कोलकाता. कोरोना का प्रकोप लगभग खत्म हो चुका है. पर, अब चिकन पॉक्स आंख दिखा रहा है. पिछले साल के नवंबर से अब तक राज्य में चिकन पॉक्स से 16 लोगों की मौत हो चुकी है. मृतकों में 15 लोगों की चिकित्सा बेलियाघाट स्थित आइडी अस्पताल में चल रह थी. आठ फरवरी को महानगर में अर्पिता बंद्योपाध्याय (37) की मौत हुई है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, छोटे बच्चों को चिकन पॉक्स का होना आम है. पर अब व्यस्कों में यह बीमारी देखी जा रही है.
बीमारी की रोकथाम व इसके कारणों के जानने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी गठित की गयी है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, मारे गये अधिकांश लोगों की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी. इसके साथ वे को-मोरबिडिटी यानी अन्य जानलेवा बीमारियों के शिकार थे. वहीं चिकन पॉक्स से संक्रमित होने के बाद सभी निमोनिया के भी शिकार हो गये थे. व्यस्क लोग इस संक्रमण की चपेट में क्यों आ रहे हैं ? इसके कारणों को जानने के लिए कमेटी का गठन किया गया है.
डॉ जोगी राज राय ने बताया कि चिकन पॉक्स से पीड़ित लोगों को एंटी वायरल थेरेपी दी जाती है. इस संक्रमण की पूरी तरह से इलाज संभव है. संक्रमित लोगों के शरीर पर चकत्ते के साथ हल्का बुखार, शरीर में दर्द, खांसी की समस्या रहती है. ये सभी लक्षण तीन से चार दिन के भीतर उभर सकते हैं.
राज्य स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य सेवा निदेशक प्रो डॉ सिद्धार्थ नियोगी ने बताया कि इस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को ध्यान में रखते हुए ही एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया है. गत सप्ताह इस कमेटी की एक बैठक भी हुई है. कमेटी की जांच पड़ताल जारी है. संक्रमण के कारणों को जानने की कोशिश की जा रही है. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे कदम उठाया जायेगा.