पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (Governor CV Anand Bose) ने कहा कि नबान्न को भेजा गया पत्र अब रहस्य नहीं रहा, बल्कि इतिहास बन गया है. राज्यपाल ने आधी रात को नबान्न और दिल्ली को भेजे गये अपने दो गोपनीय पत्रों के बारे में खुलासा किया. कुलपतियों की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी के गठन पर बातचीत के दौरान भी यह विषय उठा. उन्होंने कहा दो पत्रों के जवाब को लेकर स्थिति क्या है. इसकी सच्चाई दोनों संवैधानिक सहयोगियों के बीच रहना बेहतर होगा. हालांकि वे दो पत्र अब रहस्य नहीं, इतिहास बन गये हैं. इससे पहले राजभवन में राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कलाक्रांति मिशन के लोगो का अनावरण किया. इसके साथ ही राज्यपाल ने साइकिल रैली को भी हरी झंडी दिखायी. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि कलाक्रांति मिशन, पश्चिम बंगाल का एक ऐसा मिशन है, जो कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर को समर्पित है. आर्ट, कल्चर व हेरिटेज के डेवलपमेंट के लक्ष्य को ध्यान में रखकर यह मिशन शुरू किया गया है. इससे नयी पीढ़ी में कविगुरु टैगोर के साहित्य के प्रति रुचि जगेगी.
गौरतलब है कि गत 10 सितंबर की आधी रात को राज्यपाल ने नबान्न और दिल्ली को पत्र भेजा था. इससे पहले, उसी दिन शाम को राज्यपाल ने संदेश दिया था कि वह आधी रात तक कार्रवाई करेंगे. कहने की जरूरत नहीं है कि कुलपतियों की नियुक्ति और नवनियुक्त अस्थायी कुलपतियों के साथ बैठक पर शिक्षा मंत्री की विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर टकराव बढ़ गया है. लिफाफे में बंद दो गोपनीय पत्र अब ”रहस्य’ नहीं रहे. उस पत्र में क्या रहस्य है ? जब अटकलें तेज हो गयीं, तो राज्यपाल ने कहा मुख्यमंत्री अभी विदेश में, यानी स्पेन के दौरे पर हैं. मैं अब कुछ नहीं कहूंगा. राज्यपाल ने यह भी टिप्पणी की कि वह मुख्यमंत्री पर दबाव नहीं डालना चाहते. वहीं, शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने इस पत्र के जरिये राज्यपाल पर ”पिशाच” कहकर हमला किया था. शुक्रवार को राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उस पत्र के बारे में मुंह खोलने के बावजूद राज्यपाल ने चुप्पी नहीं तोड़ी. राज्यपाल ने कहा कि वह रहस्य अब इतिहास है. यानी पत्र का रहस्य अब इतिहास है. अब वे नये मसले पर विचार कर रहे हैं.
Also Read: ममता बनर्जी ने कहा : महिला सशक्तिकरण में बंगाल नंबर 1, न्यूटाउन में विश्वस्तरीय शॉपिंग मॉल खोलेगा लुलु ग्रुप
विश्वविद्यालयों के शिक्षक संगठनों के एक समूह ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों का वेतन सीधे सरकारी खजाने से देने का सरकार का फैसला सही नहीं है. इसका हम विरोध करते हैं. यह नयी प्रणाली विश्वविद्यालयों के खातों से वेतन भुगतान की प्रथा से हटकर होगी. पत्र में कहा गया है कि इस बदलाव से विश्वविद्यालयों से वित्तीय स्वायत्तता, जो कुछ भी बची है, छीनने का खतरा है. इसमें कहा गया है कि हमें डर है कि यह राज्य सरकार द्वारा आगे अनावश्यक और अलोकतांत्रिक हस्तक्षेप का मार्ग प्रशस्त करेगा, जो राज्य विश्वविद्यालयों की स्वायत्त स्थिति के लिए खतरनाक साबित होगा. पत्र में याद दिलाया गया कि कैसे शिक्षकों के ”गंभीर प्रतिरोध” के बाद 2018 में इसी तरह के एक प्रयास को विफल कर दिया गया था. पत्र में शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा हम आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं कि राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के सर्वोत्तम हित में इस मामले पर पुनर्विचार करें. यह सभी के हित में होगा और इसका शिक्षा के कामकाज पर भी अच्छा असर होगा.
Also Read: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्पेन के बाद दुबई में भी औद्योगिक सम्मेलन में होंगी शामिल