कोलकाता : विशेषज्ञों ने कहा है कि लंबा चुनाव अभियान पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि की वजह बना है. इस साल 26 फरवरी को विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद से 15 मई (शनिवार) तक कोलकाता को छोड़कर दूसरे जिलों में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 48 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है.
अधिकतर चिकित्सा पेशेवरों का कहना है कि चुनावी रैलियों में भारी भीड़ के चलते महामारी के मामलों में वृद्धि हुई है. निर्वाचन आयोग ने 26 फरवरी को जब चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी, तो उस समय पश्चिम बंगाल में उपचाराधीन मरीजों की संख्या केवल 3,343 थी, जो 15 मई तक के आंकड़ों के अनुसार अब लगभग 40 गुणा अधिक 1.32 लाख हो गयी है.
कोलकता को छोड़कर दूसरे जिलों में वायरस का प्रसार काफी तेजी से हुआ है, जहां 26 फरवरी को उपचाराधीन मरीजों की संख्या केवल 2,183 थी. 15 मई तक यह 48 गुणा बढ़कर 1.06 लाख हो गयी. वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर अमिताभ नंदी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि लंबी चुनावी प्रक्रिया ग्रामीण बंगाल में महामारी के मामलों में वृद्धि की वजह बनी है.
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श्री नंदी ने कहा कि कारण कुछ और नहीं, सिर्फ राजनीतिक और राजनीतिक है. राज्य में विधानसभा चुनाव आठ चरणों में 27 मार्च से 29 अप्रैल तक हुआ था. 2 मई को मतगणना करायी गयी थी और उसी दिन परिणाम घोषित कर दिये गये थे. सामुदायिक औषधि विशेषज्ञ डॉक्टर संजीव बंद्योपाध्याय ने कहा कि आठ चरणों में ‘अवैज्ञानिक’ तरीके से चुनाव कराना महामारी के मामलों में वृद्धि का कारण है.
उल्लेखनीय है कि बंगाल में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. मृतकों की संख्या में भी हर दिन इजाफा हो रहा है. शनिवारको 144 लोगों की कोरोना के संक्रमण से मौत हुई थी, जबकि रविवार को यह संख्या 147 हो गयी. हर दिन संक्रमित लोगों की संख्या 20 से 21 हजार के बीच है.
Posted By: Mithilesh Jha