कोलकाता : चुनाव के दौरान नेता बड़े-बड़े वादे और दावे करते हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार की बात कमोबेश हर उम्मीदवार करता है. इसलिए मतदाताओं के लिए जरूरी है कि वे अपने उम्मीदवारों को जानें. उनकी शैक्षणिक योग्यता और उनकी पृष्ठभूमि के बारे में भी उन्हें पता हो. तभी तो वह स्वच्छ छवि के लोगों को चुन सकेगा.
हर आदमी अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों की योग्यता का पता नहीं लगा सकता. उसके कारनामों का पता नहीं लगा सकता. इसलिए चुनाव आयोग ने एक ऐसी व्यवस्था कर दी कि उम्मीदवार खुद यह बतायेगा कि वह कितना पढ़ा-लिखा है. उसका आपराधिक रिकॉर्ड क्या है, ताकि लोग उनके बारे में पूरी जानकारी हो और मतदान के पहले वे सोच सकें कि उनके लिए कौन-सा उम्मीदवार ठीक रहेगा.
द वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) बंगाल के चुनावों में उम्मीदवारों के हलफनामे के आधार पर एक समग्र रिपोर्ट तैयार करता है. इसमें उम्मीदवारों की उम्र से लेकर, उनकी शिक्षा और आपराधिक रिकॉर्ड तक के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है.
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इस बार एडीआर की जो रिपोर्ट आयी है, उसमें बताया गया है कि एक उम्मीदवार ऐसा है, जिसने खुद को निरक्षर बताया है. 7 लोगों ने खुद को साक्षर बताया है. 11 प्रत्याशी 5वीं पास हैं, तो 37 10वीं पास और इससे ज्यादा 38 आठवीं पास लोग छठे चरण का चुनाव लड़ रहे हैं. 43 ऐसे उम्मीदवार हैं, जो 12वीं पास हैं. यानी 129 उम्मीदवारों ने कॉलेज का मुंह कभी नहीं देखा.
सबसे ज्यादा 82 उम्मीदवारों ने खुद को ग्रेजुएट (स्नातक) बताया है. 20 ग्रेजुएट प्रोफेशनल हैं, 55 ने पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री ले रखी है. 8 डॉक्टरेट की डिग्री रखते हैं, तो 4 प्रत्याशियों के पास डिप्लोमा है. इस तरह 85 (28 फीसदी) उम्मीदवार 12वीं या उससे कम पढ़े-लिखे हैं. 164 (54 फीसदी) ग्रेजुएट हैं.
बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच 8 चरणों में चुनाव कराये जा रहे हैं. पांच चरणों (27 मार्च, 1 अप्रैल, 6 अप्रैल, 10 अप्रैल एवं 17 अप्रैल) के मतदान संपन्न हो चुके हैं. शेष 3 चरणों की वोटिंग 22 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को होगी.
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सभी सीटों पर मतगणना 2 मई को एक साथ करायी जायेगी. वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में बंगाल में कुल 87.85 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि वर्ष 2016 में 83.02 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
Posted By : Mithilesh Jha