कोलकाता : बंगाल की अग्निकन्या के नाम से मशहूर ममता बनर्जी पर कई बार हमले हुए हैं. यह पहला मौका है, जब मुख्यमंत्री रहते वह चोटिल हुई हैं. ममता बनर्जी का आरोप है कि साजिश के तहत उन पर हमला किया गया है. राजनीतिक जगत में इस घटना के बाद से तरह-तरह की चर्चा हो रही है.
ममता बनर्जी की छवि एक जुझारू नेता की है. अपने चार दशक के राजनीतिक करियर में उन पर कई बार हमले हुए. कई बार वह गंभीर रूप से चोटिल हुईं. हर बार सार्वजनिक जीवन में मजबूती से उभरकर सामने आयीं. ऐसी घटनाओं के बाद जब-जब उन्होंने वापसी की, विरोधियों पर और मजबूती से हमलावर हुईं.
अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ और कार्यकर्ताओं के समर्थन से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो की छवि एक निडर योद्धा की है. बंगाल चुनाव 2021 के लिए वह जहां भी प्रचार करने जाती हैं, लोगों को यह बताना नहीं भूलतीं. वह बार-बार कहती हैं कि कई बार मार खायी है. गोलियां खायी हैं. लेकिन संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ा. किसी के आगे सिर नहीं झुकाया.
वर्ष 1990 में तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक युवा नेता ने ममता बनर्जी के सिर पर वार कर दिया था. इसके चलते उन्हें पूरे महीने अस्पताल में बिताना पड़ा था. तब भी वह बेहद मजबूत नेता के तौर पर उभरीं. जुलाई 1993 में ममता बनर्जी जब युवा कांग्रेस की नेता थीं, तब फोटो मतदाता पहचान पत्र की मांग को लेकर सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग की ओर एक रैली लेकर बढ़ रहीं थीं.
इसी दौरान पुलिस ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी थी. रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गयी. पुलिस ने फायरिंग कर दी और इसमें युवा कांग्रेस के 14 कार्यकर्ताओं की मौत हो गयी. पुलिस की पिटाई से ममता बनर्जी गंभीर रूप से घायल हो गयीं. कई हफ्ते तक उन्हें अस्पताल में बिताना पड़ा था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री वर्तमान में अपने राजनीतिक करियर के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही हैं. नंदीग्राम विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल करने के बाद बुधवार (10 मार्च) की रात को उन पर कथित तौर पर हमला हुआ था, जिसके बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी. उनके पैर में चोट आयी.
दो दिन और दो रात अस्पताल में बिताने के बाद उन्होंने डॉक्टरों पर दबाव बनाया कि उन्हें छुट्टी दे दी जाये. हालांकि, डॉक्टर कह रहे थे कि उन्हें कुछ दिन निगरानी में रहने की जरूरत है. एक सप्ताह तक बेड रेस्ट करना चाहिए. लेकिन, वह नहीं मानीं और डॉक्टरों को उन्हें रिलीज करना पड़ा.
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उस दिन उन पर चार-पांच लोगों ने हमला किया. इस बार की लड़ाई अहम है, क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा चुनौती पेश कर रही है और लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के उनके रास्ते में रुकावट बन रही है.
नंदीग्राम में उनका मुकाबला अपने पूर्व राजनीतिक समर्थक और अब भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से है. उनके राजनीतिक करियर में नंदीग्राम की अहम भूमिका है, क्योंकि 2007 में किसानों के जमीन अधिग्रहण के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन और पुलिस के साथ संघर्ष तथा हिंसा के बाद वह बड़ी नेता के तौर पर उभरीं थीं.
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इसी आंदोलन की लहर से उन्होंने वर्ष 2011 में वामपंथियों के सबसे लंबे शासन का अंत किया और पश्चिम बंगाल में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के 34 साल के शासन को उखाड़ फेंका. तृणमूल नेता सौगत राय ने कहा, ‘ममता एक योद्धा है. आप उन पर जितना हमला करेंगे, वह उतनी मजबूती से वापसी करेंगी.’
भाजपा ने ममता बनर्जी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह सिर्फ सहानुभूति वोट बटोरने की कोशिश कर रही हैं. पश्चिम बंगाल में भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने मामले की सीबीआइ जांच की मांग की और कहा कि यह देखना जरूरी है कि कहीं यह सहानुभूति वोट बटोरने के लिए ‘नाटक’ तो नहीं है, क्योंकि राज्य के लोग पहले भी ऐसे नाटक देख चुके हैं.
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कांग्रेस ने भी नंदीग्राम में बनर्जी पर हमले को लेकर उनकी आलोचना की. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सुश्री बनर्जी पर विधानसभा चुनाव में वोट के लिए सहानुभूति बटोरने की कोशिश करने का आरोप लगाया. कांग्रेस इस बार वाम मोर्चा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव में ममता को चुनौती देने की कोशिश कर रही है.
Posted By : Mithilesh Jha