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ओडिशा रेल हादसा : मरा हुआ समझ बेटे के ऊपर रख दिया था लाशों का ढेर, पिता ने बताया दिल दहला देने वाला मंजर

ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद एक डरावना मंजर सामने आया है. एक बेटे के पिता हेलाराम मल्लिक ने दिल दहला देने वाली इस घटना का मंजर बयां किया है. उन्होंने कहा कि उनके बेटे, विश्वजीत को मृत समझ लिया गया था और उसके ऊपर लाशों का ढेर लगा हुआ था.

ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद एक डरावना मंजर सामने आया है. जहां इस हादसे में 275 लोगों की जान चली गई और 1100 से अधिक घायल हो गए. वहीं एक बेटे के पिता हेलाराम मल्लिक ने दिल दहला देने वाली इस घटना का मंजर बयां किया है. हेलाराम मल्लिक ने कहा कि उनके बेटे, विश्वजीत को मृत समझ लिया गया था और उसके ऊपर लाशों का ढेर लगा हुआ था.

पिता ने बेटे को मुर्दाघर से निकाला

अपने बेटे को खोजने के लिए, हेलाराम मल्लिक ने बालासोर की 230 किलोमीटर की यात्रा शुरू की. अपने अथक प्रयासों ने उन्होंने अपने बेटे को एक अस्थायी मुर्दाघर में जीवित खोज निकाला, जहां उसे गलती से ट्रिपल ट्रेन हादसे के मृतक पीड़ितों के साथ रखा गया था. उसके बाद, मल्लिक ने अपने जवान बेटे को बहानागा हाई स्कूल के मुर्दाघर से बाहर निकाला और उसे कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल लाने से पहले बालासोर अस्पताल ले गए.

बेटे ने फोन कर बताया था वह घायल है

विश्वजीत के हाथ-पांव में कई चोटें आई थीं और यहां एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर यूनिट में उनकी दो सर्जरी हुई. एएनआई से पूरी घटना के बारे में बात करते हुए, हेलाराम ने कहा, “मेरा बेटा कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार हुआ और काम के लिए संतरागाछी से चेन्नई जा रहा था. लगभग 7.30 बजे, उसने मुझे फोन किया और बताया कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है. उसने अपनी जान गंवा दी. मुझे फोन करने के बाद वह बहोश हो गया.

मरा हुआ समझ उसके ऊपर लगा दिया लाशों का ढेर

मल्लिक ने बताया कि उनके बेटे ने किसी और के फोन से कॉल कर सूचित किया कि वह बुरी तरह से घायल है और बेहोश हो गया. मृत समझकर उसके ऊपर लाशों का ढेर लगा दिया गया, जब वह होश में आया, तो उसने इशारा करने के लिए अपना हाथ हिलाया वह जीवित था. जिसके बाद लोगों को एहसास हुआ कि वह जीवित है और उसे अस्पताल ले गए. अंत में वे बेटे से बालासोर अस्पताल में मिले.

पैसा मायने नहीं रखता, बेटा मायने रखता है

हादसे को याद करते हुए मल्लकि ने कहा कि यह उनके लिए बेहद दर्दनाक था क्योंकि वह अपने बेटे को हमेशा के लिए खोने वाले थे. उन्होंने कहा “यह घटना हमारे लिए बेहद दर्दनाक थी क्योंकि वह 2 साल बाद लौटा था, 15 दिन रुका और फिर चला गया. वह फिर से जाएगा या नहीं, यह उसकी पसंद होगी, एक पिता होने के नाते मैं केवल उसे न जाने की सलाह दूंगा. हम बहुत खुश हैं, लेकिन उसके पैरों और हाथों की चिंता है. मेरे लिए पैसा मायने नहीं रखता, मेरे लिए जो मायने रखता है वह मेरा बेटा है. मैंने अपना बेटा ढूंढ लिया है और उसे कोलकाता वापस लाना सबसे महत्वपूर्ण है. सीएम ममता बनर्जी की ओर से जो भी मुआवजा दिया जाएगा, वह हमारे लिए बहुत मददगार होगा और मैं उनका आभारी हूं.”

2 जून को हुआ था हादसा

बता दें कि 2 जून को बालासोर में बहानागा रेलवे स्टेशन के पास दो पैसेंजर ट्रेनों के पटरी से उतर जाने और एक मालगाड़ी के आपस में टकरा जाने के कारण यह हादसा हुआ था. दुर्घटना तब हुई जब शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे कई डिब्बे बगल के ट्रैक पर पटरी से उतर गए. इसके बाद, यशवंतपुर से हावड़ा जा रही हावड़ा एक्सप्रेस, तेज गति से प्रभावित डिब्बों से टकरा गई, और पटरी से उतर गई.

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