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पूर्वी मेदिनीपुर की 16 सीटों पर भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी, तृणमूल को गढ़ बचाने की चुनौती

भाजपा ने विधानसभा चुनाव में तृणमूल के गढ़ में कमल खिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. फूलों की खेती के लिए मशहूर इस जिले में जहां हल्दिया रिफाइनरी है, वहीं हल्दिया पोर्ट भी है. उद्योग व कृषि के क्षेत्र में भी यह काफी समृद्ध जिला है.

कोलकाता : आसन्न विधानसभा चुनाव में इस बार पूर्व मेदिनीपुर की 16 सीटों पर मुकाबला है. यहां पहले चरण में 27 मार्च और दूसरे चरण में एक अप्रैल को मतदान होगा. इस बार पूर्व मेदिनीपुर का समीकरण पूरी तरह से बदला हुआ है. शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में चले जाने से यहां पर तृणमूल कांग्रेस की चुनौती दोगुनी हो गयी है. उसके सामने अब अपना गढ़ बचाने की चुनौती है.

वहीं, भाजपा ने विधानसभा चुनाव में तृणमूल के गढ़ में कमल खिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. फूलों की खेती के लिए मशहूर इस जिले में जहां हल्दिया रिफाइनरी है, वहीं हल्दिया पोर्ट भी है. उद्योग व कृषि के क्षेत्र में भी यह काफी समृद्ध जिला है.

नंदीग्राम आंदोलन ने बदल दी थी बंगाल की राजनीति

वर्ष 2007 में यहां हुए बहुचर्चित नंदीग्राम आंदोलन ने बंगाल की पूरी राजनीति को ही बदल दिया था. इसी नंदीग्राम आंदोलन के बाद इसका नेतृत्व करने वाली ममता बनर्जी ने बंगाल में करीब 35 साल लंबे वाममोर्चा के शासन का 2011 में अंत कर दिया था. 2009 के लोकसभा चुनाव के साथ 2011 के विधानसभा चुनाव में यहां तृणमूल कांग्रेस का झंडा लहराया था.

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फिर 2016 के विधानसभा चुनाव में जिले की 16 सीटों में से 13 पर तृणमूल ने कब्जा जमाया, जबकि तीन पर वाम दलों ने जीत दर्ज की. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जिले की दोनों लोकसभा सीटों पर तृणमूल को कड़ी टक्कर दी थी और दूसरे नंबर पर रही थी.

कांथी सीट पर तृणमूल को सात लाख 11 हजार वोट मिले थे, जबकि भाजपा को छह लाख से ज्यादा वोट मिले थे. तमलुक सीट पर भी भाजपा को पांच लाख से ज्यादा वोट मिले थे. ऐसे में बदले हालात में अब तृणमूल के सामने गढ़ बचाने की बड़ी चुनौती है.

भाजपा दे चुकी है बड़ा झटका

इस जिले के सबसे प्रभावशाली व कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी को अपने साथ मिला कर भाजपा तृणमूल को बड़ा झटका दे चुकी है. यहां शुभेंदु के करीबी दो-तीन और तृणमूल विधायक भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं. नंदीग्राम से ही विधायक रहे शुभेंदु नंदीग्राम आंदोलन के भी पोस्टर ब्वॉय रहे हैं.

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शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिव्येंदु अधिकारी जिले की दो लोकसभा सीटों कांथी व तमलुक से तृणमूल के सांसद हैं. पूर्व मेदिनीपुर सहित आसपास के जिलों में अधिकारी परिवार का खासा प्रभाव है. नंदीग्राम आंदोलन सहित 2011 में ममता को सत्ता में लाने में अधिकारी परिवार की अहम भूमिका रही है.

नंदीग्राम में मुख्यमंत्री की उम्मीदवारी से बदला राजनीति माहौल

शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने के बाद अब ममता बनर्जी खुद इस बार नंदीग्राम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही हैं. ऐसे में यहां राजनीतिक माहौल गरम हो गया है. उधर, शुभेंदु भी सार्वजनिक रूप से एलान कर चुके हैं कि वह ममता बनर्जी को नंदीग्राम से 50 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हरायेंगे, नहीं तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे.

Posted By : Mithilesh Jha

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