विनय तमांग को लेकर ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ सकती है.
पहाड़ पर समीकरण बिगड़ती देख बीजेपी ने पहाड़ में सक्रिय पार्टी से समर्थन मांगा है. दरअसल, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बिमल गुरूंग से संपर्क खराब होने पर पहाड़ पर जीत हासिल करने के लिए बीजेपी ने पहाड़ पर सक्रिय अन्य पार्टियों से समर्थन मांगा हैं. इस बार बीजेपी को गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (जीआरमूमो) के चीफ मन घिसिंग ने बीजेपी को सपोर्ट किया है.
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पहाड़ पर बीजेपी ने बीजेपी क्रान्तिकारी मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (क्रामाकपा),अखिल भारतीय गोरखालीग पार्टी और सुमेटी मुक्ति मोर्चा का समर्थन लेकर चुनाव लड़ रही हैं. इन पार्टियों के भरोसे बीजेपी पहाड़ पर कमल खिलाने के लिए पूरा जो लगा रही हैं. पहाड़ पर बीजेपी का सीधा मुकाबला गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दो विंग्स से हैं.
Posted by : Babita Mali