21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

West Bengal : ईपीएफओ में कर्मचारियों के पंजीकरण मामले में बंगाल काफी पीछे

गौरतलब है कि देश में अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने वाला है. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों को लगता है कि ईपीएफओ में बंगाल के पिछड़ेपन का यह आंकड़ा सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ विपक्षी दलों के लिए हथियार बन सकता है.

पश्चिम बंगाल में रोजगार के अवसरों की कमी को लेकर राज्य की विपक्षी पार्टियां हमेशा ही तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हमलावर रही हैं. चाहे वामपंथी हों, या कांग्रेस, या भाजपा. कोई भी खेमा इसे लेकर राज्य सरकार की आलोचना करने से नहीं चूक रहा है. इसी बीच, केंद्रीय श्रम मंत्रालय की ओर से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के आंकड़े जारी किये गये हैं, जिससे यहां की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की चिंताएं और बढ़ गयी हैं. जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 वित्तीय वर्ष में ईपीएफओ में पंजीकृत कर्मचारियों की संख्या के मामले में पश्चिम बंगाल सबसे निचले स्थान पर है.


ईपीएफओ पंजीकृत कर्मचारियों की संख्या में बंगाल कई अन्य राज्यों से पीछे

पिछले वित्तीय वर्ष में बंगाल से पूरे देश की तुलना में केवल 3.52 प्रतिशत कर्मचारी ही ईपीएफओ में नामांकित हुए थे. केंद्रीय श्रम मंत्रालय की ओर से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन अर्थात ईपीएफओ की जानकारी और आंकड़े प्रकाशित किये गये हैं. केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्तीय वर्ष में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से 1 करोड़ 38 लाख से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हैं. इनमें पश्चिम बंगाल में केवल 4 लाख 88 हजार कर्मचारी हैं, जोकि पूरे देश की तुलना में मात्र साढ़े तीन प्रतिशत है. आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में से सबसे अधिक, करीब 30 लाख कर्मचारी ईपीएफओ में शामिल हुए हैं, जो पूरे देश का लगभग 22 प्रतिशत है. सांख्यिकीय रूप से ईपीएफओ पंजीकृत कर्मचारियों की संख्या में बंगाल कई अन्य राज्यों से पीछे है.

Also Read: मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा : महुआ मोइत्रा को बदनाम करने के लिए लगाये गये हैं आरोप
लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के लिए हथियार बन सकता है ईपीएफओ

जानकारी के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अगस्त महीने में भी पांच राज्यों के 9 लाख 96 हजार कर्मचारी ईपीएफओ से जुड़े हैं. बताया गया है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा और गुजरात के करीब 60 फीसदी कर्मचारी ईपीएफओ से जुड़ चुके हैं. गौरतलब है कि देश में अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने वाला है. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों को लगता है कि ईपीएफओ में बंगाल के पिछड़ेपन का यह आंकड़ा सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ विपक्षी दलों के लिए हथियार बन सकता है.

Also Read: Photos : मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मरीजों के लिये दुर्गापूजा के दौरान खाने का खास मेन्यू

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें