पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग ऑपरेशन को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी के दो मंत्रियों और एक विधायक समेत चार करीबियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. कोलकाता होईकोर्ट ने चारों टीएमसी नेताओं की जमानत पर रोक लगा दी है. अब सभी को सीबीआई की न्यायिक हिरासत में रहना होगा. इसके पहले सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने सभी को जमानत दे दी थी. बाद में फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
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दरअसल, सोमवार को मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को सीबीआई ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में गिरफ्तार किया था. इसके बाद करीब छह घंटे तक सीएम ममता बनर्जी भी सीबीआई के कोलकाता ऑफिस निजाम पैलेस में डटी रहीं. इस दौरान सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि इस मामले पर कोर्ट फैसला करेगी. सीबीआई कोर्ट ने सभी को जमानत दी तो टीएमसी समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. बाद में कोलकाता हाईकोर्ट ने सभी की बेल पर रोक लगा दी थी.
इस मामले पर जारी सियासी घमासान के बीच सीएम ममता बनर्जी ने कोर्ट के फैसले का जिक्र किया था. कोलकाता हाईकोर्ट ने ही नारदा स्टिंग ऑपरेशन में कार्रवाई का आदेश सीबीआई को दिया था. इसके बाद सीबीआई ने कार्रवाई की तो सीएम ममता बनर्जी समेत उनकी पार्टी टीएमसी ने विरोध शुरू कर दिया. टीएमसी समर्थकों ने तो कोलकाता में जबरदस्त हंगामा भी किया था. इसको लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी सीधे आरोप लगाए जा रहे हैं.
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नारदा स्टिंग ऑपरेशन केस में सीबीआई की कार्रवाई पर टीएमसी को कांग्रेस पार्टी ने भी साथ दिया है. पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सीबीआई कार्रवाई का विरोध किया है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा है ‘गिरफ्तारी पहले भी हो सकती थी, कुछ दिन बाद भी हो सकती थी, लेकिन क्या इस समय कोरोना महामारी के दौरान यह गिरफ्तारी बहुत जरूरी थी? क्या यह अपमानजनक नहीं है? और भी आरोपी थे, किसी को पकड़ो- किसी को छोड़ दो!!!’ अधीर रंजन चौधरी ने सीएम ममता बनर्जी को नैतिक समर्थन दिया है. बड़ा सवाल है कि कोर्ट के फैसले का समर्थन करने वाली सीएम ममता बनर्जी अब हाईकोर्ट के फैसले से नाराज क्यों हैं?