पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार में रुपयों के लेन-देन पर केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने शुक्रवार को हाइकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में इडी ने दावा किया है कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में करीब 350 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को कलकत्ता हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा के समक्ष मामले की सुनवाई में मुहरबंद लिफाफे में यह रिपोर्ट सौंपी.
केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक, भ्रष्टाचार मामले के आरोपी कुंतल घोष, शांतनु बंद्योपाध्याय, अयन शील और उनके परिवार के सदस्यों से करीब 15 करोड़ रुपये की 43 चल संपत्ति, करीब सौ बैंक खाते जब्त की गयी हैं. भ्रष्टाचार के रुपयों को टॉलीवुड में बंगाली फिल्मों में निवेश किया गया है. इसके अलावा विभिन्न हिस्सों में चल एवं अचल संपत्तियां खरीदकर निवेश भी किया गया है. इडी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अब तक 126 करोड़ 70 लाख की संपत्ति और नकदी जब्त की जा चुकी है.
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इस बीच, कुंतल घोष द्वारा सीबीआई के खिलाफ की गयी शिकायत पर भी सीबीआइ के एसपी ने अलग से रिपोर्ट पेश की. कुंतल घोष ने आरोप लगाया था कि सीबीआइ द्वारा उस पर अभिषेक बनर्जी का नाम लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था. सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में इन आरोपों को निराधार करार दिया है. इस मामले में भी कुंतल घोष की शिकायत पर सीबीआइ ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी है. सीबीआइ दावा है कि पूरी शिकायत निराधार है. इसके साथ ही सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय संशोधनागार के प्रबंधन की भूमिका पर भी सवाल उठाया है. सीबीआइ ने इनके खिलाफ भी शिकायत दर्ज करायी है.
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सीबीआई ने नियमानुसार 180 दिनों की सीसीटीवी फुटेज की मांग की है. लेकिन यहां सात दिन से ज्यादा की फुटेज नहीं मिली. रिपोर्ट देखने के बाद जस्टिस ने अमृता सिन्हा से पूछा कि अगर इस भ्रष्टाचार से इतना पैसा जुटाया गया है तो आप अब तक इस भ्रष्टाचार के सरगना का पता क्यों नहीं लगा पा रही हैं. याचिकाकर्ता के वकील रमेश मलिक ने कोर्ट को बताया कि 42 हजार 949 लोग अभी भी काम कर रहे हैं जिन्हें नियमों के मुताबिक नौकरी नहीं मिली. उस संदर्भ में, अदालत ने सीबीआइ को अवैध रूप से नियोजित शिक्षकों को तुरंत खोजने का निर्देश दिया। इसके बाद सीबीआइ को उनकी सूची तैयार कर कोर्ट को सौंपनी होगी.