कोलकाता (विकास गुप्ता): नारद स्टिंग केस में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) की कार्रवाई से पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल आ गया है. भारी संख्या में केंद्रीय बलों के जवानों के साथ सीबीआइ के अधिकारियों ने ममता बनर्जी की कैबिनेट के मंत्री फिरहाद हकीम समेत 4 लोगों को पहले उनके घर से उठाया और बाद में निजाम पैलेस ले जाकर सभी को गिरफ्तार कर लिया.
सीबीआइ ने इससे पहले कहा था कि नारद स्टिंग केस में जांच एजेंसी को सोमवार (17 मई) को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करनी है. इसलिए फिरहाद हकीम, मदन मित्रा, शोभन चटर्जी और सुब्रत मुखर्जी को हिरासत में लिया गया है. फिरहाद हकीम और मदन मित्रा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद करीबी माने जाते हैं. सुब्रत मुखर्जी ममता कैबिनेट में मंत्री हैं. सभी को कोलकाता के बैंकशाल कोर्ट में पेश किया गया.
सुबह-सुबह हुई सीबीआइ की इस कार्रवाई के बाद तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी की पत्नी रत्ना चटर्जी और सांसद शांतनु सेन निजाम पैलेस पहुंचे. रत्ना चटर्जी इस बार तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनी गयी हैं, जबकि शांतनु सेन सांसद हैं.
शोभन चटर्जी भी कभी ममता के सबसे करीबी नेताओं में शुमार थे. बाद में वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये. बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया, तो अपनी महिला मित्र वैशाखी बनर्जी के साथ उन्होंने भगवा दल से किनारा कर लिया. एसएमएच मिर्जा आइपीएस अधिकारी हैं, जो इस वक्त निलंबित चल रहे हैं. सीबीआइ ने उन्हें पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. इन दिनों वह जमानत पर हैं.
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यह एक स्टिंग ऑपरेशन था, जिसमें ममता बनर्जी की कैबिनेट के कई मंत्रियों एवं विधायकों को रिश्वत लेते हुए दिखाया गया है. जो वीडियो फुटेज सामने आये थे, उसमें ये सभी लोग पैसे लेते दिख रहे हैं. फिरहाद ने पैसे को कम बताते हुए कहा था कि इतने रुपये तो उनके चेले-चमचे ही ले लेंगे. इस मामले में जितने भी आरोपी थे, सभी के वॉयस सैंपल सीबीआइ ने लिये थे.
West Bengal: TMC Ministers Firhad Hakim, Subrata Mukherjee, MLA Madan Mitra & Former Mayor Sovhan Chatterjee were brought to the CBI office in connection with Narada Scam
— ANI (@ANI) May 17, 2021
वॉयस का वीडियो के वॉयस से मिलान करने के बाद इन लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया था. स्टिंग में जो लोग पैसे लेते देखे गये थे, वे सभी राजनीतिक रसूख वाले लोग थे. इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति राज्यपाल से मांगी गयी थी. पिछले सप्ताह राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दी, तब सीबीआइ ने यह कार्रवाई की है.
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सीबीआइ के एक अधिकारी ने बताया कि चार्जशीट पेश करने के बाद कोर्ट से इन लोगों को गिरफ्तार करने की अनुमति मांगी जायेगी. यदि कोर्ट अनुमति दे देता है, तो इन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा. हालांकि, इन सभी लोगों को निजाम पैलेस लाने के बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया. केंद्रीय बलों के जवानों के साथ तृणमूल नेताओं को उठाने के लिए पहुंची सीबीआइ की टीम को फिरहाद हकीम के समर्थकों के विरोध का भी सामना करना पड़ा.
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआइ के अधिकारी जब फिरहाद को ले जा रहे थे, तो उनके (फिरहाद के) समर्थक सड़कों पर लेट गये और सीबीआई की कार्रवाई का विरोध किया. हालांकि, सीबीआई की टीम के साथ गये केंद्रीय बल के जवानों ने फिरहाद के समर्थकों को वहां से हटाया और बंगाल के शहरी विकास मंत्री एवं कोलकाता नगर निगम के प्रशासक को निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय ले गयी.
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फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चटर्जी वर्ष 2014 में मंत्री थे. इसी दौरान यह अपराध हुआ था. आरोप है कि इन लोकसेवकों को स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कैमरे पर गैरकानूनी रूप से धन लेते हुए पकड़ा गया था. उस वक्त ये सभी लोग ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री थे.
नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने वर्ष 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आये. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि हकीम ने स्टिंग ऑपरेटर से पांच लाख रुपये रिश्वत लेने की बात स्वीकारी जबकि मित्रा और मुखर्जी को कैमरे पर पांच-पांच लाख रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया.
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शोभन चटर्जी को स्टिंग ऑपरेटर से चार लाख रुपये लेते हुए देखा गया. सीबीआइ के अनुसार, मिर्जा को भी कैमरे पर पांच लाख रुपये लेते हुए पकड़ा गया. यह टेप पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था. कलकत्ता हाइकोर्ट ने मार्च, 2017 में मामले की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था.
Posted By: Mithilesh Jha