कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट नारद स्टिंग टेप मामले में अपने ही फैसले के खिलाफ नया आदेश जारी करेगा? यह सवाल पूछा जा रहा है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों और एक विधायक तथा पार्टी के एक पूर्व नेता की याचिकाओं पर हाइकोर्ट में 19 मई (बुधवार) को सुनवाई है. तृणमूल नेताओं एवं एक पूर्व नेता ने अपनी गिरफ्तारी पर लगी रोक के आदेश को निरस्त करने संबंधी हाइकोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है.
सीबीआई अदालत ने प्रदेश के मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और पूर्व नेता शोभन चटर्जी को जमानत दे दी थी. हाइकोर्ट ने उनकी जमानत आदेश पर रोक लगा दी थी. तृणमूल नेताओं की ओर से कोर्ट में पेश वकीलों ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली पीठ के सामने इस विषय पर मंगलवार को उल्लेख किया.
जस्टिस बिंदल और जस्टिस अरिजीत बनर्जी की पीठ ने उन्हें आदेश वापस लेने संबंधी याचिकाओं को दायर करने की मंजूरी दी. इस बात की भी संभावना है कि पीठ इसके साथ ही सीबीआई की उस याचिका पर भी सुनवाई कर सकती है, जिसमें उसने नारद स्टिंग मामले की सुनवाई ट्रांसफर करने की मांग की है.
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सोमवार को विशेष सीबीआई अदालत से इन चारों को जमानत मिलने के शीघ्र बाद सीबीआई उच्च न्यायालय पहुंच गयी थी. निचली अदालत से मिली जमानत पर स्थगन लगाते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट ने सोमवार की शाम को इस मामले की अगली सुनवाई का दिन बुधवार तय किया था.
नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने वर्ष 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक जैसी शक्ल के लोग लाभ के बदले में एक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आये थे. ये टेप वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से महज कुछ पहले सार्वजनिक किये गये थे. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मार्च 2017 में इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
Posted By: Mithilesh Jha