कोलकाता: बंगाल चुनाव 2021 कई मायने में खास रहा. पहली बार बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराये गये. इसके लिए सत्तारूढ़ पार्टी ने चुनाव आयोग पर खुलकर हमले किये. इस संवैधानिक संस्था को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर काम करने वाली संस्था करार दे दिया. कई और मायनों में यह चुनाव अन्य राज्यों और अन्य चुनावों से बिल्कुल अलग रहा. किन वजहों से बंगाल चुनाव 2021 चर्चा में रहा, उस पर एक नजर डालते हैं-
संभवत: यह देश का पहला चुनाव होगा, जिसमें देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को बाहरी करार दिया गया. उन्हें गुंडा, डकैत और लुटेरा कहा गया. देश के शीर्ष पदों पर बैठे दो लोगों के खिलाफ किसी राज्य की मुख्यमंत्री ने खुलेआम अपशब्द का इस्तेमाल किया.
पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अपनी रैलियों में हिंदू वोटरों को लुभाने और मुस्लिमों का तुष्टिकरण के आरोपों को छिपाने के लिए चंडीपाठ किया. यह साबित करने की कोशिश की कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों का उन्होंने तुष्टिकरण नहीं किया. भाजपा से वह बड़ी हिंदू हैं. पहली बार ममता बनर्जी को सार्वजनिक मंच से कहना पड़ा कि वह ब्राह्मण की बेटी हैं. मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव शुरू हुए, तो उन्होंने इंशाअल्लाह और ला इलाहा इल्लल्लाह… कहना भी शुरू कर दिया. आलोचना से बचने के लिए सभी धर्मों की प्रार्थना भी ममता बनर्जी ने की.
पहली बार बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और 10 साल से सरकार चला रही ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में कांटे का मुकाबला है. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और बंगाल पर सबसे लंबे अरसे (34 साल) तक शासन करने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई वाली वाम मोर्चा मुकाबले में कहीं नहीं है.
बंगाल की मुख्यमंत्री ने मतदाताओं को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे सुरक्षा बलों का घेराव करें, उनका विरोध करें. इसके कुछ ही दिनों बाद कूचबिहार जिला के शीतलकुची विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र पर ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों को घेरने और उनका हथियार छीनने की कोशिश की, जिसकी वजह से सीआइएसएफ के जवानों को फायरिंग करनी पड़ी और उसमें 4 मतदाताओं की मौत हो गयी.
संभवत: यह पहला मौका होगा, जब सत्ताधारी पार्टी ने पुलिस और प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह उनकी बात नहीं सुन रहा. ममता बनर्जी ने सार्वजनिक मंच से कहा कि पुलिस अधिकारी कहते हैं कि अभी चुनाव आयोग के अधीन काम कर रहे हैं. कुछ दिनों बाद चुनाव आयोग चला जायेगा, उसके बाद वह सबका हिसाब लेंगी.
पांच चरणों का चुनाव समाप्त होने के बाद ममता बनर्जी की पार्टी ने बाकी बचे 3 चरण के चुनाव एक साथ कराने की मांग की, लेकिन आयोग ने उनकी मांग को मानने से इनकार कर दिया. इसके लिए ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को आड़े हाथ लिया.
बंगाल चुनाव में विपक्षी दलों के नेताओं ने जिन शब्दों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया, उनमें तोलाबाजी, कट मनी, तोलाबाज भाईपो, सिंडिकेट शामिल हैं.
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर नोटबंदी, लॉकडाउन के नाम देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया. केंद्र पर रेलवे, कोयला, जीवन बीमा निगम (एलआइसी), बैंक समेत देश की तमाम सरकारी संपत्तियों को बेचने का आरोप लगाया.
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ममता बनर्जी ने मुस्लिमों से खुलेआम कहा कि यदि बीजेपी की सरकार बंगाल में बन गयी, तो उनलोगों को डिटेंशन सेंटर में जाना होगा और वह (ममता) उनके लिए कुछ नहीं कर पायेंगी.
पांच चरणों के चुनाव तक तृणमूल और भाजपा भीड़ जुटाने को लेकर बड़े-बड़े दावे करती रही. एक-दूसरे की रैली को फ्लॉप करार देने के लिए उनके वीडियो जारी करते रहे. खासकर टीएमसी की ओर से ममता बनर्जी के लाडले अभिषेक बनर्जी के रोड शो के ड्रोन से बनाये गये वीडियो सोशल मीडया में खूब शेयर किये गये. पीएम मोदी, अमित शाह, दिलीप घोष समेत तमाम भाजपा नेताओं ने भी अपनी-अपनी रैली में उमड़ी भीड़ के वीडियो शेयर किये.
छठे चरण के मतदान से पहले चुनाव आयोग ने बड़ी रैलियों पर रोक लगा दी. इसके लिए भी राज्य की सत्तासीन पार्टी ने आयोग को फटकारा. उसकी आलोचना की. बाद में सभी पार्टियों ने वर्चुअल रैली की.
राहुल गांधी सिर्फ एक बार बंगाल आये. उन्होंने नक्सलबाड़ी समेत दो जगहों पर जनसभा की. इसके बाद उन्होंने कोरोना का हवाला देते हुए अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिये. सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने बंगाल में कोई रैली नहीं की.
Posted By: Mithilesh Jha