प्रदेश कांग्रेस में कट्टर विरोधी तृणमूल कांग्रेस गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले विद्रोही कांग्रेस नेता और कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील कौस्तव बागची ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दी गयी ”नो वोट टू ममता” टैगलाइन को खुला समर्थन दिया है. कौस्तुभ बागची ने कहा कि पश्चिम बंगाल में मौजूदा तृणमूल कांग्रेस शासन को बदलने के लिए एक विकल्प की आवश्यकता है,”नो वोट टू ममता” ही एकमात्र विकल्प है. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वास्तव में वह विकल्प क्या होगा. इस बीच, विपक्ष के नेता द्वारा दी गई”नो वोट टू ममता” टैगलाइन के दो कारण हैं. पहला, लोगों को तृणमूल कांग्रेस के सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को वोट देने या राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी को छोड़कर किसी को भी वोट देने के लिए अप्रत्यक्ष आह्वान देना है.
दूसरा पहलू यह है कि कांग्रेस और सीपीआई दोनों में असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को या तो सीधे भाजपा में शामिल होने या संयुक्त रूप से एक स्वतंत्र तृणमूल कांग्रेस विरोधी मंच बनाने का आह्वान किया जाना है. हालांकि, श्री बागची ने आज तक यह खुलासा नहीं किया है कि अगर 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-टीएमसी के बीच अंतिम क्षण में सहमति बनती है, तो विपक्ष के नेता द्वारा सुझाए गए दो विकल्पों में से वह क्या अपनायेंगे.
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एक बड़े विपक्षी ”I-N-D-I-A” गुट के गठन के बाद से कौस्तुभ बागची पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ किसी भी समझौते के बारे में सबसे अधिक मुखर रहे हैं. वह सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता उच्च न्यायालय में पश्चिम बंगाल सरकार या तृणमूल कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए पी चिदंबरम और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे पार्टी के वरिष्ठ अधिवक्ता-नेताओं के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण आवाज भी थे. वह लगातार दावा कर रहे थे कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के एक वर्ग द्वारा विभिन्न तृणमूल कांग्रेस नेताओं के प्रति सहानुभूतिपूर्ण बयान राज्य में जमीनी स्तर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम पैदा कर रहे हैं.
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