Abhishek Banerjee News: पश्चिम बंगाल चुनाव में हैट्रिक बनाने के इरादे से उतरीं टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी ‘घायल’ होने के बावजूद प्रचार कर रही हैं. उनके साथ मंच से लेकर पदयात्रा में एक खास चेहरा सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है. उस नेता का नाम अभिषेक बनर्जी है. बंगाल के सियासत की नब्ज समझने वालों के मुताबिक टीएमसी में ममता बनर्जी के बाद अभिषेक बनर्जी नंबर दो की हैसियत रखते हैं. ममता बनर्जी के हर फैसले के पीछे कहीं ना कहीं अभिषेक बनर्जी का दिमाग ही काम करता है. कभी भी सार्वजनिक मंच से ममता ने अपने भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की पार्टी में राजनीतिक हैसियत को लेकर कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन, डायमंड हार्बर से टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की पार्टी में हैसियत और कद किसी से छिपी भी नहीं है.
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ममता बनर्जी पर बीजेपी ‘भतीजा प्रेम’ का आरोप लगाती रही है. 7 मार्च को कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में रैली के दौरान भी पीएम मोदी ने ममता बनर्जी पर आरोप मढ़ा था उन्हें एक भतीजे (अभिषेक बनर्जी) की फिक्र है. बंगाल के दूसरे भतीजे-भतीजियों को ममता दीदी भूल चुकी हैं. बीजेपी ने चुनाव प्रचार में भाइपो (भतीजा) को मुद्दा भी बनाया है. माना जाता है अभिषेक बनर्जी के चक्कर में ममता बनर्जी को पार्टी के दिग्गज नेताओं का साथ छोड़ना पड़ा. ममता के सेनापति रहे और फिलहाल नंदीग्राम सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे शुभेंदु अधिकारी से लेकर मुकुल रॉय, सौमित्र खान जैसे बड़े नेताओं ने अभिषेक के कारण पार्टी छोड़ दी. आज इन नेताओं को बीजेपी का बड़ा चेहरा माना जाता है.
अभिषेक बनर्जी के राजनीतिक वजूद को समझने के लिए उनके गुजरे कल का रूख करना होगा. ममता बनर्जी ने 2011 में तीन दशक से ज्यादा समय तक बंगाल की सत्ता पर काबिज लेफ्ट को बाहर का रास्ता दिखाया. ममता बनर्जी ने सीएम का पद संभाला. इसके बाद ममता बनर्जी और टीएमसी ने बंगाल की सत्ता पर एकछत्र राज करने की कोशिश शुरू की. समय गुजरा और ममता बनर्जी के बाद उनके भाई अमित बनर्जी की चर्चा होने लगी. अमित बनर्जी के बेटे अभिषेक को ममता बनर्जी आगे बढ़ाने में जुट गईं. महज 23 साल की उम्र में अभिषेक को टीएमसी के यूथ विंग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. अभिषेक को स्पोर्ट्स में रूचि है. वहीं, आज अभिषेक बनर्जी टीएमसी के युवा चेहरे बन चुके हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की. उस चुनाव में अभिषेक बनर्जी ने डायमंड हार्बर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था. अभिषेक ने 26 साल की उम्र में चुनाव जीतकर सबसे युवा सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाया था. वक्त गुजरा और ममता बनर्जी के बाद पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मुकुल रॉय ने बीजेपी का दामन थाम लिया. पार्टी सूत्रों के मुताबिक मुकुल रॉय पार्टी में अभिषेक की बढ़ती दखल के बाद ममता से दूर हो गए. पार्टी के वरिष्ठ नेता टीएमसी को छोड़ रहे थे. वहीं, ममता बनर्जी ने इलेक्शन मैनेजमेंट की जिम्मेदारी अभिषेक को थमा दी.
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2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पीएम मोदी के नाम, चेहरे और काम पर वोट मांगा. टीएमसी अभिषेक की अगुवाई में मैदान में थी. रिजल्ट निकला तो टीएमसी की सीट 34 से घटकर 22 पर आ गई. इस बार भी ममता के साथ अभिषेक बनर्जी साए की तरह रहते हैं. वहीं, बीजेपी भी अभिषेक पर खूब हमले कर रही है. पिछले दिनों कोयला घोटाले मामले में अभिषेक की पत्नी रूजिरा बनर्जी से सीबीआई की पूछताछ हुई थी. इस मामले पर भी बीजेपी अटैकिंग मोड में है. कहने का मतलब है कि बंगाल में ममता बनर्जी ने विद्रोह का बिगुल फूंक कर सत्ता हासिल की. वहीं, पार्टी के युवा सांसद अभिषेक बनर्जी के कारण ममता को खुद पार्टी के दिग्गज नेताओं के विद्रोह का सामना भी करना पड़ा है.