बीरभूम: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला के मोहम्मद बाजार स्थित देउचा पचामी कोयला परियोजना (Deucha Pachami Coal Project) के खिलाफ विरोध कर रहे आदिवासी सोमवार को उस वक्त और आक्रामक हो गये, जब प्रशासनिक अधिकारी उन्हें समझाने के लिए पहुंचे. आदिवासियों के विरोध के कारण जिला प्रशासन और तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress)के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को गांव से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. आदिवासियों का आक्रामक रुख देखकर तृणमूल के ब्लॉक नेता भी चुपचाप निकल गये.
जमीन देने वालों को नौकरी का सरकार ने किया है वादा
राज्य सरकार की देउचा पचामी कोयला खदान परियोजना का आदिवासी शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. देउचा पचामी में भूमि अधिग्रहण के मद्देनजर राज्य सरकार ने भूमि दान देने वालों को रोजगार देने का वादा किया है. जिला प्रशासन के अधिकारी सोमवार को कोयला खनन शुरू करने से पहले कुछ लोगों को नियुक्ति पत्र देने के लिए पहुंचे थे.
बस में भरकर आये थे तृणमूल कार्यकर्ता
तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बसों से यहां पहुंचे थे. लेकिन ग्रामीणों के प्रतिवाद के कारण वे गांव में प्रवेश नहीं कर सके. स्थानीय तृणमूल नेताओं व कार्यकर्ताओं को देखकर हाथों में लाठी-डंडा, तीर-धनुष और पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र लेकर आक्रोशित आदिवासी ग्रामीण उनकी ओर दौड़ पड़े. आदिवासियों का गुस्सा देख सत्ताधारी दल के नेता और कार्यकर्ताओं को वहां से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.
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तृणमूल नेता, कार्यकर्ता के साथ भागे प्रशासनिक अधिकारी
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी आदिवासियों के विरोध और प्रतिवाद का सामना करना पड़ा. आदिवासी ग्रामीणों के विरोध के कारण जिला अधिकारी और बीरभूम के पुलिस अधीक्षक सहित तमाम अधिकारियों को बिना किसी समारोह के क्षेत्र से लौटना पड़ा.
मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों को कहा था बाहरी
जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को उनकी मांगों के बारे में बताये बिना कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसके अलावा, देउचा पचामी के लोग शुरू से ही राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित कोयला खनन परियोजना का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे कोयला खनन के लिए अपनी जमीन राज्य सरकार को नहीं सौंपेंगे. मुख्यमंत्री ने इन आंदोलनकारियों को बाहरी करार दिया था.
रिपोर्ट- मुकेश तिवारी