बोलपुर, मुकेश तिवारी. विश्व भारती शांति निकेतन के रूप में गुरुदेव रविंद्र नाथ ठाकुर ने शिक्षा संस्थान के रूप में बेहतरीन उपहार दिया है. गुरुदेव ने हमें प्रकृति के करीब जो ज्ञान और विज्ञान का मिश्रण दिया है, जो आध्यात्मिकता और आधुनिक विज्ञान, नैतिकता और उत्कृष्टता, परंपरा और आधुनिकता का ज्ञान दिया है वह दुनिया भर में प्रकाशित हो रहा है. गुरुदेव का शिक्षा और ज्ञान सीमा-रहित था. विश्व भारती शांति निकेतन में मुख्य अतिथि द्रौपदी मुर्मू ने दीक्षांत समारोह में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि गुरुदेव चाहते थे कि विश्व भारती एक वैश्विक ज्ञान-केंद्र बने. गुरुदेव की दृष्टि और इच्छाओं को ध्यान में रखना विश्व भारती से जुड़े सभी लोगों का कर्तव्य है.
‘देने का आनंद सबसे बड़ा आनंद होता है’
आगे उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मेरा मानना है कि देने का आनंद सबसे बड़ा आनंद होता है और गुरुदेव की उदारता इसका एक बेहतरीन उदाहरण है. विश्व भारती समुदाय के छात्र और शिक्षक गुरुदेव की देने की भावना का पालन करने के लिए उनका ऋणी हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि गुरुदेव 20वीं सदी की शुरुआत में पूर्वी गोलार्द्ध के सबसे महत्वपूर्ण शहर के आराम को छोड़कर इस स्थान पर आ गए, जो उन दिनों एक दूरस्थ क्षेत्र था. इसमें सभी के लिए एक संदेश है, खासकर युवा छात्रों के लिए.
‘रविंद्र नाथ ठाकुर दुनिया के महानतम व्यक्तित्वों में से एक’
इस एक सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मुझे लगता है कि गुरुदेव रविंद्र नाथ ठाकुर दुनिया के महानतम व्यक्तित्वों में से एक थे. साथ उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित किए गए विश्व भारती विश्वविद्यालय का परिदर्शन करना या आगंतुक होना खुद में एक विशेष अनुभूति है. जानकारी हो कि राष्ट्रपति अपने दो दिवसीय दौरे पर बंगाल में थीं. यहां विश्व भारती विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत किया था.