वर्तमान में देश भर में इन्फ्लूएंजा संक्रमण में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस साल जनवरी से मार्च तक इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के लगभग 10 लाख मामले देखे गये हैं. पिछले साल भी फ़्लू के मामले बढ़े थे, 2021 से भारत में लगभग 16 गुना वृद्धि हुई थी. अकेले पश्चिम बंगाल में 2021-2022 में रिपोर्ट किए गए इन्फ्लूएंजा के मामलों में पांच गुना वृद्धि देखी गयी
इस अवसर पर एबॉट इंडिया के चिकित्सा मामलों के निदेशक डॉ जेजो करण कुमार ने कहा कि ज्यादातर लोग फ्लू को सामान्य सर्दी के समान समझते हैं. लेकिन फ्लू अलग है और इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता माना जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं. एबॉट में, हम भारत में लोगों को स्वस्थ रहने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
इस संबंध में कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के पल्मोनोलॉजी विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ राजा धर ने एक सम्मेलन में कहा कि कोलकाता में इस मौसम में फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जनवरी और मार्च 2023 के बीच, हम प्रति सप्ताह दो से तीन इन्फ्लूएंजा के मामले देख रहे थे. इस मौसम में अधिकांश संक्रमण एच3एन2 उपप्रकार के कारण होते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों के लिए न केवल खुद को सुरक्षित रखने और स्वस्थ रहने के लिए, बल्कि व्यापक समुदाय की रक्षा के लिए निवारक कदम उठाना बेहद जरूरी है. उन्होंने सतर्क रहने की सलाह दी.
Also Read: पश्चिम बंगाल में 24 घंटे में 540 लोग हुए कोरोना से संक्रमित, स्वास्थ्य विभाग की बैठक आज