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कलकत्ता हाइकोर्ट ने दिया हावड़ा, रिसड़ा व दालखोला में हुए उपद्रव की एनआइए जांच का आदेश

हाइकोर्ट ने राज्य पुलिस को इस हिंसा की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज एनआइए को सौंपने के निर्देश दिये हैं. गौरतलब है कि रामनवमी के दौरान कई जगह बवाल हुआ था. कई वाहनों में आग लगा दी गयी थी.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने रामनवमी के दिन राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हुए उपद्रव की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) से जांच कराने के निर्देश दिये हैं.कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने हावड़ा के शिवपुर, हुगली जिले के रिसड़ा व उत्तर दिनाजपुर के दालखोला में रामनवमी के दौरान हुए उपद्रव की जांच एनआइए को ट्रांसफर कर दिया है. गौरतलब है कि राज्य में रामनवमी के अवसर पर 30 मार्च को हावड़ा, हुगली और उत्तर दिनाजपुर में उपद्रव हुए थे.

इसके बाद के दिनों में हावड़ा और रिसड़ा के अलावा कई अन्य जगहों पर घटनाएं हुईं. राज्य पुलिस ने इन घटनाओं के सिलसिले में 116 लोगों को गिरफ्तार किया था और राज्य सरकार ने जांच सीआइडी को सौंपी थी. वहीं, भाजपा विधायक व पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य में रामनवमी पर हुई घटनाओं की एनआइए जांच की मांग को लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने यह फैसला सुनाया.

हाइकोर्ट ने राज्य पुलिस को इस हिंसा की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज एनआइए को सौंपने के निर्देश दिये हैं. गौरतलब है कि रामनवमी के दौरान कई जगह बवाल हुआ था. कई वाहनों में आग लगा दी गयी थी. पत्थरबाजी और कई दुकानों में तोड़फोड़ की खबरें भी सामने आयी थीं. हावड़ा के शिवपुर में दो गुटों के बीच झड़प के दौरान कई वाहनों में आग लगा दी गयी. पत्थर फेंके गये व दुकानों में तोडफोड़ की गयी. बाद में हुगली व दलखोला जिले से भी झड़पों की सूचना मिली. तृणमूल कांग्रेस व भाजपा दोनों ने एक-दूसरे को दोषी ठहराते हुए सबूत के तौर पर वीडियो साझा किये थे. इसके अलावा कई जगहों पर अलग-अलग राजनीतिक दल के लोगों के टकराव के मामले भी सामने आये थे.

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विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की ओर से दायर याचिका पर हाइकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवागणनम की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को बंगाल पुलिस से एनआइए को सौंपने के आदेश दिये. अपनी जनहित याचिका में शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि रामनवमी पर बमबाजी हुई है और इसकी जांच एनआइए द्वारा करायी जानी चाहिए. इसी याचिका पर कोर्ट ने बंगाल पुलिस को मामले से जुड़े सारे रिकॉर्ड्स और सीसीटीवी फुटेज केंद्र सरकार को दो हफ्ते के अंदर सौंपने के निर्देश दिये. साथ ही केंद्र को इन दस्तावेजों को एनआइए को भेजने के लिए कहा गया है.

क्या है हाइकोर्ट का आदेश

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो सप्ताह के अंदर सभी प्राथमिकी, दस्तावेज, जब्त की गयी सामग्री और सीसीटीवी फुटेज तुरंत एनआइए को सौंपी जाये. अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि एनआइए ‘सभी सामग्री प्राप्त होने पर जांच शुरू करेगी और कानून के अनुसार आगे बढ़ेगी.’

याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा : मौजूदा मामलों में, हमने प्रथम दृष्टया पाया है कि संबंधित पुलिस की ओर से जानबूझकर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई मामला दर्ज नहीं करने का प्रयास किया गया है. अदालत ने कहा कि उसे लगता है कि मामला प्राथमिकी दर्ज करने के चरण से आगे बढ़ चुका है, ऐसे में राज्य पुलिस को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम या किसी अन्य अनुसूचित अधिनियम के तहत मामले दर्ज करने का निर्देश देने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा, इसलिए मामले की जांच एनआइए को सौंपना उपयुक्त होगा.

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