पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी के मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को संपन्न हो गया. इस बार ममता बनर्जी ने अपने मंत्रिमंडल में 43 मंत्रियों को शामिल किया है. इसमें कई पुराने और नए चेहरे भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूर्व मंत्री फिरहाद हकीम को भी अपने नए कैबिनेट में शामिल किया है. वहीं, ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल में शामिल फिरहाद हकीम की मुश्किल भी बढ़ती जा रही है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पूर्व मंत्रियों और टीएमसी के शीर्ष नेताओं पर नारदा घोटाले में केस चलाने की मंजूरी दी है. इसमें फिरहाद हकीम, शोभन चटर्जी और सुब्रत मुखर्जी जैसे बड़े नाम शामिल हैं. नारदा मामले की जांच सीबीआई ने की है.
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नारदा घोटाले में राज्यपाल जगदीप धनखड़ के केस चलाने की मंजूरी पर टीएमसी और बीजेपी नेताओं में बयानबाजी भी देखी जा रही है. मामले पर मंत्री फिरहाद हकीम का कहना है ‘उन्हें न्यायपालिका और कानून पर पूरा भरोसा है. उन्हें क्लीन चिट मिलना तय है. उन्हें खुशी है मामले की सुनवाई कोर्ट में होने जा रही है.’ सोमवार को राजभवन में मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद फिरहाद हकीम ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में अपनी बातें रखी. फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा कथित नारदा स्टिंग टेप सामने आने के दौरान बंगाल सरकार में मंत्री थे.
I believe in the judiciary and I am sure we will get a clean chit. It is good that it is going to the court now: Firhad Hakim, West Bengal Minister on being asked about WB Governor sanctioning prosecution against him in the Narada case pic.twitter.com/feVeYfWiph
— ANI (@ANI) May 10, 2021
अगर नारदा घोटाले में राज्यपाल की केस चलाने की मंजूरी को देखें तो इस पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और टीएमसी नेताओं के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. नारदा स्टिंग ऑपरेशन में शुभेंदु अधिकारी का नाम भी उछला था. शुभेंदु अधिकारी टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने नंदीग्राम में सीएम ममता बनर्जी को हराने में सफलता पाई है. हालांकि, लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने शुभेंदु अधिकारी पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी थी. इसके कारण सीबीआई ने उन पर मुकदमा नहीं चलाया है. इसी के चलते पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ टीएमसी के दिग्गज नेताओं के निशाने पर भी आ चुके हैं.
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साल 2014 में दिल्ली से एक पत्रकार के कोलकाता आने की सूचना सामने आई थी. पत्रकार ने अपने आपको एक व्यवसायी के रूप में प्रोजेक्ट किया था. उसने पश्चिम बंगाल में निवेश के नाम पर टीएमसी के सात सांसदों, चार मंत्रियों, एक विधायक और एक पुलिस अधिकारी को नगद रुपए भी दिए थे. इस पूरे मामले को पत्रकार ने रिकॉर्ड कर लिया था. पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले टेप को पब्लिक डोमेन में लाया गया था. जिसके बाद कोलकाता से लेकर दिल्ली तक खूब हंगामा हुआ था. अब, एक बार फिर से नारदा टेप केस हंगामा जारी है.