गौ तस्करी मामले को लेकर तृणमूल के जिला पार्टी अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को सीबीआई ने गुरुवार को गिरफ्तार किया. अनुब्रत से पूछताछ के बाद कई तथ्य सीबीआई को मिले जिससे सीबीआई के भी कान खड़े हो गये हैं. गौ तस्करी का हब बीरभूम को बताया गया है. अन्य राज्यों से झारखंड होते हुए बीरभूम में गायों का हाट बाजार लगता है. जिसके मार्फत यहां से मुर्शिदाबाद, मालदा होते हुए बांग्लादेश गायों की सप्लाई होती है. इसमें बड़ा रैकेट काम करता है.
बांग्लादेश को गौ तस्करी से जोड़ा गया है और सीबीआई उसकी जांच करने जा रही है. केंद्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक इस मामले में गिरफ्तार अनुब्रत मंडल से पूछताछ में कई लिंक सीबीआई को मिले हैं. रात के अंधेरे में झारखंड से बांग्लादेश तक मवेशियों की तस्करी मुख्य रूप से बीरभूम जिले के रामपुरहाट समेत अन्य कई पशु बाजारों के मार्फत इन मवेशियों की तस्करी केंद्रित है. रात के अंधेरे में गायों के झुंड को मवेशी बाजार में लाया जाता है. फिर इसे मालदाह, मुर्शिदाबाद, उत्तर 24 परगना की सीमाओं के माध्यम से बांग्लादेश में तस्करी कर दिया जाता है.
सूत्रों का कहना है कि इस तस्करी में पुलिस, बीएसएफ और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोग शामिल होते हैं. अनुब्रत से बार-बार पूछताछ के दौरान सीबीआई ने उनसे सवाल किया कि अलग-अलग तरीकों से तस्करी में कौन साझीदार होते थे ? किस तरह के लोगों ने मवेशियों की तस्करी को प्रभावित कर उनकी मदद की है ? सीबीआई का दावा है कि और तथ्यों के सामने आने से इस गोरख धंधा में शामिल और कई बड़े लोगों का चेहरा उजागर होगा.
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विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि केंद्रीय खुफिया एजेंसी के जांच अधिकारियों को पहले ही पता चल गया है कि बीएसएफ अधिकारियों का एक वर्ग, स्थानीय पुलिस थाने का एक वर्ग, राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं का एक वर्ग और हवाला गौ तस्करी में शामिल कई बड़े लोग इस गौ तस्करी के काले कारोबार में शामिल है. 10 रुपये के एक टोकन मनी लेकर कारोबारी पहुंचते थे. मवेशियों के सप्लाई के बाद उस टोकन मनी को देने पर व्यापारी उसे लाखों रुपये देते थे. सीमा के विभिन्न खतरों से बचते हुए, एक तरह के घर में बैठकर धन एकत्र किया जाता था.
सीबीआई को पता चला है कि यह पैसा तस्करों से लेकर इस गोरख धंधा में शामिल विभिन्न हलकों में पहुंचता था. अब सीबीआई उस स्रोत की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. सूत्रों के अनुसार झारखंड से मवेशियों का झुंड रात के अंधेरे में दुमका-रामपुरहाट मार्ग से बंगाल में प्रवेश करता था. पशु व्यापारियों को पचास या साठ किलोमीटर की दूरी पार करते समय पुलिस बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता था. लेकिन थानों का मासिक अथवा ट्रिप के अनुरूप अर्थ बंधा हुआ था. इसके लिए सीबीआई को विभिन्न नेताओं से पुलिस सहयोग के लिंक भी मिले हैं. गायों की तस्करी मालदा के शोभापुर, मुर्शिदाबाद के परदेनापुर, निमितिता, चांदनी चौक, खंडुआ सीमा के रास्ते बांग्लादेश में की जाती है.वैष्णव नगर क्षेत्र में, गायों को केले के पेड़ो के राफ्ट से बांधकर गंगा के पार ले जाया जाता है. जांचकर्ताओं ने सीमा पार गायों को ले जाने के तरीके के बारे में भी जाना.
बताया जा रहा है कि केला का पेड़ बांध कर नदी पार कराया जाता है. गायों के नदी पार कराने के समय अमानवीय व्यवहार किया जाता था. ये कारोबारी दर्दनाक रूप से प्रताड़ित कर गायों को पार कराते है. गायों को तीर के सिरों की तरह बंधी हुई खाद से एक पंक्ति में बांध दिया जाता है. तस्करों द्वारा पीछे की गायों के पूंछ के नीचे के नरम मांस पर लोहे के पतले ब्लेड से मारा जाता है. गाय तेज दर्द से नदी में और तेजी से पार होने के लिए दौड़ने लगते है. पीछे की गायों के धक्का से आगे की गायें भी सक्रिय हो जाती हैं. इस तरह एक लंबी दूरी ख़तरनाक गति से तय की जाती है. केंद्रीय जांचकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को सुनकर हैरान हो गए. और इसे ‘अमानवीय’ करार दिया है. उनके मुताबिक इस काम में लिप्त तस्कर निर्दयी हैं. सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी उनसे तस्करी के रास्ते तलाशने और सहयोग करने को लेकर भी पूछताछ करेगी. इस रैकेट में और कौन-कौन लोग शामिल है इसका जल्द ही पता चल जायेगा. इस बार इस मवेशी तस्करी में केवल बंगाल ही नही झारखंड- बिहार-यूपी और अन्य राज्यों के भी कई कारोबारियों के नाम शामिल हो सकते है.
रिपोर्ट : मुकेश तिवारी