कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सबसे बड़ी नेता ममता बनर्जी राज्यसभा चुनाव लड़ सकती हैं. तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के एक फैसले से इस संभावना को बल मिल रहा है. हालांकि, पार्टी के किसी नेता ने इस बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा है.
दरअसल, शुक्रवार (23 जुलाई) को राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों ने मिलकर ममता बनर्जी को संसदीय दल का अध्यक्ष चुन लिया है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इसकी घोषणा करते हुए टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि ममता बनर्जी लंबे समय से तृणमूल संसदीय दल के पीछे प्रेरक शक्ति रही हैं.
डेरेक ने कहा कि हमारी अध्यक्ष सात बार संसद की सदस्य रही हैं. उनके पास वह दृष्टिकोण है, जिससे वह संसदीय दल का मार्गदर्शन कर सकती हैं. उनके पास अनुभव और अंतर्दृष्टि है. वह हमेशा एक कॉल की दूरी पर होती हैं. हम और सशक्त महसूस कर रहे हैं. तृणमूल नेता ने कहा कि पार्टी के सभी सांसदों ने ममता बनर्जी को सर्वसम्मति से अपना नेता चुना है.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि ममता बनर्जी इस वक्त किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं. वह न तो लोकसभा की सदस्य हैं, न राज्यसभा की. न ही विधानसभा के लिए वह चुनी गयी हैं. इसलिए इस बात की संभावना को बल मिल रहा है कि ममता बनर्जी राज्यसभा चुनाव लड़ सकती हैं, क्योंकि अब तक विधानसभा उपचुनावों की घोषणा नहीं हुई है. लेकिन, राज्यसभा के उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है.
तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे से खाली हुई पश्चिम बंगाल से राज्यसभा की एक सीट पर 9 अगस्त को उपचुनाव होना है. तृणमूल को आशंका है कि बंगाल में संवैधानिक संकट उत्पन्न करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार विधानसभा के उपचुनाव को लंबे समय के लिए टाल सकती है.
दूसरी तरफ, ममता बनर्जी केंद्र की राजनीति में अपनी भूमिका तलाशने में जुटी हुई हैं. उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी, भाजपा छोड़कर तृणमूल में लौटे मुकुल रॉय और टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बंगाल की मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. ममता बनर्जी खुद विपक्षी दलों से आह्वान कर रहीं हैं कि 2024 के चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर देनी होगी.
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ममता बनर्जी ने अपील की है कि सभी दलों को आपसी मतभेद भूलकर मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होना होगा. एक एजेंडा तैयार करना होगा और उसके आधार पर पूरे देश में अभियान चलाना होगा. तभी नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में मात दिया जा सकेगा. इसलिए इस बात की उम्मीद बढ़ गयी है कि ममता बनर्जी राज्यसभा सांसद के रूप में दिल्ली में रहेंगी और पूरे देश में मोदी के खिलाफ माहौल बनायेंगी.
ज्ञात हो कि बंगाल चुनाव की शानदार जीत से उत्साहित तृणमूल प्रमुख ने 2024 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी एकता का आह्वान किया है. तृणमूल प्रमुख, जो अपने करियर के सबसे कठिन चुनावों में से एक को जीतने के बाद सबसे मजबूत विपक्षी चेहरे के रूप में उभरी हैं, जाहिर तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने की कोशिश करती नजर आ रही हैं.
इस सप्ताह की शुरुआत में पार्टी की ‘शहीद दिवस रैली’ में उन्होंने अपना वार्षिक संबोधन हिंदी, अंग्रेजी और बंगला में दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि जब तक भाजपा की सरकार को सत्ता से बेदखल नहीं कर दिया जाता, तब तक पूरे देश में ‘खेला होबे’. पेगासस स्पाईवेयर के मुद्दे पर भी टीएमसी चीफ ने केंद्र की भाजपा सरकार पर जबर्दस्त हमला बोला.
प्रशांत किशोर ने हाल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की थी. वह भाजपा विरोधी सभी दलों के नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. वर्ष 2019 में विपक्षी दलों के पास मोदी के मुकाबले का कोई दूसरा सशक्त चेहरा नहीं था. ममता बनर्जी को ऐसा लगता है कि जिस तरह से बंगाल में उन्होंने भाजपा को पराजित किया है, राष्ट्रीय राजनीति में भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को पस्त कर सकती हैं.
Posted By: Mithilesh Jha