मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को नबान्न सभागार में प्रशासनिक बैठक के दौरान करीब 1240 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इसमें लोक निर्माण विभाग की 109 परियोजनाएं शामिल हैं, जिसके लिए लगभग 1109 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. इनमें 88 सड़क निर्माण, पांच सेतु निर्माण व 16 सेतु मरम्मत की परियोजनाएं शामिल हैं. इसी प्रकार, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग की करीब 130 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन बुधवार को मुख्यमंत्री ने किया.
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बंगाल के प्रवासी श्रमिकों के संबंध में जानकारियां एकत्रित करने के लिए कर्मसाथी पोर्टल का लांच किया है. गौरतलब है कि ममता सरकार ने इससे पहले प्रवासी श्रमिक विकास बोर्ड का गठन किया है, जो राज्य के लाखों प्रवासी श्रमिकों के कल्याण और शिकायतों की देखभाल करने वाला पहला ऐसा बोर्ड है. यह बोर्ड सबसे पहले प्रवासी श्रमिकों का उचित डेटाबेस तैयार करेगा, ताकि उन्हें अपने कार्यस्थल पर किसी संकट का सामना करने पर सरकारी मदद मिल सके.
अनुमान के अनुसार, भारत के केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर सहित अन्य राज्यों में बंगाल के 22 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक कार्यरत हैं. इसके साथ मौके पर मुख्यमंत्री ने दुआरे सरकार के छठे संस्करण में आवेदन करने वाले लाखों लोगों को सेवाएं प्रदान करने की भी घोषणा की. छठे संस्करण में कुल 40.98 लाख लोग लाभार्थी हैं. इनमें से 37.25 लाख लोगों को सेवाएं प्रदान की जा चुकी है. वहीं, विभिन्न योजनाओं के तहत लोगों को 327 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गयी.
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को नबान्न सभागार में प्रशासनिक बैठक के दौरान राज्य की आर्थिक स्थिति पर जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष सिर्फ कर्मचारियों को वेतन देने के लिए ही 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने फिर केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य की विभिन्न योजनाओं के तहत 1.15 लाख करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया जा रहा. राज्य सचिवालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बुधवार को बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव से पूछा कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर प्रत्येक वर्ष कुल कितने रुपये खर्च किये जाते हैं.
इसके जवाब में मुख्य सचिव ने कहा कि 70 हजार करोड़. इस संबंध में राज्य के वित्त सचिव मनोज पंत ने कहा कि सरकारी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन के लिए पिछले वर्ष 20 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये थे. इसके अलावा शिक्षा विभाग के शिक्षक व गैर-शिक्षक कर्मचारियों के लिए 33,950 करोड़ और सेवानिवृत कर्मचारियों के पेंशन के लिए 20 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये. इन सभी को मिला कर 70 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अस्थायी कर्मचारी, अनुबंध के आधार पर कार्य कर रहे कर्मचारी सहित अन्य कर्मचारियों के वेतन के लिए लगभग इतनी ही राशि खर्च की जाती है.