जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के छात्र स्वप्नदीप कुंडू की मौत की निष्पक्ष जांच और रैगिंग मुक्त परिसर की मांग को लेकर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जगह-जगह प्रदर्शन जारी है. गौरतलब है कि एआइडीएसओ राज्य समिति ने आज राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के बाहर छात्र-अभिभावक धरना कार्यक्रम का आह्वान किया था. एआइडीएसओ पश्चिम बंगाल राज्य समिति के सचिव विश्वजीत राय ने कहा कि प्रथम वर्ष के छात्र स्वप्नदीप कुंडू की दुखद मौत ने राज्य के लोगों को झकझोर दिया है. विश्वविद्यालय के मुख्य छात्रावास में स्वप्नदीप पर रैगिंग का अत्यधिक मानसिक और शारीरिक अत्याचार कई दिनों से चल रहा था. जेयू समेत राज्य के मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के हॉस्टलों में जूनियर छात्रों के साथ आये दिन रैगिंग की घटनाएं होती हैं, लेकिन अधिकारी इस संबंध में सख्त कार्रवाई करने के बजाय उदासीन बने हुए हैं. ऐसे में निष्पक्ष जांच के माध्यम से इस हत्या में शामिल लोगों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने की जरूरत है.
जादवपुर यूनिवर्सिटी के साथ ही अन्य छात्राें की समितियों का लगातार प्रदर्शन जारी है.उनकी मांग है कि रैगिंग मुक्त परिसर हो ताकि यहां आने वाले छात्र पढ़ाई कर सकें. वहीं स्वप्नदीप कुंडू के अपराधियों को जल्द से जल्द सजा मिले. विभिन्न मांगों को लेकर आज कोलकाता की सड़कों पर छात्रों, शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है. ढाकुरिया में तृणमूल समर्थक शिक्षण व गैर-शिक्षण कर्मचारी छात्रों ने रैली निकाली. तृणमूल छात्र परिषद ने भी रैली निकाली. अरविंद भवन के सामने छात्र संगठन आइसा ने नारे लगाये तो वहीं एसएफआई ने कॉलेज स्ट्रीट पर रास्ता अवरोध कर प्रदर्शन किया.आलिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी रैली निकाली.
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पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डब्ल्यूबीसीपीसीआर) ने सोमवार को कहा कि प्रथम दृष्टया उसका मानना है कि यादवपुर विश्वविद्यालय के लड़कों के मुख्य छात्रावास में स्नातक प्रथम वर्ष के छात्र की अप्राकृतिक मौत को यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत निपटा जाना चाहिए. डब्ल्यूबीसीपीसीआर अध्यक्ष सुदेशना रॉय ने कहा कि लेकिन, ऐसी आधिकारिक सिफारिश करने के लिए आयोग को पहले प्राथमिकी की एक प्रति प्राप्त करनी होगी.
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उन्होंने कहा, ‘‘हमने पुलिस से छात्र के छात्रावास की दूसरी मंजिल की बालकनी से गिरने और उसकी मौत के बाद दर्ज की गई प्राथमिकी की प्रति मांगी है. हमने उम्र से संबंधित दस्तावेजों सहित छात्र के अन्य दस्तावेजों का भी अवलोकन किया है. बताये गये घटनाक्रम के अनुसार, प्रथम दृष्टया नाबालिग की मौत के मामले में हमारा यह सुझाव है कि इसमें पॉक्सो के तहत जांच होनी चाहिए.’’
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उन्होंने कहा कि आयोग पहले ही किशोर की उम्र से संबंधित अन्य दस्तावेजों का अध्ययन कर चुका है और अब यह जांच कर रहा है कि नौ अगस्त की शाम और रात को छात्रावास में उसके साथ क्या हुआ था. रॉय ने कहा कि किशोर की उम्र 18 वर्ष से कम थी, इसलिए आयोग का प्रारंभिक मत है कि मृतक के परिवार से बात करने और उसके छात्रावास की बालकनी से गिरने और मृत्यु की परिस्थितियों का पता लगाने के बाद इस मामले को पॉक्सो के प्रावधानों के तहत निपटा जाए, लेकिन किसी भी अंतिम सिफारिश के लिए प्राथमिकी की प्रति जैसे आधिकारिक दस्तावेजों की आवश्यकता होगी.
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उन्होंने रविवार की रात लड़कों के मुख्य छात्रावास का दौरा किया था. उन्होंने सवाल उठाये, ‘‘विश्वविद्यालय के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. छात्रावास परिसर में सीसीटीवी न लगाकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों का उल्लंघन क्यों किया गया? कुछ बाहरी लोगों के लिए रात में भी परिसर के दरवाजे क्यों खुले रहते हैं? हमें अपने दौरे के दौरान पता चला कि कई ऐसे व्यक्ति हैं, जो कई साल पहले विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण होने के बाद भी वहां रह रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें छात्रावास के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें छात्रावास में वैध प्रवास का समय बीतने के बावजूद वहां रह रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत नहीं है. अगर वह सीसीटीवी लगाने और उसकी निगरानी जैसे कदम उठाते हैं, तो उनमें से कुछ लोग तुरंत घेराव जैसे आंदोलन शुरू कर देते हैं.’’